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कृष्ण भक्त

20 अगस्त 2020

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*बहुत ही प्रेरणाप्रद कथा*


*➖एक दरिद्र ब्राह्मण यात्रा करते-करते किसी नगर से गुजर रहा था , बड़े-बड़े महल एवं अट्टालिकाओं को देखकर ब्राह्मण भिक्षा माँगने गया , किन्तु उस नगर मे किसी ने भी उसे दो मुट्ठी अन्न नहीं दिया।*


*➖आखिर दोपहर हो गयी , तो ब्राह्मण दुःखी होकर अपने भाग्य को कोसता हुआ जा रहा था , सोच रहा था - “कैसा मेरा दुर्भाग्य है , इतने बड़े नगर में मुझे खाने के लिए दो मुट्ठी अन्न तक नहीं मिला ? रोटी बना कर खाने के लिए , दो मुट्ठी आटा तक नहीं मिला ?*


*➖इतने में एक सिद्ध संत की निगाह उस ब्राहम्ण पर पड़ी , उन्होंने ब्राह्मण की बड़बड़ाहट सुन ली , वे बड़े पहुँचे हुए संत थे , उन्होंने कहाः - “हे दरिद्र ब्राह्मण तुम मनुष्य से भिक्षा माँगो , पशु क्या जानें भिक्षा देना ?”*


*➖यह सुनकर ब्राह्मण दंग रह गया और कहने लगाः - “हे महात्मन् आप क्या कह रहे हैं ? बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं में रहने वाले मनुष्यों से ही मैंने भिक्षा माँगी है”!*


*➖महात्मा बोले , “नहीं ब्राह्मण मनुष्य शरीर में दिखने वाले वे लोग भीतर से मनुष्य नहीं हैं , अभी भी वे पिछले जन्म के हिसाब से ही जी रहे हैं। कोई शेर की योनी से आया है तो कोई कुत्ते की योनी से आया है , कोई हिरण की योनी से आया है तो कोई गाय या भैंस की योनी से आया है , उन की आकृति मानव-शरीर की जरूर है , किन्तु अभी तक उन में मनुष्यत्व निखरा नहीं है , और जब तक मनुष्यत्व नहीं निखरता , तब तक दूसरे मनुष्य की पीड़ा का पता नहीं चलता। "दूसरे में भी मेरा प्रभु ही है" यह ज्ञान नहीं होता। तुम ने मनुष्यों से नहीं , पशुओं से भिक्षा माँगी है”*।


*➖ब्राह्मण का चेहरा दुःख व निराशा से भरा था। सिद्धपुरुष तो दूरदृष्टि के धनी होते हैं उन्होंने कहाः - “देख ब्राह्मण , मैं तुझे यह चश्मा देता हूँ इस चश्मे को पहन कर जा और कोई भी मनुष्य दिखे , उस से भिक्षा माँग फिर देख , क्या होता है”!*


*➖वह दरिद्र ब्राह्मण जहाँ पहले गया था , वहीं पुनः गया और योगसिद्ध कला वाला चश्मा पहनकर गौर से देखाः!*


*‘ओहोऽऽऽऽ….वाकई कोई कुत्ता है कोई बिल्ली है तो कोई बघेरा है। आकृति तो मनुष्य की है , लेकिन संस्कार पशुओं के हैं , मनुष्य होने पर भी मनुष्यत्व के संस्कार नहीं हैं’। घूमते-घूमते वह ब्राह्मण थोड़ा सा आगे गया तो देखा कि एक मोची जूते सिल रहा है , ब्राह्मण ने उसे गौर से देखा , तो उस में मनुष्यत्व का निखार पाया।*


*➖ब्राह्मण ने उस के पास जाकर कहाः- “भाई तेरा धंधा तो बहुत हल्का है , औऱ मैं हूँ ब्राह्मण रीति रिवाज एवं कर्मकाण्ड को बड़ी चुस्ती से पालता हूँ , मुझे बड़ी भूख लगी है , इसीलिए मैं तुझसे माँगता हूँ , क्योंकि मुझे तुझमें मनुष्यत्व दिखा है”!*


