चाहा बहुत ना दिल से तुझे दूर कर सके
भूलूँ तुम्हें ना वो मुझे मजबूर कर सके
आनंद वो मैंने पा लिया जिसकी तलाश थी
बाकी नशे ना मुझको कभी चूर कर सके
एक तेरी उल्फत ने मुझे ऊंचा उठा दिया
बाकी जतन ना मुझको यहाँ मशहूर कर सके
यूँ तो दीवाने भी कई हर मोड़ पे मिले
तेरी चाहतों के जैसा ना पर नूर कर सके
रग रग में तुम ही बस गए शंका नहीं मधुकर
तुमको मगर मलाल है ना सिन्दूर कर सके
शिशिर मधुकर