🌹एक मासूम जान फंसी है भवर में
दरिंदे हैं हजार हमदर्द नहीं कोई
🌹 लाचार है बिचारी लुट जाने के लिए
छट पटाती है बहुत बचने के लिए
🌹काश आ जाए कोई बचाने के लिए
तमाशाई है सभी अपना नहीं कोई।
मौलिक रचना सय्यदा----✒️
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