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नई शुरुआत करते हैं

14 नवम्बर 2017

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भले ही मुद्दतों से हम ना तुमसे बात करते हैं
तेरे ख़्वाबों में ही लेकिन बसर दिन रात करते हैं

ये माना बाग़ उजड़ा है बहारें अब ना आती हैं
उम्मीदें मन में रख मेघा फिर भी बरसात करते हैं

जिन्हें इस ज़िन्दगी में प्यार में भगवान दिखता है
हदें सब तोड़ कर वो फिर से मुलाक़ात करते हैं

भूल कुछ हो गईं तुमसे चूक मैंने भी कर डालीं
चलो फिर से मुहब्बत में नई शुरुआत करते हैं

वक्त रुकता नहीं मधुकर ज़माना चाहे कुछ कर ले
चलो हम तुम फिर से मिल के हसीं हालात करते हैं

शिशिर मधुकर

रेणु

रेणु

आदरणीय शिशिर जी-- वन में आशा ही सबसे बड़ा संबल है | इसी आशा भरे मन की बहुत सुंदर कामना और आँखों के दिवास्वपन को संजोती सुंदर रचना --- सादर ---------

27 नवम्बर 2017

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रचनाएँ
shishirmadhukar
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समय समय पर मेरे मन से निकलने वाले शब्दों को व्यक्त करने का अनुपम मंच.
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एक महान राष्ट्र

23 अगस्त 2016
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मध्यप्रदेशऔरछत्तीसगढ़मेंबाढसेतबाहीमुख्यमंत्री ने अफसरों के साथ समीक्षा की उत्तर प्रदेश में सभी नदियों का जलस्तर बढ़ा मुख्यमंत्री और उनके चाचा एक मंच पर दिखे प्रधानमंत्री पाक अधिकृत कश्मीर पर चिंतित उम्र ने अपना घर संभालने की नसीहत दीदिल्ली का मुख्यमंत्री जनमत संग्रह कराएगाप्रधानमन्त्री को भी काम करना

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जिस देश के मोदी नेता हों - शिशिर मधुकर

30 सितम्बर 2016
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जिस देश के मोदी नेता हैं और जो डोवालों से रक्षित हैंभावी पीढ़ी जान ले अब उसका मुस्तकबिल सुरक्षित हैभारत के ताकतवर होने का असल समय अब आया है तभी काल ने पारिक्कर जैसे बेटे को रक्षा मंत्री बनाया है राजनाथ भी अब मोदी जी संग भारी भरकम लगते हैं सुरेश प्रभु और गडकरियों हाथों

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भगवान कर डाला - शिशिर मधुकर

2 नवम्बर 2016
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मेरे अपनों ने मेरे संग ये कैसा काम कर डाला मुझे रूसवा ज़माने भर में सरे शाम कर डालामुझे मालूम ना था मेरे घर में कई सर्प पलते हैउन्हे मौका मिला ज्यों ही मुझे तमाम कर डालालाख शक्ति थी रावण में राम से बैर करने कीविभीषण ने मगर हार का इन्तजाम कर डाला ज़माना भर यहाँ करता है श्री राम का

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वक्त ने जो तय किया - शिशिर मधुकर

2 नवम्बर 2016
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वैसे तो मैं खुद ही बहुत बचता था आग सेपुरानी जलन जो दें गई थी मुझको दाग सेपर वक्त ने जो तय किया बस हुआ तो वही मेरे घर को आग लग गई घर के चिराग सेशिशिर मधुकर

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सत्य की खातिर - शिशिर मधुकर

2 नवम्बर 2016
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सत्य की खातिर लड़ो और अत्याचार कभी ना सहोसर को सदा ऊँचा रखो और अपनी सारी बातें कहोमेरी इस शिक्षा को ही तो मेरी संतान ने ग्रहण कियातभी तो उसने मेरे विरुध्द लड़ने का एक प्रण कियाधर्म युद्ध होता है जब तो कुछ भी गलत होता नहीँपर युद्ध ना करना पड़े मिलजुल कर तो सोचो यहीजब तक दुर्योधन ने भी भूमि देने से ना म

