साफ दिल के साथी से जब नज़रें मिलाओगे
वो हँसती हुई खुद की छवि तुम देख पाओगे
प्रेम और विश्वास संग जो तुम घर बनाओगे
सुख दुःख के हर मौसम में बस मुस्कुराओगे
तुम और मैं हम ना हुए तो ये लहरें डुबोएँगी
कैसे इस भव सागर के आखिर पार जाओगे
प्रीत जो होगी न मन में मेरी हर बात चुभेगी
अठखेलियों पर भी फिर तुम तिलमिलाओगे
रिश्तों की पौध भी तो शिद्दत से फले मधुकर
दोगे अगर ना खाद गुल फिर कैसे खिलाओगे
शिशिर मधुकर