चाहे महीने के 7 हजार कमाने वाला व्यक्ति हो या 70 हजार, कोई भी व्यक्ति खुश होकर ऑफिस नहीं जाता। हर किसी को एक वक्त के बाद अपनी जॉब बोरिंग लगने लगती है और लोग बस इसलिए ऑफिस जाते हैं क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है। ऐसे में कई बार काम के परिणाम वैसे निकल कर नहीं आते हैं जैसे आने चाहिए। लोगों की सैलरी चाहे जितनी बढ़ती जाए, उनकी पैसों की चाहत उतनी ही बढ़ती जाती है। यह एक ह्यूमन नेचर है, लेकिन इस वजह से कई लोग हमेशा दुखी और परेशान रहते हैं।
ऐसे में जब भी आपको लगे कि आप अपनी सैलरी से खुश नहीं हैं तो आपको अपने से कम पैसों में परिवार चलाने वाले लोगों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे आज हम आपसे एक डाकिये की कहानी शेयर करने जा रहे हैं। इनका नाम है गुरुदत्त पति, इनसे एक सवाल पूछा गया कि क्या आप अपनी जॉब और सैलरी से संतुष्ट हैं? इसपर उन्होंने जो जवाब दिया वो वाकई आपको इंस्पायर करेगा।
मुझे लोगों के चहरे की मुस्कराहट पसंद है
गुरुदत्त 23 साल के हैं और एक गांव के पोस्टमैन के रूप में काम करते हैं। वो बताते हैं कि उन्होंने 21 साल की उम्र से ही काम करना शुरू कर दिया था। शुरू-शुरू में उन्हें इस काम में काफी दिक्कत आती थी लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इस काम की आदत पड़ गई। वो हर रोज लोगों तक खत, मनी ऑर्डर और पार्सल पहुंचाते हैं। वो कहते हैं कि उन्हें यह काम बहुत पसंद है। वो कहते हैं कि जब लोगों को उनकी चीजें मिल जाती हैं, जिनका वो काफी समय से इंतजार कर रहे थे तो उनके चहरे पर जो मुस्कान आती है वो उन्हें बहुत पसंद है।
वो कहते हैं कि जब मैं एक बूढ़े आदमी को उसके बेटे का भिजवाया हुआ मनी ऑर्डर देता हूं, तो मुझे बहुत आनंद मिलता है। मुझे उस बच्चे की आंखें आकर्षित करती हैं जो चिट्ठियों की तरफ बहुत ध्यान से देखता है। भले ही कितनी भी बारिश हो रही हो या तपती गर्मी हो, मैं कभी छुट्टी नहीं लेता हूं। मुझे तकनीक के इस युग में एक मैसेंजर होना पसंद है।