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मनोरंजन

hindi articles, stories and books related to Manoranjan


निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

  अब आगे ...तभी उनमें से प्रशांत एक दोस्त हंसते हुए बोल पड़ा — अगर अपनी भलाई चाहते तो ज्यादा बक - बक मत करो और अगर नहीं चाहते हो तो अपने चेहरे का नक्शा बिगडवाने के लिए रेडी रहना ।  

     प्रियांशु की बात सुनकर नीलू उससे कहा - यार मेरादिल उस पर आ गया है . . . अब आगे     ________________बहुत देर तक वो डांस करते रही । फिर जब नीलू से नहीं रहा गया तो

                   डांस क्लब में शिवांगी डांस कर रही थी । उसने ब्लैक कलर की वन पीस ड्रेस पहन रखा था जो घुटनों से थोड़ी सी ऊपर थी , खुले हुए काले - लम्

                         my new story 💖 मरिज -ए - इश्क💝hello everyone comment kar k bataeye ki yah kahani aap logo ko ...nahi na

रात के 10 : 30 pm  हो रहा था । अब तक सब लोग अपने - अपने घर चले गए थे । लड़के वाले तो 06:00 - 06: 30 pm में ही चले गए थे ।  लेकिन प्रतीक्षा के घर आए अतिथि देर तक रहे । जिसके कारण प्रशांत के घ

   काफी देर से चुप मानवी माधुरी जी की ये बात सुनकर तपाक से बोली — अरे अंकल मेरा भाई कार्तिक भी ऐसे ही कहता है माँ से कि बाबू जी मेरे से प्यार नहीं करते है सिर्फ मानवी दी से करते है । &n

         मैं नहीं मानूंगा कभी इस बात को , ये तो कभी नहीं हो सकता ।  मैं तो कभी  मान ही नहीं सकता हूं कि तुम और शादी नहीं करना चाह रहे थे । तू तो अब चुप ही रह ... मुं

      प्रशांत के दोस्त उसका इस तरह गुस्से में मुस्कुराने की वजह जानते थे , इसलिए उसके एक दोस्त ने उसके दिमाग में इस समय जो बात चल रही थी उसे जानकर प्रशांत से कहा —   ऐसा होता

प्रशांत की मां उसके चेहरे पर आते - जाते भाव को देखकर कुछ - कुछ समझ जाती है ,  कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है । तो वह उससे कहती हैं ; देख तू कोई भी प्लान बना ले या कुछ भी करने की कोशिश कर ले , ल

       प्रशांत अपने ऑफिस में बैठे हुए बोर हो रहा था । आज ऑफिस में उतना काम नहीं था । वह कुर्सी पर बैठे हुए इधर-उधर ऑफिस में देख रहा था और अपने मन को बहला रहा था । आज उसका मन बिल्कु

       मानवी  मिस्टर सिकरवार से बोलती है — अरे .... अरे ..... अंकल यह फर्श एकदम साफ है और वही मेरा सैंडल इसके आगे कितना गंदा लग रहा है और इसमें कितनी मिट्टी भी लगी हुई है । मै

        फाइनली आज मानवी का  सपना पूरा होने वाला था । वह काफी खुश थी शहर जाने के लिए । थोडी देर बाद मानवी को लेकर मिस्टर  सिकरवार बाहर आ   गए और गाड़ी के तरफ चल

         अगले दिन मिस्टर सिकरवार दोपहर में पाठक जी के घर आ गये मानवी को अपने साथ ले जाने के लिए । मानवी मिस्टर सिकरवार को देखकर बहुत खुश हो गई । उसे शहर जाने कि इतनी जल्दी थी

                   ( अगर मानवी बड़े घर की बेटी होती और शहर से होती , तो पता है उसके फ्रेंड्स क्या कहते आज उसे ऐसे लुक में देखकर - किलर लुक )😀😀 

     श्वेता जी (मानवी से कहती हैं  ) - यह तेरे घर की पूजा है , ना कि किसी और के घर की , जो तुम इतनी मटर गश्तीयाँ करते फिर रही हो ।😡 वह फिर मानवी से कहती हैं ,अब खड़े-खड़े मुंह क्य

            मानवी ( मिस्टर सिकरवार से कहती है )-मैं कभी किसी दूसरे आदमी को बाबूजी बोलती हूं ,तो वह थोड़ा जलते हैं . . . थोड़े जलकुकडे  हैं मेरे बाबू जी ... ये कह कर

           मानवी के बाबू जी गांव के सरपंच हैं तो वह अक्सर गांव में ही रहते हैं घर पर हो शाम को ही आते हैं ।वो अब अक्सर लोग उसे कहते हैं कि जरा हमें कोई अच्छा सा लड़क

              यह कहानी एक गांव की लड़की की है ,जो बहुत ही चंचल स्वभाव की है  उसके पैर घर में बिल्कुल भी नहीं टिकते हैं । शहर क्या होता है यह मानवी नहीं जाती है

उम्र के किसी मोड़ पर, इश्क़ मैंने किया था कभी.प्यार में किसी के सुनहरा, दौर मैने जीया था कभी.ये मेरी कहानी, जरा है पुरानी, जो तुम सुन रहो, तुम्हे है बतानी, बात है उस वक्त

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