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बुजदिल – शिशिर मधुकर

23 दिसम्बर 2016
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तेरी सांसो की महक सांसो में मेरी शामिल हैतेरे बिना सफ़र जिन्दगी का बहुत मुश्किल हैतेरे हर अंग में मेरी मुहब्बत का पाक मंदिर हैये दिल यादों में सदा जिसकी हुआ गाफिल हैचाहत इंसानों की जहाँ हद से गुजर जाती हैऐसे रिश्तों को यहाँ मिलती ना कोई मंजिल हैतन्हा रहता है दर्द सहता है और मुस्कुराता हैहर इंसान अब

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मालियों के हाथ - शिशिर मधुकर

15 जनवरी 2017
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अगर पौधा लगाया है उसे पानी तो देना है धूप मिलती रहे उसको सभी लोगों से कहना हैअगर तुम भूल जाओगे तो वो फ़िर जड़ फैलाएगा जिधर से मिलती होगी धूप उधर ही झुकता जाएगाजड़े जब दूर तक उस वॄक्ष की सब फैल जाएँगी लाख कोशिश करो वो कभी वापस ना आएँगीअगर शाखें भी उस पेड़ की तुम काट डालोगे उसकी फैली हुई हर जड़ को कहो

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मिट गए सारे भरम - शिशिर मधुकर

16 जनवरी 2017
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वो तेरी शर्म और हया और वो तेरा मुझ पर करम मैं नहीँ भूला हूँ कुछ भी पर तुमने बदला है धरमयाद कर तू वो समय इस पहलू में तुम चहका किये क्या हुआ जो भूल बैठे उल्फ़त की तुम सारी कसमजीवन की लम्बी राहों में जद्दोजहद तो बड़ी आम हैहर ईक ग़म भूला था मैं जो रुख पर गिरी साँसें नरमकभी मिलते रहे खिलते रहे और गुनगुनाते

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रिश्तों की पौध – शिशिर मधुकर

27 फरवरी 2017
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साफ दिल के साथी से जब नज़रें मिलाओगेवो हँसती हुई खुद की छवि तुम देख पाओगेप्रेम और विश्वास संग जो तुम घर बनाओगेसुख दुःख के हर मौसम में बस मुस्कुराओगेतुम और मैं हम ना हुए तो

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मेरी मनमानियाँ

1 मार्च 2017
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करूँ मैं बात अब किससे ना मेरा कोई साथी हैजले अब लौं भी ये कैसे सूखे दीपक में बाती है यहाँ मौसम बदलने से हवा का रुख बदलता हैकभी देती थी जो ठंडक वही अब घर जलाती है जिसे अपना समझ मैंने हर इक राज बांटा थामुझे गैरों के जैसा मान वो सब कुछ छुपाती हैजमाने ने कहा मुझसे मैं उसकी बात भी सुन लूँमेरी मनमानियाँ ल

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बस एक दाल रोटी का सवाल है

28 मई 2017
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बच्चे से मैं प्रौढ़ हो गया जाना जीवन जंजाल हैइंसानी फितरत में देखा बस एक दाल रोटी का सवाल है कोई भी चैनल खोलो तो बेमतलब के सुर ताल हैंपत्रकारों की भीड़ का भी बस एक दाल रोटी का सवाल है नेता नित देश की सेवा करते देश मगर बदहाल हैइसमें में भी तो आखिर उनकी बस एक दाल रोटी का

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आओ बहस करें - शिशिर मधुकर

1 जून 2017
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बेसुरा बिहार का बैजू बन गया आओ बहस करें व्यापम से फर्जी डाक्टर बन गए आओ बहस करें मेघा को दुत्कार मिल रही आओ बहस करें सामाजिक न्याय की जोत जल रही आओ बहस करेंढेर कूडो के कम ना होते आओ बहस करें स्वच्छ भारत मिशन को ढोते आओ बहस करें अफसर अब भी लूट खा रहे आओ बहस करें ईमानदारी को धता बता रहे आओ बहस करें शि

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तेरा जो साथ मिलता – शिशिर मधुकर

4 जून 2017
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तेरा चेहरा जो दिख जाता वहीँ बरसात हो जातीबिना बोले ही नज़रो से दिलों की बात हो जाती अगर तुम चाँद के जैसा खुद का श्रृंगार कर लेतेये दावा है मेरा खुद ब खुद सुहानी रात हो जाती काश तुम मुस्कुरा कर के मेरे पहलू में आ जातेवो ही मेरे लिए तो खुशियों की सौगात हो जाती तू जिसके पास हो उसका रसूख ऊँचा रहता हैतेर