*➖उस मोची की आँखों से टप-टप आँसू बरसने लगे वह बोलाः- “हे प्रभु , आप भूखे हैं ? हे मेरे भग्वन आप भूखे हैं ? इतनी देर आप कहाँ थे ?”*


*➖यह कहकर मोची उठा एवं जूते सिलकर टका , आना-दो आना वगैरह जो इकट्ठे किये थे , उस चिल्लर (रेज़गारी) को लेकर हलवाई की दुकान पर पहुँचा और बोलाः- “हलवाई भाई , मेरे इन भूखे भगवान की सेवा कर लो , ये चिल्लर यहाँ रखता हूँ जो कुछ भी सब्जी-पराँठे-पूरी आदि दे सकते हो , वह इन्हें दे दो मैं अभी जाता हूँ”!*


*➖यह कहकर मोची भागा , और घर जाकर अपने हाथ से बनाई हुई एक जोड़ी जूती ले आया , एवं चौराहे पर उसे बेचने के लिए खड़ा हो गया।*


*➖उस राज्य का राजा जूतियों का बड़ा शौकीन था , उस दिन भी उस ने कई तरह की जूतियाँ पहनीं , किंतु किसी की बनावट उसे पसंद नहीं आयी तो किसी का नाप नहीं आया , दो-पाँच बार प्रयत्न करने पर भी राजा को कोई पसंद नहीं आयी तो राजा मंत्री से क्रुद्ध होकर बोलाः-*


*➖“अगर इस बार ढंग की जूती लाया तो जूती वाले को इनाम दूँगा , और ठीक नहीं लाया तो मंत्री के बच्चे तेरी खबर ले लूँगा।”*


*➖दैव योग से मंत्री की नज़र इस मोची के रूप में खड़े असली मानव पर पड़ गयी जिस में मानवता खिली थी , जिस की आँखों में कुछ प्रेम के भाव थे , चित्त में दया-करूणा थी , ब्राह्मण के संग का थोड़ा रंग लगा था। मंत्री ने मोची से जूती ले ली एवं राजा के पास ले गया। राजा को वह जूती एकदम ‘फिट’ आ गयी , मानो वह जूती राजा के नाप की ही बनी थी। राजा ने कहाः- “ऐसी जूती तो मैंने पहली बार ही पहन रहा हूँ , किस मोची ने बनाई है यह जूती ?”*


*➖मंत्री बोला:- “हुजूर यह मोची बाहर ही खड़ा है”!*


*➖मोची को बुलाया गया। उस को देखकर राजा की भी मानवता थोड़ी खिली। राजा ने कहाः-*


*➖“जूती के तो पाँच रूपये होते हैं , किन्तु यह पाँच रूपयों वाली नहीं है , पाँच सौ रूपयों वाली जूती है। जूती बनाने वाले को पाँच सौ और जूती के पाँच सौ , कुल एक हजार रूपये इसको दे दो!”*


*➖मोची बोलाः- “राजा जी , तनिक ठहरिये , यह जूती मेरी नहीं है , जिसकी है उसे मैं अभी ले आता हूँ”! मोची जाकर विनयपूर्वक उस ब्राह्मण को राजा के पास ले आया एवं राजा से बोलाः- “राजा जी , यह जूती इन्हीं की है।*


*”राजा को आश्चर्य हुआ वह बोलाः- “यह तो ब्राह्मण है इस की जूती कैसे ? ”राजा ने ब्राह्मण से पूछा तो ब्राह्मण ने कहा मैं तो ब्राह्मण हूँ , यात्रा करने निकला हूँ”!*


