डॉ दिनेश शर्मा का नया लेख – सब पर भारी भक्ति की दुकानदारी – जी हाँ, भक्ति और धर्म आज बहुतों के लिए एक व्यवसाय बनकर रह गया
है... एक दुकानदारी... इसी पर व्यंग्य है... एक बार पढ़िएगा ज़रूर...
सब पर भारी - भक्ति की दुकानदारी ! दिनेश डॉक्टर
एक भजन ‘मेरे घर के आगे साईं राम तेरा मंदिर बन जाए, मैं खिडकी खोलू तो तेरा दर्शन हो जाये’ मकान या बिल्डिंग बनाने वाले मिस्त्रीयों, कांट्रेक्टरों कारपेंटरों के मोबाइल फोन्स की रिंगर टोन पर बजता हुआ ख़ासा लोकप्रिय हो रहा है | मेरे इस छोटे से शहर में ही साईं बाबा के आठ दस मंदिर तो इसके बजते बन ही चुके हैं | एक गंगा किनारे वाला तो ख़ासा पापुलर भी हो गया है | बृहस्पतिवार को तो इन सब में काफी भीड़ भी रहती है | श्रद्धालुओं का चढावा भी खूब चढ़ता है | एरिया के हिसाब से साईं बाबा की मूर्ती का कद और वस्त्र भी भिन्न है | अपेक्षाकृत संपन्न इलाके में साईं बाबा की मूर्ती संगमरमर की और कपडे ..क्षमा करे..वस्त्र ... रेशम से लेकर सोने के तार लगे भी हो सकते हैं | जबकि निम्न मध्यम वर्गीय इलाके के साईं बाबा सीमेंट और सस्ते सूती वस्त्रों में थोड़े बेचारे से, पर अधिक सहज लगते है | पैसे और चढावे का खेल है भाई...
पूरा पढने के लिए क्लिक करें:
https://shabd.in/post/111602/-8899189