गूगल. आज की तारीख़ में दुनिया का सबसे ज़्यादा लुभावना बिज़नेस मॉड्यूल. ड्रीम जॉब. गूगल में काम करने का सपना दुनियाभर में लाखों युवा संजोए रहते हैं. बच्चे भी गूगल के करिश्मे से अछूते नहीं हैं. ऐसी ही एक बच्ची ने ‘गूगल बॉस’ को ख़त लिख कर जॉब करने की ख्वाहिश ज़ाहिर की. क्यूट है ना! लेकिन उससे ज़्यादा खुशनुमा लम्हा तब आया जब गूगल सीईओ सुंदर पिचाई ने उसका उतना ही प्यारा जवाब भी दिया.
हेरफोर्ड, इंग्लैंड में रहने वाली साल साल की क्लो ब्रिजवॉटर ने जब गूगल के बारे में अपने पिता से सुना तो वो बहुत ज़्यादा प्रभावित हो गई. किसी ऐसी जगह काम करने की संभावना भर इस बच्ची को रोमांचकारी लगी जहां कुर्सियों की जगह बीन बैग्स का ऑप्शन हो, गो-कार्ट्स हो, स्लाइड्स हो. क्लो ने हाथ से ‘गूगल बॉस’ को एक ख़त लिखा.
इस ख़त में क्लो कहती है,
डियर गूगल बॉस,
“मैं सात साल की हूं और जब मैं बड़ी हो जाउंगी गूगल के साथ काम करना चाहूंगी. मैं चॉकलेट फैक्ट्री में भी काम करना चाहती हूं और ऑलिंपिक में स्विमिंग भी. मैं हर शनिवार और मंगलवार स्विमिंग करती हूं. पापा कहते हैं कि गूगल ऑफिस में मैं बीन बैग्स पर बैठ कर काम कर सकती हूं और गो कार्टिंग भी कर सकती हूं. मुझे कंप्यूटर्स पसंद हैं और मेरे पास एक टैबलेट भी है जिसपर मैं गेम खेल ती हूं. मेरे पापा ने मुझे एक गेम दिया जिसमें मुझे रोबोट को दाएं-बाएं, ऊपर-नीचे करना होता है. वो कहते हैं कंप्यूटर्स के बारे में पढ़ना मेरे लिए अच्छा रहेगा. उन्होंने कहा है वो एक दिन मेरे लिए कंप्यूटर ला देंगे. मैं सात साल की हूं और मेरे टीचर्स मेरे माता-पिता से कहते हैं कि मैं क्लास में बहुत अच्छी हूं. स्पेलिंग्स में, सम्स (गणित) में, पढने में. पापा ने कहा कि अगर मैं इसी तरह अच्छे से पढ़ती रही तो एक दिन मुझे गूगल में जॉब मिल जाएगी. मेरी बहन हॉली भी बहुत होशियार है. लेकिन उसे गुड़िया और कपडें पसंद है. वो पांच साल की है. पापा ने कहा मैं आपको गूगल में जॉब के लिए आपको एप्लीकेशन दे दूं. मुझे सच में नहीं पता कि इससे क्या होगा लेकिन उन्होंने कहा अभी के लिए एक ख़त ठीक है. मेरा ख़त पढने के लिए शुक्रिया. मैंने इससे पहले सिर्फ एक ख़त लिखा है. क्रिसमस पर फादर को. गुड बाय.
क्लो ब्रिजवॉटर”
इस मासूम ख़त को पढ़ के किसी को भी इस बच्ची पर प्यार आएगा. गूगल बॉस सुंदर पिचाई को भी आया होगा. लेकिन उन्होंने सिर्फ मुस्कुराकर बात टाल नहीं दी. उन्होंने बच्ची का हौसला बढाने के लिए उसे जवाबी ख़त लिखा.
सुंदर पिचाई ने लिखा,
“डियर क्लो,
तुम्हारे ख़त के लिए शुक्रिया. मुझे ख़ुशी हुई जानकर कि तुम्हे कंप्यूटर्स और रोबोट्स पसंद हैं. उम्मीद करता हूं तुम टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ना जारी रखोगी. मुझे लगता है कि अगर तुम मेहनत करती रही और अपने सपनों का पीछा करती रही तो तुम वो सब पा सकती हो जो तुम्हारे दिमाग में है. गूगल के लिए काम करने से लेकर ऑलिंपिक में स्विमिंग करने तक. जब तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लोगी तब मैं तुम्हारी जॉब एप्लीकेशन पर गौर करना चाहूंगा.”
क्लो के पिता का कहना है कि गूगल सीईओ के इस जवाबी ख़त से क्लो का हौसला सातवे आसमान पर है. यही तो करना होता है, नहीं? बच्चों के मासूम सपनों को फलने-फूलने देना.
सात साल की उम्र में दुनिया बहुत बेहतर जगह होती है. वक़्त अपने साथ लोगों को सख्त बना ही देता है लेकिन ये उम्र पूर्वाग्रह रहित सपनों की है. एक बच्चा कुछ भी बनने की तमन्ना रख सकता है. चॉकलेट फैक्ट्री में काम करने से लेकर लाइब्रेरियन बनने तक, बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस में भर्ती होने से लेकर ट्रैफिक इंस्ट्रक्टर बनने तक कुछ भी. इन सपनों पर हंसने, इन्हें ख़ारिज करने से बेहतर है बच्चे को ये बताया जाए कि उसका जो भी सपना है वो उसके लिए मेहनत करे. सुंदर पिचाई ने बड़ी ही सुंदरता से ये किया.
एक सात साल की बच्ची में खुदऐतमादी भर देना बहुत आला काम है. सुंदर पिचाई जैसे लोगों से ही दुनिया सुहानी है जो सपनों का मोल समझते हैं और अपनी बिज़ी ज़िंदगी से वक़्त निकाल कर लोगों की हौसलाअफज़ाई करते हैं.