स्वर्ग में सब रम्भा को जानते थे पर हिडिम्बा को पता था कि सुर्खियों में कैसे रहा जाता है। जब तक आपकी चर्चा रहेगी तब तक ही लोग आपको पूछेगें। नहीं तो कटे हुए बालों की तरह भूल जायेंगे जो नाई की दुकान पर ही रह जाते हैं। अतः हिडिम्बा कुछ न कुछ विवादास्पद बयान देकर बखेड़ा खड़ा करती रहती। हिडिम्बा ने घोषणा कर दी कि अगर कोई इन्द्र को हरा देगा तो वह भरी क्रीड़ासभा (स्टेडियम) में एक्सपोजर से भी पीछे नहीं हटेगी।
बदसूरत होने के बाबजूद भी हिडिम्बा जानती थी कि मेकअप का प्रयोग किस तरह किया जाता है। जहाँ रम्भा का समय भक्ति में बीतता था। वहीं हिडिम्बा अपने समय का सद-उपयोग ब्यूटी पार्लर जाकर करती थी। रम्भा समाज सेवा में लगी रहती जबकि हिडिम्बा थोड़ी सी समाज सेवा करके उसके प्रचार में अपना समय और शक्ति लगती। देश के लोग समाज सेविका के रूप में हिडिम्बा का ही नाम जानते थे। जबकि शहर वालों को ही पता था कि असली समाज सेविका कौन है। हिडिम्बा ने अपनी सामाजिक सेवा के लिए एक NGO भी खोल लिया था। शहर की लगभग हर सामाजिक संस्था में हिडिम्बा की पैठ थी।