*जय श्रीमन्नारायण*
*श्रीमद गुरु चरणकमलेभ्यो नमः*
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*श्री गुरु पूर्णिमा विशेष*
*भाग षष्ठ*
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आप सभी भगवत भक्तों को पावन गुरु पूर्णिमा महापर्व की हार्दिक बधाई बहुत-बहुत शुभकामनाएं अनेकानेक अमंगल अनुशासनम आज का पावन पर्व वह पर्व है जिस दिन गुरु अपने शिष्य को शक्तिपात दीक्षा देकर नारायण की शरणागति करके शक्तिपुंज के रूप में नया जीवन प्रदान करता है आज का यह पर्व संस्कार संस्कृति अनुशासन एवं गुरु शिष्य के प्रेम का प्रतीक है उनके एकत्व का प्रतीक है आज के दिन गुरु और शिष्य एक हो जाते हैं अर्थात उनकी आत्मा ए एकाकार हो जाती है आज गुरु अपने शिष्य को नया जीवन देकर मोक्ष का गामी बनाता है मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है उसके जीवन में तेज भगवत कृपा ममता प्रभु चरणों से ने प्रविष्ट करा कर जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है गुरु के सानिध्य में पहुंचने के बाद शिष्य गुरु चरणों में समर्पित होकर उनके बताए गए मार्ग का अनुकरण करें और गुरु की सेवा उनका अनुशीलन शिष्य के मन में केवल एक ही भाव हो कि जो भी है वह हमारे गुरु की कृपा है सब कुछ गुरुदेव को समर्पित है और जब सर्वस्व समर्पण करके शिष्य गुरु चरणों में समर्पित हो जाता है तो भगवान को प्राप्त करने में जरा भी देर नहीं लगती और इसके साथ साथ गुरु का भी कर्तव्य है कि वह अपने शिष्य को पुत्रवत स्नेह है दे कर उसका पालन मार्गदर्शन आदि करें गुरु वही है जहां छल नहीं है कपट नहीं है वैसे नहीं है ईर्ष्या नहीं है तभी गुरु और शिष्य की परंपरा का निर्वहन निर्बाध रूप से होता है जिसमें द्वेष लालच मिथ्या अभिमान कपट प्रपंच आदि है तो वह गुरु गुरु पद के योग्य नहीं है और वह शिष्य शिष्य बनने के लायक नहीं है शास्त्र कहता है
*धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः । तत्त्वेभ्यः सर्वशास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते ॥*
भावार्थ :-
धर्म को जाननेवाले, धर्म मुताबिक आचरण करनेवाले, धर्मपरायण, और सब शास्त्रों में से तत्त्वों का आदेश करनेवाले गुरु कहे जाते हैं
पावन सनातन धर्म में सभी गुरुजनों ने अपना जीवन शिष्यों के शिक्षण पालन अनुशीलन मार्गदर्शन भागवत भजन आदि में ही व्यतीत कर दिया शीशा अवतार परम पूज्य अनंत विभूषित श्री यति राज स्वामी रामानुजाचार्य जी ने इस पावन श्री वैष्णव धर्म विशिष्ट अद्वैत भयंकर वाद शाखा को आगे बढ़ाते हुए माता लक्ष्मी जी का स्थापित किया हुआ सनातन धर्म श्री वैष्णव संप्रदाय को पुनर्स्थापित कर हम लोगों पर भगवत भक्तों पर असीम कृपा की है परम पूज्य स्वामी जी को शत शत नमन शत शत प्रणाम करते हुए उनके चरण कमलों की वंदना यह दिन यह जीवन सर्वस्व वैष्णव धर्म को एवं गुरु चरणों में समर्पित करते हुए अपनी लेखनी को विराम देते हैं जय जय श्रीमन्नारायण जय जय श्री सीताराम
*श्री महंत हर्षित कृष्णाचार्य*
*श्री जगदीश कृष्ण श्री वैष्णव शरणागति आश्रम*
*लखीमपुर खीरी*
*संपर्क सूत्र 9648 7690 89*