*श्रीमते रामानुजाय नमः*
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*!! विषय!!*
*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*
*( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)*
*[ अष्टम भाग]*
*जय श्रीमन्नारायण*
कल के भाग में आप लोगों ने पढ़ा कि किस प्रकार से अन्य कौन-कौन से द्वीप और कितने कितने बड़े हैं उन्हें भगवान नारायण की किस रूप में पूजन होती है और उन सभी में अपना भारतवर्ष कितना महत्वपूर्ण है *अब आगे----*
आज तक कलयुग के अनुसार इन 5000 वर्षों में जो भी हुआ है और जो हो रहा है उसका वर्णन परम आदरणीय श्री वेदव्यास जी ने पुराणों में पहले ही कर दिया था हम आज अपने आप को बहुत विद्वान मानते हैं वैज्ञानिक मानते हैं वेद पुराण उपनिषद धर्म ग्रंथ इन सभी को स्वयं तो मानते ही नहीं और दूसरे जो मानते हैं उनका भी हम उपहास करते हैं उनको बहुत छोटे समझते हैं हम कहते हैं यह सब पाखंड है ढोंग है विज्ञान के आगे यह कुछ भी नहीं इस सृष्टि का आदि और अंत विज्ञान है लेकिन प्यारे मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं आप वैज्ञानिक हैं आप विज्ञान को मानते हैं धर्म शास्त्रों को नहीं मानते मुझे कोई तकलीफ नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं लेकिन क्या आप उस सटीक भविष्यवाणी आने वाले युग के लिए कर सकते हैं युग की भी बात छोड़ दीजिए क्या आप 10 वर्ष के बाद किसका जन्म होगा उसका क्या नाम होगा वह क्या करेगा विज्ञान से यह बता सकते हैं? क्या उत्तर होगा आपका आप नहीं जानते आप यह भी नहीं जानते कल क्या होने वाला है बरसात होगी यह अनुमान है ग्रहण हो सकता है किस दिनांक में होगा यह अनुमान है हमारा सनातन धर्म हमारे ग्रंथ ज्योतिष प्रश्नों का सटीक उत्तर देता है ग्रहण होना है उसकी तिथि समय दिनांक वर्षों पहले पंचांग में लिख दिया जाता है उसी दिन उसी दिनांक में उसी समय पर ग्रहण होता है और उतनी ही देर होता है फिर आपके विज्ञान कैसे आगे मित्रों जो आज हमारे सनातन धर्म पर अतिक्रमण हो रहा है जो हमारे आश्रम गुरुकुल मंदिर जबरन छीने जा रहे हैं भू माफिया कब्जा कर रहे हैं यह भी हमारे पुराणों में हजारों साल पहले वर्णन किया जा चुका है और इसका कारण हमारे धर्म ग्रंथों का अनादर करना हमें अपने बच्चों को अपने सनातन धर्म की शिक्षा न देना उसकी अवहेलना करना और उनको क्रिश्चियन शिक्षा के अंतर्गत मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाने में अपने आप को गौरवान्वित महसूस करना क्योंकि हम दिखावे की जिंदगी जीना पसंद करते हैं हम असली जीवन की ही नहीं रहे या ऐसे कह दे कि हम जीना ही नहीं चाहे हमें तो यह दिखाना है पाश्चात्य शैली को कितना अपनाएं हैं हम आपसे बहुत आगे हैं अगर हमारा लड़का पड़ोसी के लड़के से ज्यादा मॉडर्न ना हो तो हम छोटे हो जाते हैं अगर किसी का लड़का इंग्लिश माध्यम से पढ़ रहा है छोटे स्कूल में पढ़ रहा है तो हम अपने लड़के को कान्वेंट स्कूल में पढ़ आएंगे और कन्वेंट स्कूल किसके लिए है कहना नहीं चाहिए किंतु बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है कन्वेंट स्कूल इसलिए बना था शादी से पहले जो औलादे हो जाती है उनको पालने के लिए बनाया गया जिसमें प्रधानाध्यापक फादर है जो अध्यापक अध्यापिकाएं हैं वह सिस्टर है उसमें गुड मॉर्निंग टाटा बाय बाय अभिवादन सिखाया जाता है क्या मतलब है टाटा बाय बाय का अर्थ क्या है गुड मॉर्निंग अच्छी सुबह चलो ठीक है मैंने किसी को कहा अच्छी सुबह और रात में वह बीमार था रात भर बहुत परेशान रहा सुबह मुझे मिला मैंने बोला गुड मॉर्निंग भाई उसकी मॉर्निंग गुड हुई है? अथवा रात में किसी के यहां चोरी हो गई सवेरे मैं उसको गुड मॉर्निंग कह रहा हूं उसकी मॉर्निंग गुड हुई है या खराब हो गई ? क्या मतलब है इन बातों का हमारा सनातन धर्म रास्ता का देव दर्शन देव बंदन माता-पिता को प्रणाम करना आदि सिखाता है और वहां पर माता पिता को प्रणाम करने