15 जुलाई 2018
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मानव जीवन की वेदनाओं को समेटी हुईंं मेरी रचनाएँ अनुभूतियों पर आधारित हैं। हृदय में जमा यही बूँद-बूँद दर्द मानव की मानसमणि है । यह दुःख ही जीवन का सबसे बड़ा रस है,सबको मांजता है,सबको परखता है।अतः पथिक को जीवन की इस धूप-छाँव से क्या घबड़ाना, हँसते-हँसते सह लो सब ।
,मानव जीवन की वेदनाओं को समेटी हुईंं मेरी रचनाएँ अनुभूतियों पर आधारित हैं। हृदय में जमा यही बूँद-बूँद दर्द मानव की मानसमणि है । यह दुःख ही जीवन का सबसे बड़ा रस है,सबको मांजता है,सबको परखता है।अतः पथिक को जीवन की इस धूप-छाँव से क्या घबड़ाना, हँसते-हँसते सह लो सब ।
,मानव जीवन की वेदनाओं को समेटी हुईंं मेरी रचनाएँ अनुभूतियों पर आधारित हैं। हृदय में जमा यही बूँद-बूँद दर्द मानव की मानसमणि है । यह दुःख ही जीवन का सबसे बड़ा रस है,सबको मांजता है,सबको परखता है।अतः पथिक को जीवन की इस धूप-छाँव से क्या घबड़ाना, हँसते-हँसते सह लो सब ।
,मानव जीवन की वेदनाओं को समेटी हुईंं मेरी रचनाएँ अनुभूतियों पर आधारित हैं। हृदय में जमा यही बूँद-बूँद दर्द मानव की मानसमणि है । यह दुःख ही जीवन का सबसे बड़ा रस है,सबको मांजता है,सबको परखता है।अतः पथिक को जीवन की इस धूप-छाँव से क्या घबड़ाना, हँसते-हँसते सह लो सब ।