वृश्चिक में गुरु के गोचर का मेष राशि पर सम्भावित प्रभाव
देवगुरु बृहस्पति की उपासना ज्ञान, विज्ञान, बुद्धि, धर्म और आध्यात्म के साथ-साथ भाग्य वृद्धि, विवाह तथा सन्तान सुख की प्राप्ति के लिए की जाती है | किसी व्यक्ति की कुण्डली में गुरु पिता का कारक भी होता है और किसी कन्या की कुण्डली में पति के लिए भी गुरु को देखा जाता है | साथ ही माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति का गुरु बली हो तो वह व्यक्ति विद्वान् होता है तथा उसे अपने ज्ञान के ही कारण यश और धन की प्राप्ति होती है | इन्हें देवगुरु की उपाधि से विभूषित किया गया है अतः इन्हें “गुरु” भी सम्बोधित किया जाता है | ये शील और धर्म के अवतार माने जाते हैं | नवग्रहों के समूह का नायक माने जाने के कारण इन्हें गणपति और गणाधिपति नामों से भी सम्बोधित किया जाता है | धनु और मीन दो राशियों तथा पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्रों का स्वामित्व गुरु के पास है | कर्क इनकी उच्च राशि तथा मकर निम्न राशि है | सूर्य, चन्द्रमा और मंगल के साथ इनकी मित्रता है, बुध तथा शुक्र शत्रु ग्रह हैं और शनि के साथ ये तटस्थ भाव में रहते हैं | गुरुदेव एक राशि पर लगभग एक वर्ष तक भ्रमण करते हैं | वक्री और अस्त आदि होने की स्थिति में कभी कभी इस अवधि में कुछ घट बढ़ भी हो सकती है | इस वर्ष 11 अक्टूबर को रात्रि 8:39 के लगभग देवगुरु बृहस्पति अपने शत्रु ग्रह शुक्र की राशि तुला से निकल कर मित्र ग्रह मंगल की वृश्चिक राशि में प्रस्थान करेंगे | वृश्चिक राशि में अपने भ्रमण के दौरान गुरुदेव 28 अक्टूबर से अनुराधा नक्षत्र में और 27 दिसम्बर से ज्येष्ठा नक्षत्र में भ्रमण करते हुए अन्त में 29 मार्च 2019 को 20:07 के लगभग अपनी स्वयं की राशि धनु और मूल नक्षत्र में प्रविष्ट हो जाएँगे | इस बीच 16 नवम्बर से 16 दिसम्बर तक गुरु को भगवान् भास्कर का साथ भी मिलेगा और 12 नवम्बर से 10 दिसम्बर तक गुरुदेव अस्त भी रहेंगे | 10 अप्रेल 2019 को 22:05 के लगभग गुरु का वक्री होना आरम्भ होगा और वक्री होते हुए 23 अप्रेल की रात को पुनः वृश्चिक राशि में लौट आएँगे | 11 अगस्त को 19:42 के लगभग गुरु मार्गी हो जाएँगे और इसी अवस्था में पाँच नवम्बर तक भ्रमण करते हुए अन्त में पाँच नवम्बर को प्रातः सूर्योदय से पूर्व 05:16 के लगभग पुनः अपनी स्वयं की धनु राशि में प्रविष्ट हो जाएँगे | वृश्चिक में पुनः अपनी यात्रा के दौरान गुरु का गोचर 23 अप्रेल से पुनः ज्येष्ठा नक्षत्र पर रहेगा |
वृश्चिक राशि में गोचर करते हुए गुरु वृश्चिक राशि को तो प्रभावित करेगा ही, साथ ही गुरु की दृष्टियाँ वृश्चिक राशि से पञ्चम भाव यानी स्वयं अपनी राशि मीन पर, वृश्चिक से सप्तम भाव यानी वृषभ राशि और वृश्चिक राशि से भाग्य स्थान यानी कर्क राशि पर रहेंगी | इस प्रकार गुरु अपने इस गोचर में वृश्चिक, मीन, वृषभ तथा कर्क राशियों को प्रभावित करेगा | निश्चित रूप से इन राशियों के लिए यह गोचर भाग्यवर्द्धक रहने की सम्भावना की जा सकती है |
उपरोक्त समस्त तथ्यों के आधार पर आज से आरम्भ कर रहे हैं कि प्रत्येक राशि पर इस गोचर के क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं... सबसे पहले, आइये जानने का प्रयास करते हैं कि मेष राशि के जातकों पर गुरु के वृश्चिक राशि में गोचर के क्या सम्भावित प्रभाव हो सकते हैं...
आपके लिए आपका भाग्येश और द्वादशेश होकर गुरु आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर कर रहा है | आपके लिए यह गोचर मिश्रित फल देने वाला कहा जा सकता है | सम्भव है आरम्भ में आपको अपने कार्यों में किसी प्रकार के व्यवधान का अनुभव हो जिसके कारण आपका मन भी अशान्त रह सकता है | किन्तु चिन्ता की आवश्यकता नहीं है, समस्याओं का समाधान भी स्वयं ही होता चला जाएगा |
आपका व्यय और भाग्य स्थानों का स्वामी होकर गुरु आपके अष्टम भाव से आपके व्यय भाव के साथ ही आपके धन भाव Invest को भी देख रहा है | यदि आपने कहीं पैसा किया हुआ है तो उसमें धनलाभ की सम्भावना की जा सकती है | पैसा Invest करने के लिए यह गोचर अनुकूल नहीं प्रतीत होता | अचानक ही किसी ऐसे स्रोत से धनलाभ की भी सम्भावना है जहाँ के विषय में आपने कल्पना भी नहीं की होगी, किन्तु इसके साथ ही आपके खर्चों में भी वृद्धि की सम्भावना है |
आपके चतुर्थ भाव पर भी गुरु की दृष्टि आ रही है | आप किसी प्रॉपर्टी पर पैसा खर्च कर सकते हैं | किन्तु अभी नई प्रॉपर्टी खरीदना आपके लिए अनुकूल नहीं रहेगा | पैसे के लेन देन में सावधानी रखने की आवश्यकता है | साथ ही ऐसे लोगों को पहचान कर उनसे दूर रहने की आवश्यकता है जो आपके लिए किसी प्रकार भी नकारात्मक हो सकते हैं |
कुछ क्षेत्रों के लिए यह गोचर शुभ हो सकता है | जैसे यदि आप कोई शोध कार्य कर रहे हैं तो उसमें प्रगति की तथा सफलता प्राप्त होने की सम्भावना की जा सकती है | यदि आप अध्ययन अध्यापन का अथवा किसी प्रका की Alternative Healing जैसे होमेयोपेथी या किसी प्रकार की Counselling आदि के क्षेत्र से सम्बद्ध हैं तो आपके कार्य में प्रगति की सम्भावना है |
इस अवधि में यात्राओं में वृद्धि की भी सम्भावना है | यात्राएँ कार्य की दृष्टि से तो अनुकूल रह सकती हैं किन्तु स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता होगी – विशेष रूप से 29 मार्च 2019 से 23 अप्रेल 2019 तक | इस समय में अपने पिता के भी स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता होगी | शेष समय में क्योंकि मित्र ग्रहों शनि और बुध के नक्षत्रों पर गुरु का गोचर रहेगा अतः परिणाम अनुकूल हो सकते हैं |
किन्तु ध्यान रहे, ये परिणाम सामान्य हैं | किसी कुण्डली के फलादेश के लिए केवल एक ही ग्रह के गोचर को नहीं देखा जाता है, और भी बहुत से सूत्रों के आधार पर कुण्डली का परीक्षण किया जाता है | अतः इसके लिए किसी योग्य ज्योतिषी से कुण्डली के विषय में बात करनी चाहिए...
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