का अभिवादन करने का कोई मतलब ही नहीं बताया जाता बाकी सब ढोंग है प्यारे जब इन चीजों पर विचार करता हूं ह्रदय बहुत ही दुखी होता है हमारे अपने लोग ही अपने सनातन धर्म के शत्रु बने बैठे हैं गुरुकुल को समाप्त करने के बाद ही कॉन्वेंट स्कूल प्रारंभ हुए इनके संस्थापक ने एक बार यहां करके देखा कि गुरुकुल का एक छात्र जब गुरुकुल से विद्या अध्ययन करके आता है तो उसको पूजा पाठ आयुर्वेद पशु सेवा मानव सेवा आध्यात्मिक ज्ञान चिकित्सीय ज्ञान के साथ-साथ कृष और व्यापार का भी सर्वोत्तम ज्ञान होता है उसको मकान कैसे निर्माण करना है किस नक्शे से बनाना है यह किसी से पूछना नहीं है किसी इंजीनियर की जरूरत नहीं है यह देख कर उस अंग्रेज ने मन में विचार किया कि अगर गुरुकुल ऐसे ही चलते रहे तो हम भारत पर कभी शासन नहीं कर पाएंगे यहां के लोगों को गुलाम नहीं बना पाएंगे तो सबसे पहले गुरुकुल समाप्त किए जाएं इसी योजना के अंतर्गत उसने सर्वप्रथम गुरुकुल समाप्त की आश्रमों पर कब्जा किया और बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है अपने आपको भारत का सर्वोच्च व्यक्तित्व कहने वाले नेता गण भी उनके साथ में मिले और मिलकर के उन्होंने ही हमारे सनातन धर्म की यह स्थिति की है और आज भी उनकी आंखें वैसी ही बंद है श्री विष्णु पुराण के चौथे अंश का 24 वां अध्याय जिसमें पाराशर जी ने कलयुग के राजाओं और उनके कलिधर्मों का वर्णन किया है संक्षिप्त रूप से बताने का प्रयास करूंगा किसने कब कितना अतिक्रमण हमारे सनातन धर्म में किया है जिसका वर्णन स्वयं व्यास जी विष्णु पुराण में कर चुके पाराशर जी ने कहा बृहद्रथ वंश का रिपुंजय नामक जो अंतिम राजा होगा उसका सुनिक नाम के एक मंत्री होगा वह अपने स्वामी रिपुंजय को मारकर अपने पुत्र प्रद्योत का राज्याभिषेक करेगा उसका पुत्र बलाक होगा बलाक का विशाखायूप विशाख यूप का जनक जनक का नंदिवर्धन तथा नंदिवर्धन का पुत्र नंदी होगा यह पांच प्रद्योत वंशीय नृपति गण एक सौ 38 वर्ष पृथ्वी का पालन करेंगे इसी प्रकार नंदी का शिशुनाभ शिशुनाभ का काकवर्ण काकवर्ण का क्षेमधर्मा, क्षेमधर्मा का क्षतौजा,क्षतौजा का विधिसार, विधिसार का अजातशत्रु, अजातशत्रु का अर्भक, अर्भक का उदयन, उदयन का नन्दिवर्धन और नन्दिवर्धन का पुत्र महानन्दी होगा। ये शिशुनाभवंशीय नृपति गण 362 वर्ष पृथ्वी का शासन करेंगे महानंदी के शूद्रा के गर्भ से उत्पन्न महापद्म नामक नंद दूसरे परशुराम के समान संपूर्ण क्षत्रियों का नाश करने वाला होगा तब से शूद्र जातिय राजा राज्य करेंगे राजा महापद्म संपूर्ण पृथ्वी का एक छत्र और अनुल्लंघित राज्य शासन करेगा उसके सुमाली आज 8 पुत्र होंगे जो महापदम के बाद पृथ्वी का राज्य भोगेंगे-
*महानन्दिनस्ततश्शूद्रागर्भोद्भवो$तिबलो महापद्मनामा नन्दः परशुराम इवापरो$खिलक्षत्रान्तकारी भविष्यति।। ततः प्रभृति शूद्रा भूपाल भविष्यन्ति।।*
【वि०पु० च०अं०/अ०24वाँ/श्लो०20से24】
महापदम और उसके पुत्र 100 वर्ष तक पृथ्वी पर शासन करेंगे तदनंतर इन नवों नन्दों को *कौटिल्य नामक एक ब्राह्मण नष्ट करेगा उनका अंत होने पर मौर्य नृपति गण पृथ्वी का भोग करेंगे कौटिल्य मुरा नाम की दासी से नंद द्वारा उत्पन्न हुई चंद्रगुप्त को राज्याभिषिक्त करेगा।*
*ततश्च नव चैतान्नन्दान् कौटिल्यो ब्राह्मणस्समुद्धरिष्यति।। तेषामभावे मौर्याः पृथवीं भोक्ष्यन्ति।। कौटिल्य एव चन्द्रगुप्तमुत्पन्नं राज्ये$भिषेक्ष्यति।।*
【वि०पु० च०अं०/अ०24वाँ/श्लो०26से28】
*क्रमशः----*
*श्रीमहन्त*
*स्वामी हर्षित कृष्णाचार्य*
पुराण प्रवक्ता/ ज्योतिर्विद
*संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा /श्री राम कथा /श्रीमद् देवी भागवत कथा/ श्री महाभारत कथा कुंडली लेखन एवं फलादेश /यज्ञोपवीत वैवाहिक कार्यक्रम/ यज्ञ प्रवचन/ याज्ञिक मंडल द्वारा समस्त वैदिक अनुष्ठान*
*श्रीवासुदेव सेवा संस्थान*
द्वारा संचालित
*श्री जगदीश कृष्णा शरणागति आश्रम लखीमपुर खीरी* *संपर्क सूत्र:- 9648 76 9089*