गब्बर- अरे ओ सांभा, कितने मास्टर थे?
सांभा- सरदार बस एक।
गब्बर- और तुम ?
सांभा- सरदार पूरे चालीस।
गब्बर- तुम चालीस , मास्साब एक.......फिर भी पढ़कर चले आये। मुर्गे के बच्चों , क्या सोचकर आये थे। सरदार खुश होगा, तुम्हें टॉफियां बांटेगा।
तभी से सांभा गब्बर से दूर रहने लगा और गब्बर को देखते ही कहीं ऊपर चढ़कर बैठ जाता था। जिससे गब्बर की ऊपर करे-करे जल्दी गर्दन थक जाये। और वो बोल-बोलकर उसे ज्यादा पका न पाये।
तो सभी पाठक गढ़ इस कहानी को पढ़कर जोर से कहें...