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जिंदगी वीरान है- शिशिर मधुकर

2 जुलाई 2017
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तूने दिल से क्या रुखसत किया जिंदगी वीरान हैसांसें बदन में तो चल रहीं बाकी ना कोई जान हैलाखों जतन मैंने किए तुम याद आना छोड़ दोसब कोशिशें मेरी मगर चढ़ती नहीं परवान हैंतुम मेरे जीवन में थे तो हर जगह लगता था दिलतेरे बिना सूनी ये महफिल अब हुई शमशान हैठीक से सोचा नहीं जब राहें मंजिल की चुनीदेखी हकीकत आज

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सब खोखला मिला

20 जुलाई 2017
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नैनों में नैन डाल सब जज्बात कह गएतेरे हुस्न के नशे में यारा हम तो बह गएखिलते नहीं है फूल सदा जीवन के बाग मेंसोच कर यही तो हम हर ग़म को सह गएसीढ़ी बना के हमने कभी इंसा को ना ठगापहुँचे ना शिखर पर तभी और नीचे रह गएअसली दीवानगी यहाँ कहने की बात हैसब खोखला मिला जो रिश्तों की तह गएमंजिल अगर मिले तो सफ़र नी

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राष्ट्र की खातिर- शिशिर मधुकर

21 जुलाई 2017
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एक मेरे मित्र हैं जो मुझसे बहुत नाराज़ हैंउनको पसंद आते ना मेरे मलमली अल्फ़ाज़ हैंराष्ट्र की खातिर वो कहते हैं की मैं रचना लिखूंएक भारत माँ के ही चरणों में नित नित झुकूंढूंढ़ता हूँ जब मगर मैं राष्ट्र जैसी चीज़ कोदेखता हूँ वृक्ष बनता चहुँ और बस विष बीज कोवोट की खातिर जहाँ अपमान मेघा का हुआना किसी नेता की

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तेरी चाहतों के जैसा - -शिशिर मधुकर

22 जुलाई 2017
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चाहा बहुत ना दिल से तुझे दूर कर सकेभूलूँ तुम्हें ना वो मुझे मजबूर कर सके आनंद वो मैंने पा लिया जिसकी तलाश थीबाकी नशे ना मुझको कभी चूर कर सके एक तेरी उल्फत ने मुझे ऊंचा उठा दियाबाकी जतन ना मुझको यहाँ मशहूर कर सके यूँ तो दीवाने भी कई हर मोड़ पे मिलेतेरी चाहतों के जैसा ना पर नूर कर सके रग रग में तुम ही

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सेना सदा महान है - शिशिर मधुकर

22 जुलाई 2017
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सेना सदा महान है उससे ही हिन्दुस्तान हैलेकिन हमारी कमज़ोरियों से बढ़ती ना उसकी शान हैजब भी कोई सैनिक अपना शहीद होता हैहर नागरिक का मन निश्चित ही बहुत रोता हैलेकिन जिस तरह से खबर मीडिया दिखाती हैदुश्मनो को वो तो बस खुशियां दे जाती हैरोते बिलखते परिजन जिस दर्द को दिखाते हैंदुश्मनो के वो तो सदा हौंसले

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बादल से छा गए - शिशिर मधुकर

23 जुलाई 2017
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तेरी नज़रों में छुपे प्यार को हम तो पा गएहम आबाद हैं उस दश्त में तुम ये दिखा गए तुम मिले तो इस धूप की जलन हुई है कममौसंम बदल गया है और बादल से छा गए चारों तरफ एक शोर है कुछ भी सूझता नहींयाद आते हैं वो ही गीत जो तुम गुनगुना गए यूँ तो भरी पडी पडी है ज़माने भर में नेमतेंपर एक तेरे अंदाज़ ही बस हमको लुभ

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नेतागिरी के अड्डे – शिशिर मधुकर

24 जुलाई 2017
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मुंबई की मोटर साइकिल सवार गड्डे में फिसल गईदिल्ली के अनिल गुप्ता की जान नाले में निकल गईनगर निगमों की लापरवाही पर जनता बहुत नाराज़ हैखुलकर वो ये कहती है यहाँ होता ना कोई काज हैलेकिन भोली जनता को क्या इतना भी नहीं ज्ञात हैनिगम नेतागिरी के अड्डे हैं जहाँ उसकी नहीं औकात हैनालियां, सीवर और सड़क सफाई के

