ये तो मालूम है आओगी एक दिन ,
कोई नहीं जानता वो होगा किस दिन।
रोज जीते हैं रोज मरते हैं लोग ,
किश्तों में जीते हैं यहाँ कुछ लोग।
बुजदिल मौत से क्या !जिंदगी से भी डरते हैं
बहादुर दोनों से दो दो हाथ करते हैं I
25 दिसम्बर 2017
ये तो मालूम है आओगी एक दिन ,
कोई नहीं जानता वो होगा किस दिन।
रोज जीते हैं रोज मरते हैं लोग ,
किश्तों में जीते हैं यहाँ कुछ लोग।
बुजदिल मौत से क्या !जिंदगी से भी डरते हैं
बहादुर दोनों से दो दो हाथ करते हैं I
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विज्ञानं परास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा से सेवा निवृत ,कविता कहानी पढ़ने लिखने का शौक ,कुछ ;प्रकाशित पुस्तकें -संवाद कविता संग्रह , मेरी पाँच कहानियाँ , द गोल्ड सिंडीकेट (उपन्यास ), लुटेरों का टीला चंबल (लघु उपन्यास )।;D