तूने दिल से क्या रुखसत किया जिंदगी वीरान है
सांसें बदन में तो चल रहीं बाकी ना कोई जान है
लाखों जतन मैंने किए तुम याद आना छोड़ दो
सब कोशिशें मेरी मगर चढ़ती नहीं परवान हैं
तुम मेरे जीवन में थे तो हर जगह लगता था दिल
तेरे बिना सूनी ये महफिल अब हुई शमशान है
ठीक से सोचा नहीं जब राहें मंजिल की चुनी
देखी हकीकत आज जो हर आदमी परेशान है
जिंदगी की भीड़ में मैं अपनों को खोजा किया
मधुकर मगर हर चेहरे पे झूठी हँसी मुस्कान है