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फिर सो ना सका – शिशिर मधुकर

29 जुलाई 2017
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मैंने सोचा बहुत मैं भुला दूँ तुम्हें लेकिन ये मुझसे हो ना सकातेरी छवियां ना दिखला दें आंसू मेरे मैं तो जहाँ में रो ना सकाउल्फ़त की राहों में हरदम यहाँ संगदिल ज़माने ने घायल कियामैं तड़पा चाहे जितना मगर कांटे औरों की राहों में बो ना सका लाख तोहमत लगीं दामन पे मेरे और हम आखिर जुदा हो गएवो समझेंगे क्या

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किस्मत के उलट फेरे – शिशिर मधुकर

31 जुलाई 2017
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मुहब्बत दिल में हो जिनके वो ही तो मान करते हैमिटा के जिस्मों की दूरी उनको एक जान करते हैंउम्मीदें मैंने पाली थी नाज़ बन माथे पे सज जाऊँमगर किस्मत के उलट फेरे मुझको हैरान करते हैमुहब्बत जिनको होती है वो कमियां भी छुपाते हैंमगर जो दिल नहीं रखते सब का अपमान करते हैमीठे बोल चिड़ियों के खुशी हर आंगन में

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वो लम्हें निकल गए - शिशिर मधुकर

4 अगस्त 2017
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जिनमें सुकूं मिला मुझे वो लम्हें निकल गए सपनों के सभी आशियां धू धू हो जल गए चट्टान सा मिला ना मुझे रिश्ता कोई यहाँ मौसम गर्म हुआ तो सब हिंम से पिघल गए अपनों का साथ जिंदगी में ग़म का इलाज है वो क्या करें जिन्हें यहाँ अपने ही छल गए

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गुजर गया अब के ये सावन

6 अगस्त 2017
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गुजर गया अब के ये सावन बिना कोई बरसात हुएसब शिकवे हमने कह डाले बिन तेरी मेरी बात हुए प्यार लुटा के बैरी होना सबके बसकी बात नहींदिल की हालत वो ही जाने जिसपे ये आघात हुए मुझे शिकायत है उस रब से जिसने तुमको भेज दियाप्यासे को नदिया जल जैसे तुम भी मेरी सौगात हुए हाथ पकड़ क

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प्रेम धागे का बंधन

7 अगस्त 2017
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तेरे बिन दिन नहीं कटते तुझे कैसे बताएं हमतू ही जब पास ना आए तुझे कैसे सताएं हम तेरा वो रूठ जाना और मनाना याद आता हैसमझ आए न अब कैसे करें सारी खताएं हमदेख कर तेरी मुस्कानें फूल बागों में खिलते थेतेरे बिन देखते हैं अब तो बस सूखी लताएं हमसभी लोगों ने अक्सर रूप मेरा सख्त देखा हैचोट अन्दर जो लगती है उसे

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नैन पर फिर भी मिल गए

12 अगस्त 2017
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छुपाया बहुत खुद को नैन पर फिर भी मिल गएअसर ऐसा हुआ दिल पे फूल खुशियों के खिल गएखौफ ने इस कदर घोला है ज़हर फ़िज़ा में शहर कीलाख जज़्बात हैं दिल में मगर लब कब के सिल गए ज़लज़ला लाने वालों ने तो कमी कोई भी ना छोड़ीजड़े जिनकी गहरी थीं दरख़्त वो सब भी हिल गए फूल पाने की कोशिशें ना मेरी परवान चढ़ सकींफूल

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धुंधली ना हो तस्वीर

21 अगस्त 2017
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धुंधली ना हो तस्वीर तू रंग इसके उभार देनज़रों के पास आ ज़रा किस्मत संवार देसूखी हैं सभी डालियाँ बरसी है ऐसी आगसावन की फुहारों को ला इनको बहार देचेहरे का नूर कुछ ना था इक साथ था तेराधोकर सभी मलिनता तू इसको निखार देतेरी मुहब्बतों का नशा हरदम कबूल थाआँखों से पिला दे मय मुझे फिर से खुमार देज़िल्लतों के

