उन्होंने गुस्से में कह तो दिया पर समझ में नही आया कि ऐसा करें कैसे। एक दिन उन्होंने यह डॉयलॉग सुना कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानों..... औरत की जिंदगी बदल देता है एक चुटकी सिंदूर। बस रमेश बाबू ने अपना अच्छा खासा धंधा छोड़कर सिन्दूर की दुकान खोल ली। उस औरत का क्या हुआ यह तो नहीं पता, पर हाँ रमेश बाबू की जिंदगी जरूर बदल गई...और वो फुटपाथ पर आ गए।