इनको मानों न छोटा इन्सान,
करते हैं ये बड़े बड़े काम,
इनके खून पसीने पर तो,
बन जाते हैं बड़े बड़े नाम।
बिन इनके ये दुनियां अधूरी,
परियोजनाएं कभी न होती पूरी,
गर मजदूर न बहाता पसीना,
संसार का मुश्किल हो जाता जीना।
हर क्षेत्र में है इनका योगदान,
बनाते ये रेल सड़क और मकान,
बिन इनके घर का न चलता काम,
और इनके बिना नहीं चलती दुकान।
कारखानों का भोंपू तभी है बजता,
जब मजदूर उसमें काम है करता,
चिमनी में धुआँ तभी है उठता,
जब मजदूर है उसमें तपता।
खेत काटना मुश्किल होते,
गर खेतिहर मजदूर न होते,
निराई गुड़ाई में सहयोग हैं करते,
तभी फसल से कुठले भरते।
मजदूर देश का मजबूत खम्ब हैं,
न होता इनमें कोई दम्भ है,
काम वो करते बिना विलम्ब हैं,
अर्थव्यवस्था का आधार स्तम्भ हैं।
1 मई विश्व मजदूर दिवस पर,
हम सब ये संकल्प हैं लेंगे,
स्वाभिमान न कम होने देंगे,
इनके काम को मान हम देंगे।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर(म.प्र.)