द्वापर युग में एकलव्य अपनी धनुर्विद्या का अभ्यास कर रहे थे। तब उन्होंने एक कुक्कर (कुत्ते) का मुँह तीरों से भर दिया। वह कुक्कर भगवान श्री कृष्ण के पास गया और बोला कि भगवन मैं तो एक श्वान हूँ और मेरा कार्य ही है भौकना। फिर मेरा मुँह तीरों से बंद करके मुझे किस बात की सजा दी गई है। तब भगवान ने उस कुक्कर से कहा,"चिंता मत करो, तुम कलयुग में पैदा होगे और कोई भी तुम्हें कुछ भी बोलने से नहीं रोक पायेगा और उसने कलयुग में दिग्विजय सिंह के रूप में जन्म लिया।....तथास्तु