मैं पड़ा-पड़ा बोर हो रहा था तो सोचा ड्रॉइंग बना लूँ। मैने पेंसिल उठाई और परी की ड्राइंग बनाने लगा पर ये पेंसिल तो जादुई निकली जैसे ही ड्राइंग पूरी हुई वो परी सच्ची की सोनपरी बन गई। सोनपरी ने मुझे अपनी जादुई छड़ी से जूनियर जी बना दिया, जी यानि जीनियस। अब मैं जब भी बिस्कुट खाता 'जूनियर जीनियस' बन जाता। अब मैं धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था। मेरी मुछछी भी निकल आई थी। ऐसे ही एक दिन विलेन को मारते हुए मेरी मुलाकात हीरो से हो गई, जिसकी भक्ति ही उसकी शक्ति थी। हीरो ने माँ दुर्गा की दी हुई चमत्कारी नॉन डेनिम (बॉलबेटम पेंट) पहन रखी थी। मुझे भी ये चाहिये थी, आखिर मैं कब तक वो 6 पॉकेट वाली कार्गो पेंट पहनता। अपनी पहली मुलाकात को यादगार बनाने के लिए मैने हीरो को हाजमोला की चुलबुली इमली दी और खुद अलबेला आम खाया।
मैं बड़ा हो गया था तो मेरे पास लैटेस्ट गैजेट था। नोकिया 1100, आईला हीरो तो मेरे से भी आगे निकला उसके पास तो नोकिया 6600 था। हीरो ने मुझे एक फ्लॉपी दी, इसमें शायद दुनियाँ के सारे सुपर विलेन की जानकारियाँ थीं लेकिन कम्प्यूटर पर फ्लॉपी रन करने के बाद मेरा तो माथा ठनक गया। इसमें तो केवल बहुत सारे Dos गेम थे। मेरा मन तो ps1 के गेम खेलने का था पर इतना पैसा तो विलेन लोगों पर ही होता है कि वो ps जैसे महँगे गेम खरीद सकें। हम जैसे गरीब हीरो को तो tv गेम से ही काम चलाना पड़ता। उस पर बत्तख मार-मार के निशानेबाजी का अभ्यास किया था मैंने, तभी तो आज मेरा निशाना शार्प शूटर से भी अच्छा है।
एक बार कुछ विलेन जादू को उसकी ही उड़नतश्तरी में किडनैप करके ले जा रहे थे। यह देखकर मैंने अपनी कार्गो की जेब से 150 रुपये वाली माउजर निकाली और उड़नतश्तरी पर सटीक निशाना लगाया। जिससे विलेन की आँखों में मटर जैसी पीली गोलियाँ घुस गई। मेरी सटीक निशानेबाजी के कारण उन्हें उड़नतश्तरी वहीं उतारनी पड़ी और इस तरह हमने कृष से पहले जादू को बचाया। विलेन लोगों को मार-पीट कर हम अपने-अपने सुपर हीरो वाहन से घर चल दिये। मेरे पास अपनी tvs स्पोर्ट थी तो हीरो के पास हीरो होण्डा की सीडी 100।