पिंगली वैंकैया ने इसे बनाया,
३:२ की पैमाइश पर,
खादी कपड़े पर इसे सजाया,
२२ जुलाई १९४७ में संविधान सभा ने इसे अपनाया।।
तीन रँगों से बना तिरँगा,
केसरिया देता साहस और बलिदान।
सफेद रँग से रंगी शाँति,
हरा रँग है सम्पन्नता प्रधान।।
अशोक चक्र की २४ तीलियाँ,
हैं २४ घंटों को दर्शाती।
शान से जब उड़े तिरँगा,
हर्षित होता हर भारतवासी।।
हिन्दु ,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई,
सबको ये प्यारा है भाई।
है सबकी आँखो का तारा,
प्यारा प्यारा तिरँगा हमारा।।
तिरँगा तीन रँगों का प्यारा,
सिखाता है आपसी भाईचारा।
जब लहराए तिरँगा हमारा,
लगता है वो सबसे न्यारा।।
जवानों को हर्षाने वाला,
दुश्मन को दहलाने वाला।
शान न इसकी जाने पाए,
चाहे गर्दन भले कट जाए।।
तिरँगा जब हम फहराते,
राष्ट्रगान सब मिलकर गाते।
जय हिन्द के नारे से फिर,
दुश्मन के दिल हैं दहले जाते।।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर