सभी जानते हैं की रावण बहुत पराक्रमी था. उसने अपने जीवन में कई युद्ध किए. धर्म ग्रंथों के अनुसार उसने अपने जीवन में लड़े कई युद्ध तो अकेले ही जीत लिए थे. इतना पराक्रमी होने के बाद भी उसका सर्वनाश कैसे हो गया?
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रावण के अंत का कारण सिर्फ एक अकेले ही वजह श्रीराम नहीं थे. उनके साथ उन लोगों का श्राप भी था, जिनका रावण ने कभी अहित किया था. धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण को अपने जीवनकाल में मुख्यत: छह लोगों से श्राप मिला था. यही श्राप उसके सर्वनाश का कारण बने और उसके वंश का समूल नाश हो गया.
1. रघुवंश के राजा से मिला था श्राप
रघुवंश (भगवान राम के वंश में) में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था. जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ. उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा. राम ने उनका वध किया था. जोकि रघुवंश से ही थे.
2. नंदी से मिला था श्राप
एक बार रावण भगवान शंकर से मिलने कैलाश गए तो वहां मौजूद नंदीजी (भगवान शंकर के भक्त और सबसे करीबी सेवक) को देखा तो उनके स्वरूप का मजाक बनाया. खूब हंसी उड़ाने के बाद उन्हें बंदर के समान मुख वाला कह दिया.
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तब नंदी जी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा. हम सभी जानते हैं कि भगवान राम ने वानर सेना और हनुमान के साथ मिलकर लंका पर चढ़ाई की थी.
3. पत्नी की बहन से मिला था श्राप
रावण ने अपनी पत्नी की बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था. माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे. एक दिन रावण शंभर के यहां गए. वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसा लिया. इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को बंदी बना लिया. उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर दिया. उस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई.
जब माया सती होने लगीं तो रावण ने उसे अपने साथ चलने को कहा. तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त मेरा सतित्व भंग करने का प्रयास किया है. इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो गई. अत: तुम भी स्त्री की वासना के कारण मारे जाओगे. इस बात से कोई अनभिज्ञ नहीं कि रावण माता सीता पर मोहित हो गए थे और उनका हरण कर लंका लाए थे.
4. तपस्विनी से मिला श्राप
एक बार रावण अपने पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था. तभी उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, जो भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी. रावण ने उसके बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा. उस तपस्विनी ने उसी क्षण अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप दिया कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी.
5. भाई के पुत्र ने दिया दिया था श्राप
विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी. अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने उसे पकड़ लिया. तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरह से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित हूं.
इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं. लेकिन रावण नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया. यह बात जब नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसको स्पर्श करेगा तो रावण का मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा.
6. सगी बहन ने दिया था श्राप
रावण की बहन सूपर्णखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह था. वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था. रावण जब विश्वयुद्ध पर निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ. उस युद्ध में रावण ने विद्युतजिव्ह का वध कर दिया. तब सूपर्णखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा.