जब हम बड़े हो रहे थे, कुछ शक्लें हमारे लिए लगातार सुंदरता के पैमाने तय कर रही थीं. खासकर लड़कियों के लिए. इनमें सबसे सुंदर चहरा माना जाता था ऐश्वर्या राय का. मिस वर्ल्ड, नीली दुर्लभ आंखें, जिन्हें वो डोनेट करने का दावा करती थी. और एक लाइन जो हमारी स्मृति में बसी रह गई, ‘हीरा है सदा के लिए.’ बड़ा प्यारा सा ऐड रिलीज हुआ. नीरव मोदी डायमंड्स का. ऐड में प्रियंका चोपड़ा और सिद्धार्थ मल्होत्रा हैं. और ऐड को बनाया है शकुन बत्रा ने. अरे वही जिन्होंने कपूर एंड सन्स बनाई थी. ये ऐड देखकर तमाम हीरों के ऐड याद आ गए. पिछले साल एक ऐड गोल्डप्लस डायमंड जूलरी का आया था. तमिल ऐड है. लेकिन अंग्रेजी सबटाइटल पढ़कर समझ आ जाएगा. देखिए ऐड:
ऊपर हमने जो ऐड देखा, उसमें पाया कि जैसे ही काव्या (राधिका) को पता चलता है कि उसने जो डायमंड नेकलेस पहना हुआ है, वो अरविंद ने उसकी बहन (और अपनी होने वाली पत्नी?) को गिफ्ट किया है तो उसके चेहरे की रंगत बदल जाती है. अब तक वो एक पुरुष से बात करते हुए नियंत्रण की स्थिति में होती है. लेकिन फिर डायमंड नेकलेस की बात आते ही एेसा लगता है कि काव्या का पात्र रीझ जाता है. वो अपनी सुधबुध खो बैठती है. एक डायमंड नेकलेस इन तीनों के बीच रिश्ते का साम्य स्थापित कर देता है. यहां हीरा न सिर्फ औरत बल्कि सम्मोहन का पर्याय हो जाता है. इससे पहले बातचीत अलग दिशा में, बिना किसी उपभोगवादी संदर्भ के बढ़ रही होती है लेकिन हीरे का जिक्र आते ही दिशा पूरी तरह बदल जाती है.
पिछले कई सालों में ‘खूबसूरत’ चेहरे हीरे बेचते हुए दिखे. ऐश्वर्या राय बच्चन, अनुष्का शर्मा, कटरीना कैफ. हमें बताया गया कि डायमंड औरतों के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं. ख़ुशी ही नहीं, दुःख के भी साथी होते हैं. किआ डायमंड्स के ऐड में हमने देखा कि सुष्मिता सेन की आंख से आंसू टपकता है. और हीरा बन जाता है. और इस तरह हीरे औरतों की परिभाषा गए. कुछ समय बाद ऐड में पुरुष भी दिखने लगे. और हीरा ‘वुमनहुड’ के अलावा प्रेम का प्रतीक बन गया.
जब इन सुंदर चेहरों ने हमसे कहा, हीरा सदा के लिए है, हमने मान लिया. जब इन्होंने दिखाया, हीरा पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक होता है, हमने विश्वास कर लिया. और दुनिया भर में हीरों की मार्केटिंग को लेकर चल रही कैंपेन के प्रभाव में हम भी आ गए. जैसे दुनिया के अमीर देश आए थे.
अमेरिका से रोहिन धर ने एक बहुत कमाल की बात बताई है. आज जो हीरों को इतना जरूरी और नायाब समझा जाता है, ऐसा पहले नहीं था. बल्कि 1930 के बाद अमेरिका में शुरू हुआ. डी बीअर्स नाम की हीरे बेचने वाली कंपनी ने एक धमाकेदार ऐड कैंपेन चलाया. जिसका उद्देश्य था कि युवा मर्दों को ये यकीन दिलाया जाए कि हीरे की अंगूठी पहनाना ही असली प्रेम का प्रमाण है. कि होने वाली पत्नी को हीरा देकर आप जता सकते हैं कि आप उसे कितना कीमती गिफ्ट दे सकते हैं.
ये दोनों विश्व युद्धों के बीच का दौर था. अमेरिका से यूरोप तक मार्केट में मंदी छाई हुई थी. लेकिन प्रचार के दम पर डायमंड ने वापसी मारी. और आने वाले समय में पश्चिम ही क्या, इंडिया और चाइना जैसी इकॉनमी में भी बिकने लगा. डी बीअर्स कंपनी के अंडर दुनिया भर की 250 कंपनियां चल रही थीं. और डी बियर्स ने हीरों के दामों को लेकर मोनॉपली कायम कर ली थी.
हीरों की इमेज और दाम ऊंचे करने के लिए रचे गए इस कैंपेन ने एक सत्य स्थापित कर दिया है. कि औरतें डायमंड देखते ही अपना दिल निकालकर रख देती हैं. डायमंड उन्हें रिझा देते हैं. एक मर्द के दिए हुए डायमंड को देखकर ही वो मर्द के प्रेम पर यकीन कर पाएंगी.
ऊपर ऐड में हमने प्रियंका चोपड़ा को देखा. प्रियंका इस वक़्त देश-विदेश में अपनी एक्टिंग के झंडे गाड़ रही हैं. अभी बीते दिनों उनका एक वीडियो खूब वायरल हुआ था जिसमें वो इस बात पर चर्चा करती दिख रही हैं कि किस तरह एक्ट्रेस को ‘परफेक्ट’ होने के बोझ से लाद दिया जाता है. उन्होंने बताया था कि जब वो इंडस्ट्री में कदम रख रही थीं, उनसे कहा गया था कि उनके शरीर में कुछ भी सही नहीं है.
लेकिन इस संदर्भ में प्रियंका हीरों और औरतों को लेकर बने स्टीरियोटाइप को प्रमोट करती हुई वो अच्छी नहीं लगीं. या यूं कहिए कि औरतों को हीरों से जोड़कर देखा जाना वाला स्टीरियोटाइप हमारे ज़हन में इस तरह बैठा हुआ है, कि विज्ञापन के ये कॉन्सेप्ट हमें सोचने पर मजबूर ही नहीं करते, हमारे सोचने समझने की शक्ति को लाचार बनाते जाते हैं.