भौचक्का हाथ में झाड़ लेकर कटी पतंग के पीछे भागा जा रहा था। उसकी आँखें आसमान की ओर पतंग पर टिकी थी तो रास्ते में एक कुतिया उसके पैरों के बीच आ गई। जिससे ठोकर खाकर वो वहाँ बैठे एक सूअर के ऊपर गिर पड़ा। ऐसे यकायक अपने ऊपर कोई भारी सी चीज गिरने से सूअर घबरा गया और वहाँ से भाग खड़ा हुआ। अब भौचक्का मय झाड़ के सूअर की पीठ से चिपका हुआ था और सूअर उसको पूरे मोहल्ले में घुमा रहा था। उनकी सवारी देखने वालों की वहाँ भीड़ लग गई।
एक दिन भौचक्का की नजर पेड़ पर लटकी पतंग पर पड़ी। पतंग देखते ही वह बिना देर किये उसे उतारने पेड़ पर चढ़ गया। पतंग पेड़ की ऐसी शाखा पर थी जो बहुत पतली थी। भौचक्का ने हाथ बढ़ाकर पतंग उतारनी चाही पर पतंग उसकी पहुँच से दूर थी। वह छिपकली की तरह धीरे-धीरे डाल पर रेंगकर पतंग की तरफ बढ़ने लगा। पर डाल उसका नाजुक वजन सह न सकी और भौचक्का सीधे जमीन पर आ गिरा। उसके हाथ पतंग तो नहीं लगी पर हाँ उसकी गोद में एक बन्दर का बच्चा और सिर पर चील का घोंसला विराजमान था।
एक बार भौचक्का अपने पड़ोसी की छत पर पतंग उड़ाने गया। वहाँ एक कटी पतंग देखते ही भौचक्का ने उसके पीछे दौड़ लगा दी। पड़ोसी की छत पर कोई मुडगेली (रैलिंग) नहीं थी। उसके पड़ोसियों ने शोर मचाकर भौचक्का को सावधान करने की कोशिश की कि आगे देखो। पर तब तक देर हो चुकी थी। भौचक्का अपने पैरों पर इमरजेंसी ब्रेक लगाने के बाद भी अपने को सही समय पर न रोक पाया और सिर के बल नीचे गिरने लगा। वहाँ कोई निरीह पुरूष अपनी दीर्घशंका निवारण हेतु उसी दीवार के सहारे बैठा हुआ था। भौचक्का का सिर सीधे उसी निरीह प्राणी से टकरा गया। उस प्राणी को लगा कि आसमान से कोई उल्का पिंड उसके ऊपर आकर गिर पड़ा है।
एक दिन भौचक्का को बिजली के तारों पर पतंग लटकी दिखी। जिसका मांझा नीचे जमीन तक आ रहा था। मांझा जोर-जोर से चिल्ला के कह रहा था, मान जा-मान जा पर भौचक्का का दिल नहीं मान रहा था। उसने लपक कर पतंग का मांझा पकड़ लिया। पर कमवक्त मांझा चीन का निकला और भौचक्का को जोर का झटका मार गया। अब इसे ईश्वर की कृपा कहें या भौचक्का की मोटी चमड़ी कि वो 440 वोल्ट का झटका झेल गया। वो करंट से तो बच गया पर उसका शरीर आवेशित हो गया। अब जो भी भौचक्का को छूता 10 फीट दूर जाकर गिरता। गलती से भौचक्का ललुआ की भूरी भैंस से छू गया। उसके छूते ही भैंस ने पूँछ उठाकर वो दौड़ लगाई कि उसके सामने पी टी ऊषा भी फेल।