हमारे यहाँ घर आये मेहमान को चाय पिलाने की परम्परा है पर एक 20-21 साल की लड़की को चाय पिलाना मुझे महँगा पड़ गया। चाय पीते ही लड़की ने हो-हल्ला शुरू कर दिया। तुम्हें चाय बनानी भी नहीं आती, तुम्हारी चाय ( विचार धारा ) सड़ी हुई है। तुम्हारी चाय में जो मसाला पड़ा है वो एक खास वर्ग से जुड़ा हुआ है। हद तो तब हो गई जब सोशल मीडिया पर भी उसने मेरी चाय की बुराई करना शुरू कर दिया।
मैं उसकी दादी के पास गया और उनसे बोला आपने अपनी पोती को यह नहीं सिखाया कि जिस प्याली में चाय पीते हैं उसमें छेद नहीं करते। दादी उल्टा ही मुझ पर भड़क पड़ी कि तुम एक शहीद की बेटी का अपमान कर रहे हो। पहले तुम अपनी चाय (विचार धारा) ठीक कर लो। आज तक तो किसी ने मेरी चाय की बुराई नहीं की, हाँ कई बार लोग तारीफ जरूर करके जाते हैं।