*➖राजाः- “मोची जूती तो तुम बेच रहे थे , इस ब्राह्मण ने जूती कब खरीदी और बेची ?”*


*➖मोची ने कहाः- “राजन् मैंने मन में ही संकल्प कर लिया था कि जूती की जो रकम आयेगी वह इन ब्राह्मण देव की होगी। जब रकम इन की है तो मैं इन रूपयों को कैसे ले सकता हूँ ? इसीलिए मैं इन्हें ले आया हूँ। न जाने किसी जन्म में मैंने दान करने का संकल्प किया होगा , और मुकर गया होऊँगा , तभी तो यह मोची का चोला मिला है , अब भी यदि मुकर जाऊँ , तो तो न जाने मेरी कैसी दुर्गति हो ?*


*➖इसीलिए राजन् ये रूपये मेरे नहीं हुए। मेरे मन में आ गया था कि इस जूती की रकम इनके लिए होगी , फिर पाँच रूपये मिलते तो भी इनके होते और एक हजार मिल रहे हैं तो भी इनके ही हैं। हो सकता है मेरा मन बेईमान हो जाता इसीलिए मैंने रूपयों को नहीं छुआ और असली अधिकारी को ले आया!”*


*➖राजा ने आश्चर्य चकित होकर ब्राह्मण से पूछाः- “ब्राह्मण मोची से तुम्हारा परिचय कैसे हुआ ?*


*➖”ब्राह्मण ने सारी आप बीती सुनाते हुए सिद्ध पुरुष के चश्मे वाली बात बताई , और कहा कि राजन् , आप के राज्य में पशुओं के दर्शन तो बहुत हुए लेकिन मनुष्यत्व का अंश इन मोची भाई में ही नज़र आया।*


*➖”राजा ने कौतूहलवश कहाः- “लाओ , वह चश्मा जरा हम भी देखें। ”राजा ने चश्मा लगाकर देखा , तो दरबारियों में उसे भी कोई सियार दिखा तो कोई हिरण , कोई बंदर दिखा तो कोई रीछ। राजा दंग रह गया कि - यह तो पशुओं का दरबार भरा पड़ा है , उसे हुआ कि ये सब पशु हैं तो मैं कौन हूँ ? उस ने आईना मँगवाया एवं उसमें अपना चेहरा देखा तो शेर! उस के आश्चर्य की सीमा न रही , ‘ये सारे जंगल के प्राणी और मैं जंगल का राजा शेर यहाँ भी इनका राजा बना बैठा हूँ।’ राजा ने कहाः- “ब्राह्मणदेव योगी महाराज का यह चश्मा तो बड़ा गज़ब का है , वे योगी महाराज कहाँ होंगे ?”*


*➖ब्राह्मणः- “वे तो कहीं चले गये ऐसे महापुरुष कभी-कभी ही और बड़ी कठिनाई से मिलते हैं।”श्रद्धावान ही ऐसे महापुरुषों से लाभ उठा पाते हैं , बाकी तो जो मनुष्य के चोले में पशु के समान हैं वे महापुरुष के निकट रहकर भी अपनी पशुता नहीं छोड़ पाते।*


*➖ब्राह्मण ने आगे कहाः- "राजन् अब तो बिना चश्मे के भी मनुष्यत्व को परखा जा सकता है। व्यक्ति के व्यवहार को देखकर ही पता चल सकता है कि वह किस योनि से आया है।*


*➖एक मेहनत करे और दूसरा उस पर हक जताये तो समझ लो कि वह सर्प योनि से आया है , क्योंकि बिल खोदने की मेहनत तो चूहा करता है , लेकिन सर्प उस को मारकर बल पर अपना अधिकार जमा बैठता है।”अब इस चश्मे के बिना भी विवेक का चश्मा काम कर सकता है , और दूसरे को देखें उसकी अपेक्षा स्वयं को ही देखें कि हम सर्पयोनि से आये हैं कि शेर की योनि से आये हैं या सचमुच में हममें मनुष्यता खिली है ? यदि पशुता बाकी है तो वह भी मनुष्यता में बदल सकती है कैसे ?*


