*श्रीमते रामानुजाय नमः*
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*!! विषय!!*
*सनातन धर्म और धर्म स्थलों पर बलात अतिक्रमण*
*( सनातन धर्म स्थलों पर भू माफियाओं का कब्ज़ा जा)*
*[ द्वितीय भाग]*
कल के लेख में आपने पढ़ा पृथ्वी को लाने के लिए सारे देव असमर्थ हुए वह जाकर के छीर सागर के पास भगवान नारायण से प्रार्थना करने लगे *अब आगे*---
श्रीमद् भागवत जीके तृतीय स्कंध में वर्णन आता है जिस समय महाराज मनु ब्रह्मा जी के पास गए और कहा पाप का नाश करने वाले पिताजी मैं आपकी आज्ञा का पालन अवश्य करूंगा किंतु आप इस जगत में मेरे और मेरी भावी प्रजा के रहने के लिए स्थान बतलाइए देव सब जीवो का निवास स्थान पृथ्वी इस समय जल में डूबी हुई है आप इस देवी के उद्धार का प्रयत्न कीजिए पृथ्वी को अथाह जल राशि में डूबा हुआ देखकर ब्रह्माजी बहुत देर तक विचार करते रहे इसे कैसे निकालूं तभी अचानक से उनके नासा छिद्र से अकस्मात अंगूठे के बराबर आकार का एक वराह शिशु निकला बड़े आश्चर्य की बात तो यह हुई आकाश में खड़ा हुआ वह वराह इस ब्रह्मा जी के देखते ही देखते बड़ा होकर क्षणभर में एक दिग्गज के बराबर हो गया उस विशाल वराह को देखकर मरीचि आदि मुनि जन सनकादि और स्वयंभू मनु के सहित श्री ब्रह्मा जी तरह तरह के विचार करने लगे वह मन में विचार करते हैं की सूकर के रूप में यह कौन प्रकट हुआ है जो अभी-अभी मेरी नासिका से निकला और इतना बड़ा हो गया यज्ञ मूर्ति भगवान हम लोगों के मन को मोहित कर रहे हैं
*इत्यभिध्यायतो नासाविवरात्सहसानघ। वराहतोकोनिरगादङ्गुष्ठपरिमाणकः।।*(3/अ013/श्लो018)
*तस्याभिपश्यतः खस्थः क्षणेन किल भारत। गजमात्रः प्रववृधे तदद्भुतमभून्महत्।।* (स्03/अ013/श्लो019)
वह भगवान गर्जना करते हुए बड़े जोरों से आकाश में उछले अपने गर्दन के वालों को फटकार कर खुरो के आघात से बादलों को छितराने लगे उनका शरीर बड़ा ही कठोर था तो चा पकड़े बाल थे दांत सफेद थे नेत्रों से तेज निकल रहा था समुद्र में कूदकर वाह अपने पैरों से जल को चीरते हुए रसातल में पहुंचकर पृथ्वी को अपने दांतों पर उठाकर ऊपर की ओर लाने लगी उस समय उनकी शोभा बड़ी ही दिव्य दृष्टिगोचर हो रही है जल से बाहर आते समय उनके मार्ग में विघ्न डालने के लिए महा पराक्रमी हिरण्याक्ष ने जल के भीतर ही उन पर गधा से आक्रमण किया इससे भगवान का क्रोध चक्र के समान तीक्ष्ण हो गया और उन्होंने उसे लीला से ही इस प्रकार मार डाला जैसे सिंह हाथी को मार डालता है उस समय उसके रक्त से थूथनी तथा कनपटी रक्त रंजित हो जाने के कारण वैसे जान पढ़ते थे मानव कोई गजराज लाल मिट्टी के टीले में टक्कर मार कर आया हूं और उसके दांतो पर कमल पुष्प सुशोभित हो मरीच आदि ऋषि यों ने हाथ जोड़कर के भगवान की प्रार्थना की और भगवान के शरीर झटकने से जो बाल टूट कर गिरे उन्हीं से कुछ की उत्पत्ति हुई इससे यह सिद्ध होता है कि जब जब विधर्मी यों के द्वारा सनातन संस्कृति मंदिर आश्रम भूमि आदि पर