नवरात्रों में कन्या पूजन की प्रासंगिकता
शारदीय नवरात्र हों या चैत्र नवरात्र – माँ भगवती को उनके नौ रूपों के साथ श्रद्धा भक्ति पूर्वक आमन्त्रित करके उन्हें स्थापित किया जाता है और फिर अन्तिम दिन कन्या अथवा कुमारी पूजन के साथ उन्हें विदा किया जाता है | कन्या पूजन किये बिना नवरात्रों की पूजा अधूरी मानी जाती है | प्रायः अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विधान है | इस वर्ष तेरह अक्तूबर को अष्टम और चौदह अक्तूबर को नवम नवरात्र है | इन दोनों ही दिन कन्या पूजन का विधान है | साथ ही यदि
कन्याओं और तो हम अधिक से अधिक बच्चों को अष्टमी और नवमी तिथियों को भोजन कराते हुए पूर्ण हर्षोल्लासपूर्वक जगदम्बा को अगले नवरात्रों में आने का निमन्त्रण देते हुए विदा करें, इस कामना के साथ कि माँ भगवती अपने सभी रूपों में जगत का कल्याण करें... सभी को अग्रिम रूप से शारदीय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएँ... कात्यायनी...