*गोस्वामी तुलसीदाज जी ने कहा हैः-*


*बिगड़ी जनम अनेक की , सुधरे अब और आजु।*

*तुलसी होई राम को , रामभजि तजि कुसमाजु।।*


*➖कुसंस्कारों को छोड़ दें… बस अपने कुसंस्कार आप निकालेंगे तो ही निकलेंगे। अपने भीतर छिपे हुए पशुत्व को आप निकालेंगे तो ही निकलेगा। यह भी तब संभव होगा जब आप अपने समय की कीमत समझेंगे मनुष्यत्व आये तो एक-एक पल को सार्थक किये बिना आप चुप नहीं बैठेंगे। पशु अपना समय ऐसे ही गँवाता है। पशुत्व के संस्कार पड़े रहेंगे तो आपका समय बिगड़ेगा अतः पशुत्व के संस्कारों को आप बाहर निकालिये एवं मनुष्यत्व के संस्कारों को उभारिये फिर सिद्धपुरुष का चश्मा नहीं, वरन् अपने विवेक का चश्मा ही कार्य करेगा और इस विवेक के चश्मे को पाने की युक्ति मिलती है हरि नाम संकीर्तन व सत्संग से!तो हे आत्म जनों, मानवता से जो पूर्ण हो, वही मनुष्य कहलाता है।बिन मानवता के मानव भी, पशुतुल्य रह जाता है।*


*जय श्रीमन्नारायण*


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गुरु ही सर्वस्व है

29 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *भाग:-१* *गुरु ही सफलता का स्रोत*🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 गुरु चाहते हैं कि शिष्य दिव्यता के इस मार्ग पर अग्रसर हो और तुम इस पद पर पहुंच जाओगे तो तुम्हें अपने आप एहसास होगा तुम्हें संतोष होगा कि तुम इस पद पर खड़े हो औरों को तो इस पद का ज्ञान भी नहीं है वह पत्र जहां

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गुरु ही सफलता का स्रोत

30 जुलाई 2021
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*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌲🥀🌲🥀🌲🥀🌲🥀 *जय श्रीमन्नारायण* *भाग:-२*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿इस दुनिया के लिए एक और शब्द है संसार संसार शब्द दो शब्दों के सहयोग से बना है सम सार इसका अर्थ है कि जो अवस्था मेरी प्रकृति के अनुरूप है वही संसार है इसलिए अगर मैं कामों को हूं तो सुंदर स्त्री को देखने में अ

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गुरु ही सफलता का स्रोत

31 जुलाई 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-----३*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿 *गतांक से आगे*---- *क्या गुरु का भी ऋण होता है*--------तो उत्तर आएगा हां शिष्य अपने गुरु का ऋण कभी उतार ही नहीं सकता अपने माता-पिता का ऋण उतार सकता है अपने स्वजनों का ऋण उतार सकता है क्योंकि उनसे उसके देश

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गुरु हि सफलता का स्रोत

1 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गुरु ही सफलता का स्रोत*🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼 *भाग:-४* *गतांक से आगे------* *अनुभवति हि मूर्ध्ना पादपस्तीव्रमुष्णं।**शमयति परितापमं छायया संश्रितानाम्।।*(अभिज्ञान शाकुंतलम:५/7)अर्थात:- वृक्ष अपने सिर से तो तीव्रउष्णता का अनुभव करता है पर अपने आश्रितों के ताप को छाया से

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बिल्वपत्र पूजन 108 मन्त्र

1 अगस्त 2021
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*महादेव की बिल्व पत्रों से पूजा*〰〰🌼〰🌼〰🌼〰〰त्रिदेवों में भगवान शिव को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाला माना गया है। भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ और ‘औघड़’ माना गया है जिसका तात्पर्य यह है कि वो किसी को बहुत अधिक परेशान नहीं देख सकते और भक्त की थोड़ी सी भी परेशानी उनकी करुणा को जगा देती है।नीलकंठ रूपेण करुणामय

