वास्तव में धन्य हैं हमारे महर्षि गूगलानंद और माइक्रोसॉफ्ट जैसी परम्पराओं
से जुड़े आजकल के महान ऋषि मुनि... बहुत अच्छा लेख डॉ दिनेश शर्मा...
विचारों का रैला - दिनेश डॉक्टर
धन्य हैं कल युग
की नई ऋषि परंपरा जिसकी कृपा से आज वह भी हो रहा है जिसकी कल्पना भी कभी हमने बचपन
में नहीं की थी। फोन पर हज़ारों मील दूर बैठे अपने अंतरंगों से मुफ्त में आमने
सामने बात हो जाती है । हम कहीं भी हों, हमेशा सेल फोन से अपने प्रियजनों के संपर्क में
रहते हैं । टी वी पर सारे संसार की घटनाएँ पल पल दिखती रहती हैं । जो दूरियां
महीनों में तय होती थी वो घंटो में हो जाती है । जिस भोजन के लिए मनुष्य प्रजाति
मारी मारी खतरनाक जंगली जानवरों के बीच पहाड़ों और जंगलों की खाक छानती थी वो उसके
फ्रिज में हमेशा भरा रहता है । बटन दबाते ही घर ठंडे से गर्म और गर्म से ठंडा हो
जाता है । पहले लोग अकाल भूख और महामारियों से मरते थे । आज लोग अनाप शनाप और
ज्यादा खा कर बढ़े कोलेस्ट्रॉल और शुगर की वजह से दिल के दौरे और ब्रेन स्ट्रोक से
मर रहे हैं ।
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