कहीं बरसे नयन ।
बारिश से धुले मौसम ।
आसुओं से धुले मन ।
जाते हुए पल कितने खामोश हैं !
वो चुप सी तस्वीर यादों में बसी है ।
उस खामोश तस्वीर से,
मैं बातें करता हूँ ।
लगता है उसके होंठ
क्या कहा ?
सुन नहीं पाता हूँ ।
-रवि रंजन गोस्वामी
17 दिसम्बर 2016
कहीं बरसे नयन ।
बारिश से धुले मौसम ।
आसुओं से धुले मन ।
जाते हुए पल कितने खामोश हैं !
वो चुप सी तस्वीर यादों में बसी है ।
उस खामोश तस्वीर से,
मैं बातें करता हूँ ।
लगता है उसके होंठ
क्या कहा ?
सुन नहीं पाता हूँ ।
-रवि रंजन गोस्वामी
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विज्ञानं परास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा से सेवा निवृत ,कविता कहानी पढ़ने लिखने का शौक ,कुछ ;प्रकाशित पुस्तकें -संवाद कविता संग्रह , मेरी पाँच कहानियाँ , द गोल्ड सिंडीकेट (उपन्यास ), लुटेरों का टीला चंबल (लघु उपन्यास )।;D