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प्रेम तो किस्मत से मिलता है

22 अगस्त 2017
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मुहब्बत जिन को होती है कभी रूठा नहीं करतेफक़त दुनिया की मर्ज़ी से हाथ छूटा नहीं करतेआईना धुंधला हो जाए छवि दिखला ही देता हैबिना पत्थर सी चोटों के ये भी टूटा नहीं करतेलाख कोशिश करो प्रेम तो किस्मत से मिलता हैइसे ताकत के बल पे नेक जन लूटा नहीं करतेबिखर सकते हैं सब मोती डोरी के टूट जाने पेमगर बस गिरने भर

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जहाँ पर बस उजाला है

28 अगस्त 2017
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तूने जब से मुझको अपनी दुनिया से निकाला हैइक ग़म ही फ़कत चोटिल हो सीने ने संभाला हैतबस्सुम छोड़ के ऐ फूल देख तुझको क्या मिलाख़ुशबुएं लुट गई सारी और सूखी ये प्रेम माला हैशहर की आबो हवा भी अब ऐसी ज़हरीली हुईहर नज़र नीची है और जुबां पर लटका ताला हैमेरी बातों ने यहाँ कई अप

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तीखे वार झेले हैं

31 अगस्त 2017
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मुहब्बत के मैंने इस जीवन में जो भी खेल खेले हैं सभी में हार पाई है और बस अब तो बैठे अकेले हैं दर्द सहने की शक्ति वक्त संग जब बढ़ती जाती है समझ लो ऐसे लोगों ने दिलों पर तीखे वार झेले हैंजानते हैं वो सब ये राज़ इश्क़ में कुछ नहीं मिलता गगरिया प्रेम की गैरों पे मगर वो फिर भी उड़ेले हैं ज़िन्दगी बीत जाती है

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इख्तियार नहीं है

4 सितम्बर 2017
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जब तुमको ही अब मेरा इंतज़ार नहीं हैमेरा दिल भी परेशान हो बेकरार नहीं हैबेडियां जब प्यार की टूटा करी हैं आजकोई किसी के हाथों में गिरफ्तार नहीं हैरुठों को मना लेना मुश्किल ना खास हैगैरों पर मगर कोई भी इख्तियार नहीं हैश्रध्दा बिना प्यार का कोई मोल ही नहींक्या इतना भी वो अब समझदार नहीं हैमाना मुहब्बतों

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पूरे सयाने हो गए

10 सितम्बर 2017
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वो अपने दर्द के सब रिश्ते पुराने हो गएमेरे दीवाने भी अब तो पूरे सयाने हो गएएक समय वो भी था वो मेरे नज़दीक थे अब तो रुखसार को देखे ज़माने हो गएमेरे जीवन में तो बस एक तपती धूप थीवो यहाँ आ गए और मौसम सुहाने हो गएवक्त की चाल कभी कोई नहीं जा

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बात क्या करें

21 सितम्बर 2017
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मुहब्बत ना हो जब बीच में तो फिर बात क्या करेंतड़पे ना जो मिलन को उससे मुलाक़ात क्या करेंदिन ही जब इस शहर में मुश्किलों से गुज़रता होवहां किस के सहारे जी लें और कहो रात क्या करेंठंडी ओस की बूँदें भी चमक जाती हैं मोतियन सीअगर संग ही वो ना ठहरें तो फक़त पात क्या करेंजहाँ पत्थर के सनम हैं वहां खुशियां नहीं

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बस रिश्ते निभाने में

5 अक्टूबर 2017
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गुज़र जाती है सारी उम्र बस एक प्यार पाने मेंमुझे तो हार मिलती आई है संगदिल ज़माने में मुहब्बत के लिए मैं ज़िन्दगी भर प्यास से तड़पासुबह से शाम हो जाती है बस रिश्ते निभाने में कोई तो बात है जो दर्द मेरे कम ना होते हैंख़ुदा को भी मज़ा आता है बस मुझको रुलाने में पुकारा जिसने जब मुझको दौड़ कर बांह को पक

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निशां तो फिर भी रहते हैं

13 नवम्बर 2017
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भले ही घाव भर जाएं निशां तो फिर भी रहते हैंमुहब्बत के गमों को आज हम तन्हा ही सहते हैंवो पत्थर हैं ज़माने से कभी कुछ भी नहीं बोलामगर हम उनसे लिपटे आज भी झरने से बहते हैंबड़ी चिंता है दुनिया को कहीं वो बात ना कर लेंतभी जज्बात मन के आज वो नज़रों से कहते हैंकटेगी ज़िन्दगी खुशहाल हो बस साथ में उनकेमहल पर

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नई शुरुआत करते हैं

14 नवम्बर 2017
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भले ही मुद्दतों से हम ना तुमसे बात करते हैंतेरे ख़्वाबों में ही लेकिन बसर दिन रात करते हैंये माना बाग़ उजड़ा है बहारें अब ना आती हैंउम्मीदें मन में रख मेघा फिर भी बरसात करते हैंजिन्हें इस ज़िन्दगी में प्यार में भगवान दिखता हैहदें सब तोड़ कर वो फिर से मुलाक़ात करते हैंभूल कुछ हो गईं तुमसे चूक मैंने भ

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नज़र मिलती है जब तुमसे

27 नवम्बर 2017
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नज़र मिलती है जब तुमसे तो तुम धीरे से हँसते होगुमां होता है ना तुमको तुम्हीं इस दिल में बसते होनशा होता है कुछ ऐसा मुहब्बत का तो दुनिया मेंपता होता है पीड़ा का मगर तुम फिर भी फँसते होलाख पहरे लगे हों दिल की सदा तो आ ही जाती हैमधुरता बढ़ती जाती है डोर जितना भी कसते होफक़त दूरी बढ़ाने से दूरियाँ बढ़ ना

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जब भी

28 नवम्बर 2017
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जब भी मौसम ज़मीं पे अपनी फितरत को बदलते हैंमिलन की आस में यारां दिल के अरमान मचलते हैं किसी तपते बदन को जब जब फुहारें ठण्ड देती हैंये बंधन प्यार के एक दूजे की बाहों में फिसलते हैं अब तो सूरज हुआ मद्धिम और रातें भी ठिठुरती हैंउनके आगोश की गर्मी से अब हम ना निकलते हैं जब खिले फूल बगिया में और मौसम भी

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वो केवल मुस्कुराते हैं

8 दिसम्बर 2017
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मुहब्बत करके जो मझधार में संग छोड़ जाते हैंलाख चाहा किया भूलें वो फिर भी याद आते हैं अगर बनता है हर इंसान केवल एक मिट्टी सेकहो जज़्बात अपने दिल के वो कैसे छुपाते हैं हरे हैं घाव सीने के मगर उनकी ये फितरत हैभूल के सारी पीड़ा को वो केवल मुस्कुराते हैं भले ही सामने सबके मैं पत्थर सा कहूँ खुद कोमगर तन्ह

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तेरी महर के बिन

9 दिसम्बर 2017
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घिरे हैं आज कांटों में और ना कहीं फूल खिलते हैंसमय तेरी महर के बिन कभी हमदम ना मिलते हैंघाव कुछ इस कदर पाएं है हमने खास अपनों सेदर्द से बिलबिलाते होंठ हम अक्सर ही सिलते हैंबड़ा रूखा सा मौसम है कहीं ना कोई हलचल हैघने पेड़ों की शाखों पे भी तो ये पत्ते ना हिलते हैंराह जो

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मुझको मालूम है

19 दिसम्बर 2017
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मुझको मालूम है तूने मुझे दिल से निकाला हैतेरा दर आज भी मेरे लिए लेकिन शिवाला है एक तेरे साथ में ही ज़िंदगी आबाद लगती थीबड़े जतनों के संग इसको मैंने तन्हा संभाला है लाख तूफ़ान आने पर भी जो डगमग नहीं होतीवही बाती तो जीवन भर सदा करती उजाला है ज़िंदगी किस तरह होगी ये तय करते हैं बस पासेमुझे तो हार दी जब

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अगन ये इश्क की

22 दिसम्बर 2017
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तेरी ज़ुल्फ़ों के लहराने से जब खुशबू निकलती हैतुझे अपना बना लूँ फिर तो हर धड़कन मचलती हैमिलन की आस हो मन में तो फिर दूरी है बेमानीजलधि में ही समाने को तो हर नदिया उछलती हैमुहब्बत के प्यासे को पिला दो चाहे तुम कुछ भीदीदार ए यार से ही फिर तो बस सेहत संभलती है जतन कर लो मगर इसको बुझा पाना नही मुमकिनअगन

