सरकार ने घोषणा तो कर दी कि हर गरीब व्यक्ति को मुफ्त मोबाइल फोन देंगे। पर इस मोबाइल ने तो आम आदमी को भी (कम्युनिकेशन की) गरीबी रेखा के नीचे पहुंचा दिया है। भला गरीब की जिंदगी भी कोई जिंदगी होती है। बेचारा इस ग्लोवलाइज दुनिया में कई घण्टों पीछे चलने को मजबूर रहता है। अमीर आदमी 40-50 हजार के स्मार्टफोन लेता है। गरीब (कम्युनिकेशनल गरीब) दो-तीन हजार का मल्टीमीडिया फोन लेकर खुश हो लेता है। अमीर एक डेढ़ हजार का इंटरनेट प्लान लेता है। गरीब सौ रुपए का रिचार्ज करा कर पूरे महीने नेट चलाता है। गरीब के फोन में स्पीड kbps में आती है जबकि अमीर mbps मैं जिंदगी के मजे लूटता है।
बेचारे गरीब को एक गाना डाउनलोड करने में ही 5-10 मिनट लग जाते हैं इतने में अमीर पूरी फिल्म डाउनलोड कर लेता है। गरीब जब चैटिंग कर रहा होता है तो उसके फोन के सिग्नल चले जाते हैं या फिर जब फेसबुक पर स्टेटस अपडेट करने बैठता है तो फोन की बैटरी खत्म हो जाती है। अमीर आदमी को बैटरी की कोई चिंता नहीं रहती वह तो दो-तीन फोन रखके चलता है। अगर कोई फोन का शौकीन हो तो उसके पास इतने फोन होंगे कि उनकी माला बनाकर गले में पहन लो।
उधर गरीब जब घर पहुंचा है तो उसके इकलौते फोन पर बच्चे गेम खेलने चुपक जाते हैं।
भगवान सब कुछ दे पर ऐसी गरीबी न दे।