*श्रीमते रामानुजाय नमः*
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*!! विषय!!*
*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*
*( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)*
*[ दशम भाग]*
*जय श्रीमन्नारायण*
गतांक में आप लोगों ने पढ़ा यवन आदि राजाओं के बारे में अब आगे मगध प्रदेश में विश्व स्फटिक नामक राजा अन्य वर्णों को प्रवृत्त करेगा वह कैवर्त , वटु, पुलिन्द और ब्राह्मणों को राज्य में नियुक्त करेगा । सम्पूर्ण क्षत्रिय जाति को उच्छिन्न कर पद्यमा वती पुरी में नागगण तथा गङ्गा के निकटवर्ती प्रयाग और गया में मागध और गुप्त राजा लोग राजभोग करेंगे। कोशल, आंध्र , पुण्ड्र , ताम्रलिप्त और समुद्रतटवर्तिनी पुरी की देव रक्षित नामक एक राजा रक्षा करेगा कलिंग , माहिष और भौम आदि देशों को गुह नरेश(आदि वासी) भोगेंगे।। नैषध,नैमिषक और कालकोशक आदि जनपदों को मणि-धान्यक-वंशीय राजा भोगेंगे। त्रैराज्य और मुषिक देशोंपर कनक नामक राजा का राज्य होगा। सौराष्ट्र, अवन्ति, शूद्र,आभीर तथा नर्मदा-तटवर्ती मरुभूमि पर व्रात्य द्विज, आभीर और शूद्र आदिका आधिपत्य होगा। समुद्र तट , दाविकोर्वी, चन्द्रभागा और काश्मीर आदि प्रदेशों का व्रात्य, म्लेच्छ और शूद्र आदि राजा गण भोग करेंगे। यह संपूर्ण राजा लोग पृथ्वी में एक ही समय में होंगे यह थोड़ी प्रसन्नता वाले अत्यंत क्रोधी सर्वदा अधर्म और मिथ्या भाषण में रुचि रखने वाले स्त्री बालक और गौओं की हत्या करने वाले पर धन हरण में रुचि रखने वाले अल्प शक्ति तमःप्रधान उत्थान के साथ ही पतन सील अल्पायु महती कामना वाले अल्प पुण्य और अत्यंत लोभी होंगे यह संपूर्ण देशों को परस्पर मिला देंगे तथा उन राजाओं के आश्रय से ही बलवान और उन्हीं के स्वभाव का अनुकरण करने वाले मलेच्छ तथा आर्य विपरीत आचरण करते हुए सारी प्रजा को नष्ट भ्रष्ट कर देंगे।
*तैश्च विमिश्रा जनपदास्तच्छीलानुवर्त्तिनो राजाश्रयशुष्मिणो म्लेच्छाश्चार्याश्च विपर्ययेण वर्त्तमानाः प्रजाः क्षपयिष्यन्ति।।*
*ततश्चानुदिनमल्पापह्रासव्यवच्छेदाद्धर्मार्थयोर्जगतस्संङ्क्षयो भविष्यति।।*
*ततश्चार्थ एवाभिजनहेतुः।।*
(श्रीवि० पु० /च०अं०/ 24वाँ अ०/ श्लो०72 से74तक)
तब दिन दिन धर्म और अर्थ का थोड़ा थोड़ा ह्रास तथा क्षय हो जाएगा उस समय अर्थ ही कुलीनता का हेतु होगा बल ही संपूर्ण धर्म का हेतु होगा
*क्रमशः----*
*श्रीमहन्त*
*स्वामी हर्षित कृष्णाचार्य*
पुराण प्रवक्ता/ ज्योतिर्विद
*संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा /श्री राम कथा /श्रीमद् देवी भागवत कथा/ श्री महाभारत कथा कुंडली लेखन एवं फलादेश /यज्ञोपवीत वैवाहिक कार्यक्रम/ यज्ञ प्रवचन/ याज्ञिक मंडल द्वारा समस्त वैदिक अनुष्ठान*
*श्रीवासुदेव सेवा संस्थान*
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*श्री जगदीश कृष्णा शरणागति आश्रम लखीमपुर खीरी* *संपर्क सूत्र:- 9648 76 9089*