भले ही मुद्दतों से हम ना तुमसे बात करते हैं
तेरे ख़्वाबों में ही लेकिन बसर दिन रात करते हैं
ये माना बाग़ उजड़ा है बहारें अब ना आती हैं
उम्मीदें मन में रख मेघा फिर भी बरसात करते हैं
जिन्हें इस ज़िन्दगी में प्यार में भगवान दिखता है
हदें सब तोड़ कर वो फिर से मुलाक़ात करते हैं
भूल कुछ हो गईं तुमसे चूक मैंने भी कर डालीं
चलो फिर से मुहब्बत में नई शुरुआत करते हैं
वक्त रुकता नहीं मधुकर ज़माना चाहे कुछ कर ले
चलो हम तुम फिर से मिल के हसीं हालात करते हैं
शिशिर मधुकर