जिनमें सुकूं मिला मुझे वो लम्हें निकल गए
सपनों के सभी आशियां धू धू हो जल गए
चट्टान सा मिला ना मुझे रिश्ता कोई यहाँ
मौसम गर्म हुआ तो सब हिंम से पिघल गए
अपनों का साथ जिंदगी में ग़म का इलाज है
वो क्या करें जिन्हें यहाँ अपने ही छल गए
चोटें लगी हो जिनको वो ही जानते है पीर
इसी राज़ के सहारे हम भी संभल गए
तोहमत लगाने वालों सुनो मधुकर की ये सदा
प्यासे को जहाँ पानी मिला अरमां मचल गए
शिशिर मधुकर