तपोभूमि है देवों की यह,
नैमिषारण्य कहलाता है।
गिरा विष्णु का चक्र यहाँ पर,
यह चक्र तीर्थ कहलाता है।।
वेदव्यास की तपोस्थली को,
नीमसार का भी नाम मिला।
गहन तपस्या उन्होंने करके,
४ वेद,१८ पुराणों का निर्माण किया।।
महर्षि पराशर-सत्यवती की सन्तान,
कृष्ण द्वैपायन व्यास भी कहलाये।
महाभारत की रचना करके,
गीता के ज्ञान को घर-घर पहुँचाये।।
सृष्टि के पहले माता-पिता,
मनु-सतरूपा ने तप करके।
महाप्रलय के बाद यहाँ पर,
सृष्टि को आगे बढ़ाया था।।
अकाल पड़ा था जनकपुरी में जब,
महाराजा जनक-सुनैना को भी।
अपनी सिद्धि को सिद्ध करने को,
यह तप-स्थान ही भाया था।।
गोमती नदी के तट पर स्थित,
यह स्थान पौराणिक दिखाई देता है।
लगभग ५१०० वर्ष पुराना,
यह वट वृक्ष गवाही देता है।।
©प्रदीप त्रिपाठी "दीप"
ग्वालियर