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देख लो

27 दिसम्बर 2017
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देख लो ना बिन तुम्हारे कैसा मेरा अब हाल है हर एक पल बस यूँ लगे तन्हा गुजरता साल हैहसरत तेरे नज़दीक रहने की फना सब हो गईं काटे नहीं कटता है जो रिश्तों का ऐसा जाल हैअब ऋतु आ के चली जाती है बिन उम्मीद केफूलों से सजती नही उजड़ी पड़ी जो डाल है लाख कोशिश तुम करो कुछ बिगड़ता ह

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आह ऐसी भर तो लो

29 दिसम्बर 2017
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माना बड़ी मुश्किल घड़ी है याद फिर भी कर तो लोमुझको लगे कि तुम हो मेरे आह ऐसी भर तो लोतुमको पाकर खो ना दूँ इस सोच ने घायल कियातन बदन की सारी पीड़ा मुस्कुरा कर हर तो लोदिल से मांगो तो खुदा भी मुश्किलें करता है कमहाथ फैलाओ ज़रा और तुम भी कोई वर तो लोमाना अब ना पीओगे तुम आके महफ़िल में मेरीमेरा मन रखने

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आहें सी भरते हैं

10 जनवरी 2018
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फूल कितने भी सुन्दर हों मगर शाखों से झरते हैंदर्द से बच नहीं पाते….मुहब्बत जो भी करते हैंकभी वो पास थे अपने तो मन खुशियों में डूबा थातसव्वुर यार का ले अब तो हम आहें सी भरते हैंबन के धड़कन मुहब्बत में जो भी दिल में समाता हैउसी को ज़िन्दगी में हम सदा ….खोने से डरते हैंवो ना समझे कभी दुश्वारियां उल्फत

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आवाज़ तेरी सुन के

13 जनवरी 2018
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आवाज़ तेरी सुन के सामने तो आ गए तुम तो मगर अपना हर ग़म छुपा गएमुँह से कुछ ना बोला बस मुस्कुरा दिए हाल ए दिल आँखों से लेकिन बता गएमुद्दतों से तुमने रुख ना इस तरफ़ कियाएहसान तेरा आज जो चेहरा दिखा गएजो बात तुझमे है वो किसी और में नहीं यूँ ही नहीं अंदाज ये मुझको लुभा गए ये दूरियां मधुकर क्या दूर करेंगी

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उम्मीद है ये मुझको

18 जनवरी 2018
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उम्मीद है ये मुझको इंतजार करोगेफिर से अपनी प्रीत का इकरार करोगेजो ना कह सके देख ज़माने को सामनेतन्हाइयों में फिर से वो इजहार करोगेअधूरी पड़ी है ज़िन्दगी एक तेरे बिनसीने से लग पूरा मेरा संसार करोगेमुसीबत कोई भी आए ज़माने की सामनेबेरुखी का कह दो अब ना वार करोगेचलती नहीं मधुकर ये सांसें अब तुम्हारे बिनकह

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यही बस देखा है मैंने तो

23 जनवरी 2018
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मुहब्बत जब किसी से करके मैंने सपने सजाए हैंतूफानों ने सदा आकर मेरे दीपक बुझाए हैंभले ही कोई अपनी बात से कितना भी मुकरा होमैंने वादे किए जो भी यहाँ हरदम निभाए हैंवो बैठे हैं यहाँ दीवार ओ दर ऊँची किए इतनीबड़ी शिद्दत से जिनके बोझ तो मैंने उठाए हैंवो ही अब सामने पड़ते हैं तो बच के निकलते हैंजिन्हें राहो

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जाने क्यों

9 फरवरी 2018
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मुहब्बत में घिरे जो भी यही अंजाम हो जाएतड़प ले उम्र भर की और सारा चैन खो जाएकभी ना दर्द से जिनका रहा हो वास्ता कोईउनके आंसू छलकते हैं जो उल्फत बीज बो जाएइसके बिन ज़िंदगी कैसी यहाँ वीरान होती हैये तो समझेगा वो इसकी उलझती राह जो जाएमिले सच्ची मुहब्बत ग़र किसी इंसान को हरदमफिर वो तन्हा नहीं तड़पेगा और रातो

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सभी मतलब के रिश्ते हैं

13 फरवरी 2018
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तुम्हारे प्यार की खातिर अदावत मोल ली मैंनेग़मों की पोटली खुद के लिए ही खोल ली मैंनेमुझे मालूम था ये आंधियां घर को उजाड़ेंगीना जाने क्या हुआ फिर भी ये खिड़की खोल ली मैंनेदेख के रुख ज़माने का हुए थे दूर सब तुमसेमगर तब भी तो मीठी बात तुमसे बोल ली मैंनेमुझे तन्हा ना छोड़ोगे कहा करते थे तुम मुझसेझूठ हर बात वो

