वे मासूम हैं और उनके पत्थर अहिंसक ।
भले दहशतगर्दों की आड़ बन जायें ।
वे पत्थर मारें और हम फूल बरसायेँ
ये भी देखें कि उनमें खार न हों ।
ऐसे मशवरे जो लोग देते हैं ।
उन्हें वे पत्थर क्यों न खिलाये जायें ? र र
18 फरवरी 2017
वे मासूम हैं और उनके पत्थर अहिंसक ।
भले दहशतगर्दों की आड़ बन जायें ।
वे पत्थर मारें और हम फूल बरसायेँ
ये भी देखें कि उनमें खार न हों ।
ऐसे मशवरे जो लोग देते हैं ।
उन्हें वे पत्थर क्यों न खिलाये जायें ? र र
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विज्ञानं परास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा से सेवा निवृत ,कविता कहानी पढ़ने लिखने का शौक ,कुछ ;प्रकाशित पुस्तकें -संवाद कविता संग्रह , मेरी पाँच कहानियाँ , द गोल्ड सिंडीकेट (उपन्यास ), लुटेरों का टीला चंबल (लघु उपन्यास )।;D