🚩🔱🕉️⚛📿🔥 *छठी इंद्री को जागृत करने के 5 तरीके !*⚛
छठी इंद्री यानी सिक्स्थ सेंस को परामनोविज्ञान के विषय के रूप में भी माना जाता है.आज हम बात कर रहे हैं कि किस तरह आप भी अपने छठी इंद्री को जागृत कर सकते हैं और क्या होते हैं इसके परिणाम.इसके लिए उपनिषद, वेद और योग इत्यादि हिंदू ग्रंथों में कई उपाय बताएं है.
कहां होती है छठी इंद्री
हमारे मस्तिष्क के अंदर और कपाल के नीचे एक छिद्र होता है. उसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है. वहीं से सुषुम्ना रीढ़ से होकर मूलाधार तक पहुंची है. सुषुम्ना नाड़ी सहस्त्रकार से जुड़ी हुई है. शरीर के बाईं तरफ इड़ा नाड़ी स्थित है. तथा दाईं तरफ पिंगला नाड़ी स्थित है. और इन दोनों के बीच छठी इंद्री स्थित है. ये इंद्री हर किसी में सुप्तावस्था में मौजूद होती है.
छठी इंद्री जाग्रत होने मनुष्य में भविष्य को देखने की क्षमता विकसित होती है. अतीत में झांककर घटना की सच्चाई का पता आसानी से लग सकता है. कोसों दूर बैठे किसी दूसरे व्यक्ति की बात सुनी जा सकती है. लोगों के मन में जो भी विचार चल रहा है उसका शब्दश: पता चल जाता है. एक जगह ही बैठकर पूरी दुनिया के किसी भी जगह की जानकारी क्षण भर में पता लगाई जा सकती है. मतलब साफ है कि जिसकी भी छठी इंद्री जागृत है, उससे कुछ भी छुपा नहीं रह सकता.
छठी इंद्री आपकी हर तरह से सहायता करने को तैयार होती है. बस जरूरत है आपको इसके लिए समर्पित होने की. ये आपको आपके साथ होने वाली घटनाओं की जानकारी आपको पहले हीं देकर आपको सजग करने में सक्षम है. और इस कारण आप उस होने वाले घटना को टालने के उपाय खोजने में सफल हो पाएंगे. इसकी सहायता से दूसरों की भी तकलीफ को दूर करने की क्षमता हासिल हो जाती है.
वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा है कि छठी इंद्रिय की बात कल्पना मात्र नहीं है. बल्कि ये एक वास्तविकता है. जो हमें भविष्य में होने वाली घटना का पूर्वाभास कराती है.
1. प्राणायाम के अभ्यास से चुकी हमारी दोनों बाहों के बीच छठी इंद्री स्थित होती है. इसलिए प्रणायाम सबसे उत्तम उपाय माना गया है. सुषुम्ना नाड़ी के जागृत होने के कारण छठी इंद्री जागृत होती है. प्रणायाम के माध्यम से 6 महीने के अंदर छठी इंद्री को जाग्रत किया जा सकता है. इसलिए अगर आप अपनी छठी इंद्री को जागृत करना चाहते हैं तो 6 महीने के लिए दुनियादारी से आपको अलग होना पड़ेगा.
सुषुन्मा, पिंगला और इड़ा के अलावा हमारे शरीर में इन सभी नाड़ियों का सशक्तिकरण प्रणायाम और आसनों के द्वारा हीं किया जा सकता है. इन सभी नाड़ियों की सशक्तिकरण और शुद्धिकरण के बाद हीं नाड़ियों की शक्ति को जागृत कर सकते हैं.
2. ध्यान के अभ्यास से
भृकुटी के बीच निरंतर ध्यान करते रहने से आज्ञाचक्र जाग्रत होने लगती है. जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाने में मददगार होता है. कहते हैं कि निरंतर गहरे ध्यान प्रयोग से खुद हीं जागृत होने लगती है. हर रोज 40 मिनट का ध्यान इसमें लाभदायक सिद्ध हो सकता है.
3. सेल्फ हिप्नोटिज्म से
छठी इंद्री
हिप्नोटिज्म या मेस्मेरिज्म जैसी अनेकों विद्याएं छठी इंद्री को जागृत करने के लिए एक सरल रास्ता है. लेकिन इसके कुछ खतरे भी हैं. हिप्नोटिज्म को सम्मोहन कहा जाता है. और इसी सम्मोहन विद्या को ‘प्राण विद्या’ या ‘त्रिकाल विद्या’ के नाम से प्राचीन समय से पुकारा जाता है. आत्म सम्मोहन को सेल्फ हिप्नोटिज्म कहा जाता है. आत्म सम्मोहन की शक्ति पाने के लिए कई तरीके इस्तेमाल होते हैं.
4. त्राटक क्रिया से
त्राटक क्रिया के द्वारा भी आप अपनी छठी इंद्री को जागृत कर सकते हैं. जितनी देर आप बिना पलके किराए किसी एक वस्तु को देख सकें देखते रहें. और फिर अपनी आंखें बंद कर लें. लगातार कुछ समय तक इस तरह अभ्यास करते रहने से आपकी एकाग्रता बढ़कर धीरे-धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगेगी.सावधानी
लगातार त्राटक का अभ्यास करते रहने से मस्तिष्क और आंखों की गर्मी बढ़ती है. इसलिए त्राटक के अभ्यास के तुरंत बाद नेती क्रिया का अभ्यास करें. अगर आंखों में किसी तरह की तकलीफ महसूस हो तो इस क्रिया को ना करें. इस क्रिया को भी किसी अच्छे जानकार व्यक्ति से ही सीखें, क्योंकि इससे आत्मसम्मोहन घटित हो सकता है.
5. खुद के अभ्यास और बोध को बढ़ाएं
अगर हमें इस बात का एहसास होने लगे कि हमारे पीछे कोई आ रहा है. या आस – पास कोई खड़ा है. तो हमें समझ जाना चाहिए कि ये छठी इंद्री के होने की सूचना है. उसके संकेत के कारण व्यक्ति को इस बात का एहसास हो जाता है कि किसी बात का क्या परिणाम हो सकता है. इस तरह वो चमत्कारिक रुप से किसी दुर्घटना का शिकार होने से बच जाते हैं. क्योंकि उन्हें पूर्वाभास हो जाता है.अगर आप अपने एहसास पर गहराई से ध्यान देने लगेंगे तो पता कर पाएंगे कि पहले की अपेक्षा आपके पूर्वाभाष करने की क्षमता बढ़ने लगी है. जैसे-जैसे आप का अभ्यास गहराता जाएगा आप की छठी इंद्री जाग्रत होती चली जाएगी.
आप अपने एहसास को बढ़ाएं. जब आपकी यह आभास करने की क्षमता बढ़ने लगती है, तो वो पूर्वाभास में बदल जाती है. मन की यही स्थिरता और शक्ति छठी इंद्री के विकास में सहायक होती है!!
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