*जय श्रीमन्नारायण*
*‼️ आपकी जिज्ञासाएँ? हमारे समाधान‼️*
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*भाग :-2*
*गतांक से आगे----*
*प्रश्न:-किसी संकल्प अथवा साधना के पूर्व तीन बार हरि:ॐ क्यों बोला जाता है?*
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*उत्तर:-*----- मंत्र अनुष्ठानों में प्रारंभ करने से पूर्व प्रबुद्ध साधक तीन बार हरि ओम का पूरे स्वर से व एकाग्रता से गुंजा रण करते हैं उनकी यह क्रिया वेद सम्मत भी है *वैदिक प्रणाली के अनुसार मंत्रों एवं वैदिक ऋचाओं का अशुद्ध उच्चारण करने से महा पातक लगता है*
साधक के अति सावधान वाह सतर्क रहने पर भी आलस्य बस अथवा साधना में पूर्ण एकाग्रता ना होने से मंत्र उच्चारण में अस्पष्टता या अशुद्ध आ जाना स्वाभाविक है किसी संभावित दोस्त की निवृत्ति के लिए ऋषि यों ने मंत्र अनुष्ठान अथवा वेद पाठ आदि के पूर्व एवं समापन पर *हरि ॐ* शब्द का उच्चारण करने को उचित एवं अनिवार्य बताया है शास्त्र कहते हैं
*मन्त्रतस्तंत्रश्छिद्रं देशकालार्हवस्तुतत:।*
*सर्वं करोति निश्छिद्रं नामसंकीर्तनं हरेः।।*
अर्थात मंत्र उच्चारण विधि विधान देशकाल और वस्तु की कमी के कारण साधना अनुष्ठानों में जो कमी हो जाती है वह हरि एवं आदि मंत्र प्रणव के गुंजा रण से वे बाधाएं या कमियां सभी दूर हो जाती है मंत्र जप में मन का एकाग्र होना भी आवश्यक है तभी अपेक्षित लाभ मिल पाता है और हरि ॐ के तीन बार पूरी सांस खींचते हुए गुंजा रण करने से एक तरह की ध्यान अवस्था में साधक स्थित हो जाता है जिस में अवस्थित रहकर वह दीर्घकाल तक जप में लीन हो जाता है उसके आसपास का वातावरण भी गुंजा रण के प्रभाव से ध्यानास्थ हो जाता है अतः हरि ॐ का गुंजा राण साधक को अपने दैनिक साधन आत्मक क्रिया में सम्मिलित करना
ही चाहिए।
*मैं श्रीमहन्त हर्षित कृष्णाचार्य* जहां तक मेरा मानना है प्रत्येक कार्य में हरि ॐ का उच्चारण करना ही चाहिए इसके करने से साधनात्मक व अनुष्ठान आत्मक समस्त क्रियाओं में अशुभता हटकर विघ्न बाधाएं समाप्त होकर शुभता बढ़ जाती है जिससे हमारे समस्त कार्य निर्विघ्नं एवं निर्बाधित रूप से संपन्न होते हैं और हमें देव अर्चन अथवा अपने समस्त कार्यों को करने की एक असीम एवं दिव्य शक्ति प्राप्त होती है इसलिए हमारे पूर्व आचार्यों ने एवं ऋषि यों ने इस परंपरा को लागू किया और आज तक वह परंपरा गुरु परंपरा के रूप में निर्धारित ढंग से चल रही है आज भी छोटा या बड़ा कोई भी अनुष्ठान साधना पूजन मंत्र जप प्रारंभ करने से पहले भगवान नारायण श्री हरि एवं आदि मंत्र प्रणव का उच्चारण किया जाता है जिससे हमें एक आध्यात्मिक बल एवं तेज प्राप्त होता है जिसके द्वारा हमारे सारे अनुष्ठान साधनाएं संपन्न होकर हमें मनोवांछित फल प्रदान करती हैं इसीलिए प्रत्येक कार्य से पहले भगवान श्री हरि प्रणव मंत्र का उच्चारण किया जाता है मंत्रों का गुंजारा तरंगों के माध्यम से अंतरिक्ष तक गुंजायमान होता है और अनंत काल तक सुरक्षित रहता है जिससे वायु भी शुद्ध हो जाती है ब्रह्मांड का प्रत्येक कण तेज को प्राप्त करता है और हमें जीवनी शक्ति प्रदान करता है जब हम पूरे जोर के साथ हरि ॐ का उच्चारण करते हैं तो हमारी नाभि और मांस पेशियां खिंचाव करती हैं जिससे नाभि की समस्त वायु खींच कर बाहर निकलती है नाभि स्थल रिक्त हो जाता है और जब खिंचाव होता है तो समस्त प्रकार की विद्युत तेजस तरंग कुंडलिनी शक्ति प्रथम चक्र से निकल कर के नाभि चक्र की तरफ गमन करती है जिससे हमारे मंत्रों में हमारे शरीर में हमारे वातावरण में तेज और शुद्धता का संचालन होता है एक बात और कहना चाहूंगा जैसे हम शंख होते हैं बजाते हैं उस समय हमारे फेफड़ों को हमारे हृदय को बल प्राप्त होता है उनका व्यायाम हो जाता है उसी तरीके से जब हम पूरी शक्ति के साथ हरि ॐ का उच्चारण करते हैं तब भी हमारे हृदय हमारे आज्ञा चक्र कंठ फेफड़े आदि व्यायाम के साथ-साथ शक्ति युक्त हो जाते हैं और हमें साधनात्मक बल की प्राप्ति होती है शास्त्र कहते हैं
*तदेव लग्नं सुदिनं तदेव तारा बलं चंद्र बलं तदेव।*
*विद्या बलं देव बलं तदेव लक्ष्मीपते तैञ्र्घियुगंस्मरामि*
अर्थात वह दिन वह लगन तारा बल चंद्र बल विद्या बल देव बल सभी तब प्राप्त हो जाते हैं जब भगवान श्री लक्ष्मी नारायण जी का ध्यान करके कोई भी कार्य किया जाता है फिर वह कार्य निष्फल हो ही नहीं सकता उसमें किसी प्रकार की बाधा आ नहीं सकती कोई समस्या आ नहीं सकती कोई व्यवधान हो नहीं सकता इसीलिए हमारी गुरु परंपरा एवं पूर्व आचार्यों के द्वारा यह नियम बनाए गए जो आज भी निर्धारित रूप से लागू हो रहे हैं हम आज भी स्वयं और शिष्यों को प्रेरित करके उस परंपरा को निभाते हैं हर किसी को प्रत्येक कार्य चाहे वह अलौकिक हो अथवा भौतिक हो हरि ॐ का उच्चारण करने के बाद ही प्रारंभ करना चाहिए।। क्रमशः----
*जय श्रीमन्नारायण* *श्रीमहंत*
*हर्षित कृष्णाचार्य*
*प्रवक्ता*
*संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा एवं श्री राम कथा व ज्योतिष फलादेश कर्ता*
*श्री जगदीश कृष्ण शरणागति आश्रम लखीमपुर- खीरी उत्तरप्रदेश*
*मो0:-9648769089*