भगवान राम के पिता राजा दशरथ के एक बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे- चित्ररथ. इनको रोमपाद के नाम से भी जाना जाता था. रोमपाद को कोई बेबी नहीं था और दशरथ की एक बेटी हो चुकी थी. नाम था शांता. दशरथ ने दोस्ती निभाते हुए अपनी बेटी शांता रोमपाद को गिफ्ट कर दी. रोमपाद ने उसे गोद लिया.
शांता की शादी हुई ऋष्यश्रृंग ऋषि से. ये ऋषि बड़े तेज थे. रोमपाद के शहर में एक बार सूखा पड़ गया था तो ऋष्यश्रृंग ने इंद्र का यज्ञ कर फटाफट झमाझम बारिश करवा दी थी. ऐसे पहुंचे हुए संत कि जब संतान पैदा नहीं होती थी. तो वो कभी फल तो कभी खीर के रूप में टॉनिक देते थे. उनका हाथ लगता और सबको फायदा होता,सबकी मनोकामना पूरी होती.
दशरथ जी के भी बेटे नहीं थे. उनने बिटिया शांता के पति से मदद मांगी. दामाद हों तो ऋष्यश्रृंग ऋषि जैसे. इत्ता पढ़े थे, इत्ता ज्ञान था, कब काम आता. आनन-फानन में उनने चमत्कारी खीर दे दी. उसी की बदौलत ही दशरथ को राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न जैसे बेटे मिले थे.
(स्रोतः सीता- देवदत्त पटनायक)