कछुए और खरगोश की कहानी का खरगोश जो कछुए की पीठ पर बैठकर सो रहा था ताकि सोते-सोते भी रेस जीत ले। प्यासा कौआ जो घड़े में स्ट्रॉ डालकर पानी पी रहा था। चार झींगुर जो मजीरे बजा रहे थे। उनके संग बैठा मेंढ़क जो उन्हें देखकर अपने गाल बजा रहा था। कुछ गधे जो उल्लुओं को जीभ चिढ़ा रहे थे और उल्लू चिढ़कर उनका मुँह नोच रहे थे। एक मधुमक्खी जो कुकुरमुत्ता लेकर पहाड़ से बार-बार कूद रही थी। वो वहाँ पेराटूपिंग की प्रेक्टिस कर रही थी। तभी वहाँ कहीं से उड़ता हुआ तकिया आ गया। जिसमें से रुई गिर रही थी। धीरे-धीरे सारी रुई इकठ्ठा होकर बादल बन गई जिसमें से लाल रंग की स्याही टपकने लगी।
यहाँ खाने में बर्फ के पकौड़े, मछली का दूध, छिपकली के अण्डों का ऑमलेट, तन्दूरी मच्छर, चूसे हुए बकरे का मीट मिल रहा था। साथ ही बर्फ पर बैठाकर खोलते पानी से नहाने का इंतजाम था। इसके बाद खुजली वाला तेल लगाकर कैक्टस से मसाज दी जानी थी। थियेटर में फ्री मूवी दिखायी जा रही थी। पर शर्त यह थी कि देखने वाले की पहले आँख फोड़ दी जायेगी। फ़िल्म देखने के बाद गैंडे के बच्चे को पीठ पर बैठाकर पूरे जंगल की परिक्रमा लगवानी थी। पास में क्रिकेट का मैच चल रहा था। जहाँ जिसके हाथ में बॉल जाती थी उसी को लठ्ठ लेकर कूटा जाता था। इसलिए कोई कैच नहीं पकड़ रहा था और कैच छूटने पर डबल कुटाई होती थी।