आजकल एक बाबा (बागेश्वर) लोगों में अंधविश्वास फैलाने में लगे हैं लेकिन तब कोई अंधविश्वास नहीं फैलता जब हजारों लोगों के सामने चंगई दी जाती है। हजारों की भीड़ के सामने कई लोग दावा करते हैं कि उन्हें चंगई मिल गई है फिर भी पूरी दुनियाँ में लोग अस्पताल जाते हैं। कोरोना काल में ये चंगई बाँटने वाले कहाँ चले गये थे। कोई बाबा भभूत बाँटने लगे या पानी पिलाकर बीमारी भगा दे तो अंधविश्वास फैलने लगता है लेकिन झाड़-फूँक, गण्डे ताबीज से कोई फकीर बीमारी भगाए तो आस्था बढ़ती है। देवी-देवताओं के लॉकेट पहन लो तो अंधविश्वास लेकिन ताबीज पहन लो तो ईश्वर में विश्वास। नदियों में नहाना ढकोसला और होली वॉटर में डुबकी लगाना आस्थावान होने की पहचान।
एक बाबा समोसे के संग चटनी खिलाकर किस्मत बदलते थे। पूरा मीडिया व कई लोग उनके पीछे पड़ गये और बाबा को भगाकर ही दम लिया लेकिन ताबीज देकर या क्रॉस लटका कर किस्मत बदलने वाले अभी भी आते रहते हैं। पता नहीं क्यों...? सारे अंधविश्वास फैलाने वाले हिन्दू धर्म में ही क्यों निकलते हैं। दूसरे धर्मों में हमेशा शान्ति फैलाने वाले, दुख व दर्द दूर करने वाले, ईश्वरी कृपा से बीमारी भगाने वाले पैदा होते हैं।