नैनों में नैन डाल सब जज्बात कह गए
तेरे हुस्न के नशे में यारा हम तो बह गए
खिलते नहीं है फूल सदा जीवन के बाग में
सोच कर यही तो हम हर ग़म को सह गए
सीढ़ी बना के हमने कभी इंसा को ना ठगा
पहुँचे ना शिखर पर तभी और नीचे रह गए
असली दीवानगी यहाँ कहने की बात है
सब खोखला मिला जो रिश्तों की तह गए
मंजिल अगर मिले तो सफ़र नीक है मधुकर
वरना तो यूँ लगता है उसपे हम बेवजह गए
शिशिर मधुकर