आरक्षण का प्रश्न एक टेढ़ा प्रश्न है और बड़ा संवेदन शील भी । आरक्षण पर मुख्यतह दो ही विचार धारा वाले लोग हैं ।
जो आरक्षित वर्ग के लोग हैं वे चाहते हैं आरक्षण होना चाहिये ,हमेशा होना चाहिये और हर क्षेत्र में होना चाहिये ।
जो आरक्षित वर्ग में नहीं हैं अधिकतर मानते हैं आरक्षण नहीं होना चाहिये । वे इसे अन्याय पूर्ण मानते है ।
अनारक्षित वर्ग मे से कुछ उप वर्ग आरक्षित वर्ग में शामिल होना चाहते हैं । इसके लिये वो मरने मारने को तैयार हैं ।
कभी कभी कुछ लोग आरक्षण के पुनरीक्षण की बात करते हैं तो आरक्षित वर्ग की ओर से उसका बड़ा विरोध होता है । आरक्षण जातीय आधार पर है । कुछ लोग मानते हैं ये आर्थिक आधार पर होना चाहिये ।
मेरा मानना है आरक्षण सामाजिक न्याय के लिये और पिछड़े लोगों के उत्थान के लिये संविधान द्वारा दस वर्ष के लिये लागू किया गया था ।
ये तो देखना पड़ेगा जिस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये ये व्यवस्था लागू की गयी थी और 10 वर्षों में जिसकी अपेक्षा की गयी थी वह 60 सालों में भी क्यों नहीं पा सके । क्यों हमें चिरंतन आरक्षण चाहिये ? हमें क्या ऐसा करना चाहिये जिससे शीघ्र ही लोगों को आरक्षण की आवश्यकता ही न हो ।