वो राम बहुत याद आए
कौशल्या के घर वो जाए
ठुमक चले बाजैं पैजनियाँ
दशरथ नंदन कहलाए
वो राम बहुत याद आए।
विश्वामित्र संग वनगमन किए वो
ताड़का से निज़ात दिलाए
जनकपुरी में धनुष भंग कर
सीता को वर लाए
वो राम बहुत याद आए।
पिता के वचनों की ख़ातिर
कैकेयी को शीश झुकाए
अनुज सहित सीता के संग
वन को थे वो धाए
वो राम बहुत याद आए।
केवट को गले लगाए
जटायु को गोद उठाए
अहिल्या को मुक्ति दिलाकर
शबरी के बेर थे खाए
वो राम बहुत याद आए।
पवनपुत्र से मिलकर
सुग्रीव को मित्र बनाए
बाली का वध करके
सुग्रीव को राज्य दिलाए
वो राम बहुत याद आए।
रावण ने सीता हर लीं
वानर सेना गठित थी कर ली
पहले शान्ति दूत भिजवाए
फिर युद्ध का पाठ पढ़ाए
वो राम बहुत याद आए।
विभीषण जब शरण में आए
उनको थे गले लगाए
रावण का वध करके, फिर
सोने की लंका को लौटाए
वो राम बहुत याद आए।
मर्यादा में रहकर ही सारे वचन निभाए
वापस अयोध्या धाम वो आए
सबने मंगल गान थे गाए
मर्यादा पुरूषोत्तम वो कहलाए
वो राम बहुत याद आए।
वो राम बहुत याद आए...
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©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर(म.प्र.)