जिस संपत्ति को कमाने के लिए पापा दिन-रात मेहनत करते हैं, उसका हिस्सा तो अपने बच्चों को दे सकते हैं। लेकिन जिस बीमा कंपनी का प्रीमियम वो अपनी मेहनत की कमाई से भरते हैं, उसके क्लेम पर बच्चों का हक नहीं होगा।
दरअसल बात इंश्योरेंस की है, और इसे लेकर लोगों के मन में पहले ही एक तरह का डर बैठा हुआ था, अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले से डर में कन्फ्यूजन में तब्दील होता दिख रहा है!
इस बात को समझने के लिए पहले आपको याचिका कर्ता का मामला समझना होगा। अमर उजाला के चंडीगढ़ के संवाददाता विवेक शर्मा की रिपोर्ट के मुताबिक हिसार की रहने वाली सुमित्रा देवी के पति और बेटा एक सड़क हादसे का शिकार हुए। जिसमें उनके बेटे मोहित की मौत हो गई। सुमित्रा देवी ने कोर्ट में याचिका लगाई कि वाहन से हुए हादसे में मोहित के नाम का क्लेम देने के लिए कंपनी को निर्देश दिए जाएं।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए साफ किया कि अगर बाप की गाड़ी बेटा या बेटी चलाते हैं और इस दौरान हादसा हो जाए तो उन्हें बीमा-क्लेम नहीं मिलेगा। यहां बात पर्सनल एक्सीडेंट कवर से मिलने वाले फायदे की हो रही है। कोर्ट के मुताबिक पिता के नाम से रजिस्टर वाहन को अगर बेटा चला रहा है तो उस स्थिति में वाहन मांगा हुआ माना जाएगा और ऐसे में बीमा कंपनी पिता के नाम के बीमा का क्लेम बच्चों के नाम से नहीं कर सकती।
याचिका में दलील दी गई कि पर्सनल एक्सीडेंट कवर का लाभ केवल ऑनर ड्राइवर को दिया जा सकता है और ऑनर ड्राइवर वो होगा जिसके नाम से गाड़ी रजिस्टर है और नियम के मुताबिक वो ही गाड़ी चलाने के लिए अधिकृत भी है।
ऐसी स्थिति में वो तमाम गाड़ियां सवालों के दायरे में स्टैंड पर खड़ी हो गईं जो किसी कारण वश पिता या किसी दूसरे के नाम पर खरीदी जाती हैं और इस्तेमाल कोई और करता है। मध्यम परिवारों में ऐसा आम है जहां पिता के नाम पर खरीदे गए वाहन को बच्चे चलाया करते हैं।
साभार http://www.firkee.in/panchayat/punjab-haryana-high-court-on-motar-vehicle-accident-claim?pageId=1