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गुरु हि सफलता का स्रोत

2 अगस्त 2021
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*श्री यतिराजाय नमः*🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺 *गुरु हि सफलता का स्रोत**भाग ५:-----**गतांक से आगे:----*गुरु के बारे में शास्त्र में कहा गया है--*गुरूर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः! गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः*अर्थात:- वास्तव में ही पूर्णता का दूसरा नाम गुरु है अष्ट महा सिद्धियां गुर

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नियमावली

3 अगस्त 2021
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🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥🌺🍥 ‼️ *श्री राधे कृपा हि सर्वस्वम* ‼ *नियम एवं प्रतिज्ञा* ♦🍀♦🍀♦🍀♦🍀♦️🍀♦️🍀 *मित्रों यह समूह बनाने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि जिन्हें हम भूलते जा रहे हैं उन सनातन परम्पराओं को हम पुन: जीवित कर सकें। सभी भगवत्प्रेमियों को एक

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷 *गुरु ही सफलता का स्रोत**भाग:-६*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*गतांक से आगे:------*संसार में दुख हैं हर दुख का कारण है और हर दुख का निवारण भी है गुरु की कृपा प्राप्त करने का सरल उपाय ही दीक्षा है और शिष्य का धर्म यही है की पुनः पुनः गुरु चरणों में उपस्थित होकर दीक्षा द

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गुरु ही सफलता का स्रोत

4 अगस्त 2021
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‼️ *श्रीमते रामनुजाय नमः* ‼️💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹 *🌹🌹गुरु ही सफलता का स्रोत 🌹🌹*🦚 *भाग ७*🦚*गतांक से आगे------**शिष्य कितना भी क्षमता वान क्यों ना हो जाए उस का साधन आत्मक स्तर कितना भी उच्च क्यों ना हो जाए चाहे उसमें ब्रह्मांड को दोबारा रचने की क्षमता ही क्यों ना आ जाए तब भी वह सद्गुरु के सामने शिशु

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गुरु ही सफलता का स्रोत भाग:-८

5 अगस्त 2021
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*‼️जय श्रीमन्नारायण‼️*🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 *‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ८:-------*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*गतांक से आगे:----**ब्रह्मज्ञान बिनु नारि नर कहहिं न दूसरि बात।**कौड़ी लागि लोभबस करहि बिप्र गुर घात।।'*🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹*अर्थात:-*(स्त्री-पुरुष ब्रह्मज्ञान के सिवा दूसरी बात ही नहीं कहते और

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गुरु ही सफलता का स्रोत

6 अगस्त 2021
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*श्रीयतिराजाय नमः*🦜🦚🦜🦚🦜🦚🦜🦚*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत‼️* *भाग:-९**गतांक से आगे:----------**ब्रम्हाण्ड रश्मिनिकरेश्वनु गुज्जछदमात।**यस्य स्तुतीं प्रकृतिरेव स्वयं करोति।**गायन्ति यां ऋषिजनाः सुजनाश्च तं वै।**तं वन्दे रामानुजस्य चरणारविन्दम।।*जिनकी स्तुति स्वयं प्रकृति भी करती है उस स्तुति का

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गुरु ही सफलता का स्रोत

7 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿🌿☘️ *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत‼️**भाग १०:--**गतांक से आगे:-------*शिष्य का जीवन गुरु से जोड़कर ही पूर्ण बनता है जीवन की यात्रा तो संसार में जिसने भी जन्म लिया है वह करता ही है लेकिन कितने व्यक्ति इस जीवन में पूर्णता प्राप्त करते हैं यह ज्यादा महत्वपूर्ण है शास्त

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गुरु ही सफलता का स्रोत

8 अगस्त 2021
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*🦚 जय श्रीमन्नारायण🦚*🌼🌞🌼🌞🌼🌞🌼🌞 *‼️ गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग ११*🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌲☘️🌿*गतांक से आगे:-------* *यस्मान् महेश्वरः साक्षात कृत्वा मानुष विग्रहं।**कृपया गुरुरूपेण मग्नाः प्रोद्धरति प्रजा:।।**अर्थात:--*स्वयं परमेश्वर मानव मूर्ति धारण करके कृपया पूर्वक गुरु रूप में माया में म

