पहला आदमी (ललुआ) : आज सुबह मैं उठा तो ऑल ऑउट के नीचे ये मरा मिला। पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ क्योंकि जब रोज ऑल ऑउट जलती है तो एक-दो मच्छर उसके आसपास मंडराते दिख ही जाते फिर ये भला कैसे मर सकता था जबकि रात भर लाईट भी नहीं आई थी।
दूसरा आदमी (लुखारा) : कुछ भी कहो, बड़ा भला मच्छर था। इसने आज तक कभी भी मेरे कान पर आकर भिन्न-भिन्न नहीं किया। चुपचाप आता था और एक बूँद खून पीकर चुपचाप चला जाता था। ये नहीं कि किसी की नींद में खलल डालता।
तीसरा आदमी (कुचुम्भा) : हमने इसे मारने के लिए क्या-क्या नहीं किया। कछुआ छाप, गुड नाईट मैट, कैस्पर खुश्बू मैट, गणेश अगरबत्ती, ओडोमॉस जैसे परम्परागत तरीकों के साथ ऑल ऑउट, काला हिट, रैकेट, यू वी लाईट कैचर, इंफ्रा साउंड मशीन जैसे नये-नये व वैज्ञानिक तरीके भी अपनाये पर ये मरा तो यहाँ आकर। इसकी किस्मत में यहीं मरना लिखा था।
चौथा आदमी (खटासे) : हमने तो टीवी पर देखकर 'मच्छर रक्षा यंत्र' भी मंगवाये। घर के बाहर प्याज के संग लहसुन की कलियाँ भी लटकाई, सिर के ऊपर से उतार कर नीम का तेल दान किया। किसी ने कहा आप पर 'काल मच्छर दोष' है तो चार बुधवार चार भिखारियों को चार कण्डे दान किये पर सभी उपाय बेकार गये।
पाँचवी महिला (जंगलिया) : एक बार हमारे ये दो दिन के लिये बाहर गये जब वापस लौटे तो पूरे शरीर पर लाल दाने, हमें लगा इन्हें माता निकल आई है। समझ नहीं आ रहा था इन्हें लाल चुन्नी उढायें या झाड़ा लगवा लाये। तब इन्होंने कहा कि मच्छरों ने काट काटकर ये हाल कर दिया है।
छटा आदमी (भौचक्का) : हमें भी इन मच्छर महोदय का एक किस्सा याद आ रहा है। हम टीवी देख रहे थे तभी ये महोदय हमारी टकली चांद पर आकर बैठ गए। हमारी पत्नी ने जब मच्छर को एक जगह विराजमान देखा तो उनके अन्दर न जाने कौन सी आत्मा जाग गई। उन्होंने आव देखा न ताव और पास रखी फूलझाडू फुल ताकत से उस मच्छर यानि हमारे टकले पर दे मारी फिर पाँच मिनट तक हमारी आँखों के सामने बहुत सारे मच्छर नाचते रहे।