बलात कब्जा हुआ है तब तब उन विधर्मीयों को नष्ट करने के लिए स्वयं भगवान को भी हथियार उठाने पड़े धर्म की स्थापना के लिए उनको नाना प्रकार के रूप धारण करने पड़े और छल्लो बल अथवा साम दाम दंड भेद किसी भी प्रकार से अपनी संस्कृति को बचाने के लिए उन सभी का प्रयोग करके धर्म की स्थापना की कहने का तात्पर्य है कि इससे यह सिद्ध होता है भगवान ने भी आदेशित किया है कि जो पाखंड रूप धारण करके बलात मंदिर आश्रम अथवा कृषि योग्य भूमि इत्यादि पर कब्जा करते हैं उनको अंत में मृत्यु देना भी धर्म युक्त है अर्थात अगर उनको मार भी दिया जाए तो यह धर्म नहीं कहा जाएगा मैं स्वामी हर्षित कृष्णाचार्य मेरे विचार से आजकल जो भू माफियाओं का तांडव चल रहा है उसमें केवल विधर्मी ही नहीं अपितु कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कालनेमि बने बैठे हैं वह छुप छुप करके अधर्म करते हैं पाप करते हैं और अपने आप को बड़ा ही तपस्वी ज्ञानी और त्यागी दिखाने का प्रयास करते हैं कुछ लोग तपस्या का भक्त बनने का संत बनने का तांत्रिक बनने का दिखावा करते हैं और उसके द्वारा पहले आश्रम और मंदिरों पर कब्जा करते हैं गुरुजनों से विद्वानों से मीठी-मीठी बातें करते हुए ज्ञान प्राप्त करते हैं जानकारी लेते हैं और उसके बाद ठीक राक्षसों की तरीके से जैसे राक्षस पहले तपस्या करते थे वरदान मांगते थे और जब वरदान पा जाते थे तब उन्हीं देवताओं पर आक्रमण कर देते थे वैसे ही यह लोग भी करते हैं जब ज्ञान पा जाते हैं जानकारी पा जाते हैं उसके बाद में गुरु को उस स्थान के मालिक को हटाकर स्वयं वहां पर कब्जा करते हैं और धीरे-धीरे उस स्थान को भी धार्मिक स्थल न रखकर व्यापारिक स्थल बना देते हैं इनका अंत में परिणाम क्या होता है यही बताने का प्रयास इस श्रृंखला में कर रहा हूं प्यारे मित्रों ध्यान देना यंत्र मंत्र तंत्र और इन सब के साथ-साथ लोकतंत्र यंत्र और मंत्र यह तो सनातन पद्धति में आ जाते हैं और लोकतंत्र राजतंत्र यह राजनीति के अंतर्गत और बड़े ही दुख के साथ कहना पड़ रहा है इन सभी तंत्रों के अनुयाई आज हमारी संस्कृति को नष्ट करने पर तुले हुए उनका एक ही उद्देश्य है किसी भी प्रकार धार्मिक स्थलों पर कब्जा करो चाहे वह मंदिर हो गुरुकुल हो आश्रम हो और फिर अपनी मनमानी करो लेकिन इसका परिणाम क्या होगा *जय श्रीमन्नारायण कल फिर मुलाकात होती है इसी क्रम में इसी चर्चा के साथ* क्रमशः----
*श्रीमहन्त*
*स्वामी हर्षित कृष्णाचार्य*
पुराण प्रवक्ता/ ज्योतिर्विद
*संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा /श्री राम कथा /श्रीमद् देवी भागवत कथा/ श्री महाभारत कथा कुंडली लेखन एवं फलादेश /यज्ञोपवीत वैवाहिक कार्यक्रम/ यज्ञ प्रवचन/ याज्ञिक मंडल द्वारा समस्त4 वैदिक अनुष्ठान*
*श्रीवासुदेव सेवा संस्थान*
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*श्री जगदीश कृष्णा शरणागति आश्रम लखीमपुर4 खीरी* *संपर्क सूत्र:- 9648 76 9089*