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गुरु ही सफलता का स्रोत

10 अगस्त 2021
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*श्रीमते रामानुजाय नमः*🌲🌿🌲🌿🌲🌿🌲🌿*‼️गुरु ही सफलता का स्रोत ‼️**भाग १२:--**गतांक से आगे:-------*जीवन पौरुष के साथ जीने के लिए प्राप्त हुआ है और वह पौरुष गुरुद्वारा प्रदत्त ज्ञान का पूर्ण रूप से पकड़ कर ही प्राप्त हो सकता है। सद्गुरु हर जीवन में साथ रहते हुए उस मार्ग पर ले जाते हैं जो पूर्णता का,

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आपकी जिज्ञासाएं? हमारे समाधान

12 अगस्त 2021
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*श्रीमते यतिराजाय नमः**‼️ आपकी जिज्ञासायें ?? हमारे समाधान‼️*🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷*भाग १:---**प्रश्न:- गुरु दीक्षा क्या जरूरी है ??गुरु दीक्षा के कितने रूप हैं ??जब सीखना ही है तो दीक्षा के बिना भी तो सीखा जा सकता है तो दीक्षा के द्वारा गुरु एवं शिष्य के बीच कौन सा संबंध स्थापित हो जाता है**उत्तर:- सा

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आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।

13 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🌹🌼🌹🌼🌹🌼🌹🌼*‼️आपकी जिज्ञासाएं??हमारे समाधान।‼️**🦚भाग :-2**गतांक से आगे:----*केवट का गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं अपितु स्वयं भगवान भोलेनाथ थे पूर्व जन्म में जब वह परिवार के भरण-पोषण के लिए शिकार करता था एक दिन भूख और प्यास से व्याकुल जंगल में भटकता रहा और शिकार नहीं मिला हाथों

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आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान।

15 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳*‼️आपकी जिज्ञासाएं?? हमारे समाधान‼️*💐💐💐💐💐💐💐💐*भाग ३ :-**गतांक से आगे:--------*शिष्य का गुरु के प्रति एक कर्तव्य है और इसी प्रकार गुरु का भी शिष्य के प्रति एक कर्तव्य है शिष्य का मतलब है अनुशासन और पूर्ण समर्पण इसी प्रकार गुरु का भी तात्पर्

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आपकी जिज्ञासाएँ??हमारे समाधान। भाग 4

18 अगस्त 2021
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*जय श्रीमन्नारायण*☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?? हमारे समाधान‼️**भाग ४:-*🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺🌷🌺*गतांक से आगे:---------**प्रश्न:- क्या गुरु ईष्ट हो सकता है?**उत्तर:-* इष्ट का तात्पर्य एक ऐसी सत्ता से है जो उसके जीवन में सर्वोच्च है और जिस में लीन हो जाना वह अपना गौरव समझता है यदि शिष्य की भावना है

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प्रणाम करने का तरीका

25 अगस्त 2021
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<p>★★★प्रणाम निषेध ★★★</p> <p>°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°</p> <p>१_दूरस्थं जलमध्यस्थं धावन्तं धनगर्व

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छठी इंद्री

26 अगस्त 2021
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<p>🚩🔱🕉️⚛📿🔥 *छठी इंद्री को जागृत करने के 5 तरीके !*⚛</p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

20 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p>🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿</p> <p>एक बार पुनः आप लोगों की सेवा में प्रेषित ह

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श्राद्ध कब और कैसे

21 सितम्बर 2021
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<p>पक्ष विशेष</p> <p>〰〰🌸〰〰</p> <p>एकैकस्य तिलैर्मिश्रांस्त्रींस्त्रीन</p> <p>दद्याज्जलाज्जलीन।</p>