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आज भी

23 फरवरी 2018
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शोखी है कितनी आज भी तेरी अदाओं मेंमुझको सुकूं मिलता है बस तेरी सदाओं मेंतू नहीं ग़र साथ मुझको धूप लगती हैतेरा संग ले आता है मुझको घटाओं मेंमुँह से कुछ बोले नहीं तुम उम्र भर मुझसेलेकिन मुहब्बत देखी मैंने तेरी खताओं मेंकुछ इस कदर तुमने चमन आबाद कर दियाखुशबू तेरी फैली है बस सारी फ़िज़ाओं मेंशिकवे बहुत हैं

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तुम जो मिल गए

18 मार्च 2018
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वो लम्हें क्या हसीन थे हम तुम जो मिल गएमहके हुए गुलाब से हर ओर खिल गएआँखों में चमक आ गई लब मुस्कुरा दिएचुपके से तुमको देके जब हम ये दिल गएयूँ तो तेरे हर अंग में एक ख़ास बात थीफिर भी मगर हम देखते ठोड़ी का तिल गएअरमान सभी दिल के तुमसे ना कह सकेतुम सामने आए तो फिर ये होंठ सिल गएकुछ दूर ही चले थे हाथ हा

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घटाएं प्यार की

20 मार्च 2018
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प्यार जब दिल में होता है तो आँखों से झलकता हैयार ग़र सामने हो सांसों में शोला दहकता हैमुहब्बत ज़िन्दगी में फूलों की खुशबू के जैसी हैजिसके कारण सदा जीवन का ये गुलशन महकता हैउल्फ़त के नशे की लत लगी जिसको ज़माने मेंयार की आँखों से पी कर वो तो हरदम बहकता हैघटाएं प्यार की आकाश में जब घिर के आती हैंमिलन क

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हौले से

30 मार्च 2018
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तुम मेरी ज़िन्दगी में युँहि हौले से आ गएसावन के मेघों की तरह अम्बर पे छा गएतक़दीर के जुए ने मुझे यूँ तो छला कियालेकिन मेरा नसीब था जो तुमको पा गएग़मगीन हुईं महफिलें इक साथ जब छुटालेकिन तुम्हारे गीत मेरे कानों को भा गएछीना तुम्हें पहलू से मेरे मज़बूर कर मुझेलेकिन कभी भी तुम मेरे ख्वाबों से ना गएजीते

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मुहब्बत का सरूर

1 अप्रैल 2018
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देख के मन लगे गर किसी को पाने मेंहो गई उस से मुहब्बत तुम्हें ज़माने मेंअकेले तुम रहोगे बीच में जो लोगों केतन्हा खुद को नहीं पाओगे तब वीराने मेंमुहब्बत का सरूर जब दिलों में होता हैएक अदा दीखती है छुप के मुस्कुराने मेंइन मयखानों को तुम दोष कैसा देते होयहाँ हर शख्स महारत है बस पिलाने मेंतेरी तारीफ अब म

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आईने की छवि

5 अप्रैल 2018
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मुहब्बत ग़र समझता वो तो यूँ रूठा नहीं होताअलि के चूम लेने से फूल झूठा नहीं होताना संग जाएगा कुछ तेरे ना संग जाएगा कुछ मेरेसमझता बात ये ग़र वो साथ छूटा नहीं होताआईने की छवि घर को कभी रुसवा नहीं करतीतेरा पत्थर ना लगता तो कांच टूटा नहीं होतादोष सब देते हैं मुझको मगर सच भी तो पहचानोचमक होती ना हीरे में

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कोई तो झांक कर देखे

30 अप्रैल 2018
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अधिक पाने की चाहत में यहाँ थोड़ा भी खोया हैवही काटा है इंसा नें जो निज हाथों से बोया हैस्वप्न जब टूटते हैं आँखों में आंसू नही दिखतेकोई तो झांक कर देखे ये मनवा कितना रोया हैबुझा चेहरा थकी आँखें बातें बोझिल सी करता है गुमां होता है यूँ इंसान वो कब से ना सोया हैबड़ा मज़बूर है इंसा जुदा बाहर से दिखता है ज

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