*जय श्रीमन्नारायण*
*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान‼️*
🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳🌳
*भाग५*
*गतांक से आगे-----*
*शिखा:-शारीरिक विज्ञान का दृष्टिकोण*
जिस स्थान पर शिखा होती है उसके नीचे पिट्यूटरी ग्रंथि होती है जो स्नायु द्वारा संपूर्ण शरीर में संचारित होकर शरीर को बलशाली बनाता है शिखा द्वारा इन ग्रंथियों को अपना कार्य करने में सहायता प्राप्त होती है इससे मनुष्य दीर्घकाल तक स्वस्थ रहकर जीवन यापन करता है और उसकी ज्ञान शक्ति भी उम्र के साथ अक्षुण्ण बनी रहती है।
*बालों का समुन्नत होना का आत्मिक विकास से कितना गहरा संबंध है*
संसार के अधिकांश संत महात्मा आध्यात्मिक पुरुष एवं वैज्ञानिकों (वैज्ञानिक अनुसंधान भी एक ऐसी क्रिया है जिसमें व्यक्ति एक तरह की ध्यान अवस्था में चला जाता है उसे आसपास की सुध नहीं रहती और ऐसी अवस्था में विज्ञान के सैकड़ों अविष्कार हुए हैं चाहे वह न्यूनतम हूं अल्बर्ट आइंस्टाइन) को यदि देखें तो उनके बाल लंबे और घने ही थे वस्तुतः शिखा बांधकर लंबे काल तक साधना रत या अनुसंधान रत होने से जो शक्ति उत्पन्न होती है वह क्षीण न होकर शरीर में ही विद्यमान रहती है।
*शिखा के संबंध में पाश्चात्य विद्वानों का मंतव्य*
वेदों के प्रसिद्ध पाश्चात्य भाग शिकार मैक्स मूलर ने शिखा की उपयोगिता के बारे में लिखा है कि सिखा के द्वारा मानव मस्तिष्क सुगमता से सत्य के प्रवाह को धारण कर सकता है सर चार लेस लोकेश के अनुसार शिखा का शरीर के उस अंग से अत्यंत घनिष्ठ संबंध है जिससे ज्ञान वृद्धि और तमाम अंगों का संचालन होता है जब से मैंने इस विज्ञान की खोज की है तब से मैं स्वयं चोटी रखता हूं एक सुप्रसिद्ध विज्ञान वेत्ता ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि किसी वस्तु पर चिंतन करने से वह शक्ति उसकी ओर दौड़ती है यदि ईश्वर पर चित्त एकाग्र किया जाए तो मस्तक के ऊपर शिखा के रास्ते ओजस शक्ति प्रगट होती है परमात्मा की शक्ति उसी पथ से अपने भीतर आया करती है डॉक्टर हाय्वमन के शब्दों में मैंने भारतवर्ष में रहकर भारतीय संस्कृत का अध्ययन किया है यहां के निवासी बहुत काल से सिर पर चोटी रखते हैं जिसका वर्णन वेदों में है उनकी बुद्धि भी विलक्षण है उस विलक्षणता को देखकर मैं अत्यंत प्रभावित हूं सिर पर चोटी या बाल रखना लाभदायक है मैं खुद भी चोटी रखने का कायल हो गया हूं
भारतीय मतानुसार साधारण दशा में जब हमारा शरीर रोम छिद्रों द्वारा ऊष्मा को बाहर फेकता है तो उसी समय सुषुम्ना केंद्रों एवं शिखा स्थान से तेज का स्राव होता है उसी को रोकने के लिए शिखा बंधन का विधान है जिससे वह तेज शरीर में ही रुक कर मन मस्तिष्क व शरीर को अधिक उन्नत बना सके सुप्रसिद्ध *डॉ I E Clark* ने लिखा है जब मैं चीन गया तो मैंने देखा कि वहां के लोग भी भारतीयों की भांति आधे सिर पर बाल रखते हैं मैंने जब से उस विज्ञान की खोज की है तब से मुझे यह विश्वास हो गया है की *भारतीय शास्त्रों का हर नियम विज्ञान से भरा पड़ा है चोटी रखना हिंदुओं का धर्म ही नहीं सुषुम्ना के केंद्रों की रक्षा के लिए ऋषि मुनियों की खोज का विलक्षण चमत्कार है* इसी प्रकार मिस्टर अर्ल प्यार किया हमने अलार्म मैगजीन के 1921 वार्षिकांक में लिखा है कि सुषुम्ना की रक्षा भारतीय जहां चोटी लगाकर करते हैं वहीं अन्य देशों में इसकी रक्षा लंबे बाल या हैट लगाकर करते हैं किंतु दोनों में चोटी रखना ज्यादा श्रेष्ठ है
इसलिए हमारे भारतीय संस्कृति को मानने वाले लोग अधिकतर अपने सर पर चोटी रखते हैं और उसमें गांठ भी लगाते हैं *श्रीमहंत*
*हर्षित कृष्णाचार्य* *प्रवक्ता*
*संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री राम कथा व ज्योतिषी फलादेश एवं परामर्श* *श्री जगदीश कृष्ण शरणागति आश्रम लखीमपुर-खीरी*