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आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान

22 सितम्बर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

24 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीमते रामानुजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>*‼️आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान‼️*</p> <p><br></p> <p>

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

26 सितम्बर 2021
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<p>*श्रीयतिराजाय नमः*</p> <p><br></p> <p>☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️</p> <p><br></p> <p> *‼️आपकी जिज्ञास

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आपकी जिज्ञासाएँ?हमारे समाधान

1 अक्टूबर 2021
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<p><br></p> <figure><img src="https://shabd.s3.us-east-2.amazonaws.com/articles/611d425242f7ed561c89

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पितृ दोष

2 अक्टूबर 2021
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<p>*🕉हिन्दू संस्कार🕉*</p> <p><br></p> <p>पितृ दोष लक्षण,कारण एवं निवारण</p> <p>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

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भोजन करने का नियम

12 नवम्बर 2021
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<p>*खड़े होकर भोजन करने से हानियाँ*</p> <p>🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹</p> <p>*आजकल सभी जगह शादी-पार्टियों

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अयोध्या नाथ की लीला

26 नवम्बर 2021
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<p>*श्री अयोध्या जी के दशरथ महल की सत्य घटना*</p> <p><br></p> <p><br></p> <p>श्री अयोध्या जी में 'कन

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भक्त भगवान की प्रेम लीला

6 जनवरी 2022
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ठाकुर जी के प्रेमी भक्त 'श्री जयकृष्ण दास बाबा जी' के जीवन का एक सुंदर प्रसंग गोपाल की उल्टी रीति है। अगर कोई बुलाता है तब भी उसके पास नहीं जाते, और कभी कोई नहीं भी बुलाता तो उसके पास जरूर जाते हैं।

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श्रीवैष्णव तिलक महत्व

9 मार्च 2022
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*जय श्रीमन्नारायण* 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *श्री वृंदावन धाम की जय* अगर कोई कंठीधारी कृष्णभक्त या वैष्णव जो उर्धव-पुन्ड्र वैष्णव तिलक लगाकर किसी के घर भोजन करता है, तो उस घर के 20 पीढ़ियों को मैं (

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हनुमानजी का कर्ज

16 मई 2022
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(((( हनुमान जी का कर्जा )))) . रामजी लंका पर विजय प्राप्त करके आए तो, भगवान ने विभीषण जी, जामवंत जी, अंगद जी, सुग्रीव जी सब को अयोध्या से विदा किया।  . सब ने सोचा हनुमान जी को प्रभु बाद में बिदा करेंग

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लहसुन प्याज क्यों नहीं खाना चाहिए

28 जून 2022
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प्रश्नकर्ता - लहसुन-प्याज खाना चाहिए अथवा नहीं ? श्री बागेश्वर धाम सरकार एवं श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने इस सन्दर्भ में परस्पर विरोधी वक्तव्य दिये हैं, कृपया समाधान करें। निग्रहाचार्य श्रीभागवता

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सनातन संस्कृति पर भू माफियाओं का कब्जा

15 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[प्रथम भाग]* आज बहुत दिन बाद पुनः धारावाहिक

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ तृतीय भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

17 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ द्वितीय भाग]*    कल के लेख में  आपने पढ़ा

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सनातन संस्कृति पर भू माफिया ओं का कब्जा

18 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात अतिक्रमण

19 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ चतुर्थ भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण

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सनातन संस्कृति पर बलात कब्जा

20 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ पंचम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थलों पर भूमाफियाओं का कब्जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन संस्कृति व धर्मस्थल और आश्रमों पर भू माफियाओं का बलात कब जा

23 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ षष्ठम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

24 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ अष्टम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

25 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ नवम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*

30 सितम्बर 2022
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*श्रीमते रामानुजाय नमः* 🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿☘️🌿    *!! विषय!!* *सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण* *( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)* *[ दशम भाग]*             *जय श्रीमन्नारायण*  

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