धुंधली ना हो तस्वीर तू रंग इसके उभार दे
नज़रों के पास आ ज़रा किस्मत संवार दे
सूखी हैं सभी डालियाँ बरसी है ऐसी आग
सावन की फुहारों को ला इनको बहार दे
चेहरे का नूर कुछ ना था इक साथ था तेरा
धोकर सभी मलिनता तू इसको निखार दे
तेरी मुहब्बतों का नशा हरदम कबूल था
आँखों से पिला दे मय मुझे फिर से खुमार दे
ज़िल्लतों के बोझ सब मधुकर सहे बहुत
बीती हुई हर इक बात तू अब तो बिसार दे
शिशिर मधुकर