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आख़िरी बेंच

10 जुलाई 2024

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पूर्णिमा जी ,की अब उम्र हो चली है ,आँखों पर चश्मा भी चढ़ गया है। अब वो आराम चाहती हैं ,बहुत सालों से उत्तरदायित्वों के चलते ,शिक्षिका के पद पर कार्यरत रहीं। बहुत से बच्चोंको पढ़ाया ,उनकी ज़िंदगी में न जाने कितने बैच आये और चले गए ?वो विज्ञान की अच्छी शिक्षिका रही थीं ,उनसे बच्चे घर पर भी पढ़ने आ जाते थे। अब तो स्वयं उनके बच्चे भी ,शिक्षा ग्रहण करके ,बाहर कमाने निकल गए। अब इस घर में ,दोनों पति -पत्नी ही साथ में रहते हैं। स्कूल छोड़े इतने वर्ष हो गए ,कुछ बच्चे अभी भी स्मरण हैं और कुछ को समय ने भुला दिए। आज अचानक उनके घर के दरवाजे के सामने, एक बड़ी सी गाड़ी आकर खड़ी होती है। मौहल्ले वालों के कान खड़े हो जाते हो जाते हैं कि मामूली शिक्षिका के घर पर आज ये कौन आ गया है ? 

गाड़ी से एक ,सुंदर ,सजीला नौजवान बाहर निकलता है ,उसके हाथ में ,फूलों का गुच्छा था ,वह किसी से पूछता है ,क्या पूर्णिमा मैडम !का घर यही है ?



जी ,एक पड़ोसी ने जबाब देने के साथ प्रश्न भी पूछ ही लिया ,भइया !कौन हो ?

उसके इस प्रश्न पर वह मुस्कुराया और बड़ी शालीनता से बोला -उनका एक छात्र !कहकर आगे बढ़ गया। 

उसके पीछे शायद उसका कोई नौकर जो बहुत सारे उपहार लेकर गाड़ी से निकल रहा था। उस व्यक्ति ने दरवाजे की घंटी बजाई। अभी आती हूँ ,कहते हुए वो कुर्सी से उठकर जाने लगीं ,उनके पति रसोई में चाय बना रहे थे ,रसोई से बाहर आये और दो कप चाय लेकर आये और मेज पर रखते हुए बोले -तुम बैठो !मैं खोलकर आता हूँ। जब उन्होंने दरवाजा खोला ,कोई अनजान व्यक्ति उनके दरवाजे पर खड़ा मुस्कुरा रहा था। जी कहिये !

पूर्णिमा मैम !

हाँ ,यहीं हैं ,आइये कहते हुए ,उन्होंने उस व्यक्ति को अंदर जाने के लिए रास्ता दे दिया। 

अंदर आकर उसने ,पूर्णिमा जी को देखा ,और आगे बढ़कर पैर छू लिए ,पूर्णिमा ने उस व्यक्ति को गौर से देखा और पूछा -कौन हो ?

मैडम !आपने मुझे पहचाना नहीं ,मैं शरद !

न जाने कितने विद्यार्थी पढ़कर निकले ,कुछ स्मरण नहीं हो रहा था । 

मैम ! याद कीजिये ! दो हज़ार का बैच ,''पीछे की बैंच ''पर बैठने वाला सहमा और डरा -डरा सा शरद !उसने अपना परिचय स्वयं दिया। 

जिसके कारण पूर्णिमा जी मुस्कुरा दीं ,क्या तुम वही शरद हो ?

जी , याद आया। 

हाँ आओ !बैठो ! अब तुम क्या कर रहे हो ?उनकी स्मृतियाँ धीरे -धीरे लौट रहीं थीं ,उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था ,क्या ये वही शरद है ?तब तक उसके नौकर ने सभी उपहार एक मेज पर सजा दिए थे। उधर देखते हुए बोलीं -इन सबकी कोई आवश्यकता नहीं थी। 

ये आपके छात्र का ,आपके प्रति स्नेह है। उसके ये शब्द सुनकर उनकी आँखें नम हो गयीं। आजकल कौन किसी को याद रखता है ?इतने विद्यार्थियों को पढ़ाया ,कभी सामने दिख भी गए तो अनजान बन निकल जाते हैं। नमस्ते !तक नहीं निकलती ,कुछ कह भी दें किन्तु बचकर निकलने में भलाई समझते हैं। गुरु के प्रति वो आदर भाव नजर नहीं आता और ये शरद !!!तुमने बताया नहीं ,आज अपनी मैडम की कैसे याद आ गयी ?और क्या कर रहे हो ?

मैं आजकल सरकारी पद पर एक बड़े अधिकारी के रूप में कार्यरत हूँ ,इधर आना हुआ तो आपकी याद इधर खींच लाई। ऐसा सौभाग्य फिर कहाँ मिलेगा ?यही सोचकर मिलने चला आया ,उसके शब्दों में जो सम्मान वो अपने लिए महसूस कर रहीं थीं ,उससे उनका मन गदगद हो उठा। तब तक उनके पति दो कप चाय और ले आये थे। सर !इसकी क्या आवश्ययकता थी ?शरद बोला। 

अपनी मैडम ,से मिलने आये हो ,क्या ऐसे ही चले जाओगे ,वैसे मैं अपना परिचय दे देता हूँ ,मैं पूर्णिमा का पति' विशाल' हूँ ,जो पहले कभी अभियंता के पद पर आसीन था किन्तु सेवानिवृत्ति के पश्चात ,आजकल आपकी मैडम की सेवा में व्यस्त हूँ क्योंकि आजकल ये घुटनों के दर्द से जूझ रहीं हैं। शरद को अपनी गलती का एहसास हुआ और उठकर उनके चरण स्पर्श किये। नहीं ,बेटा ! इसकी कोई आवश्यकता नहीं ,तुमने इन्हें स्मरण रक्खा , यही बहुत है। 

आप तो मेरे जीते जी ,मुझे स्मरण रहेंगी ,इन्होने ही तो मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया ,मुझे इस जीवन के प्रति जागरूक बनाया। चाय पीकर बोला -अच्छा ,अब मैं चलता हूँ ,कहते हुए ,एक नंबर देता है और कहता है -ये मेरे एक दोस्त का नंबर है ,जो हड्डियों का विशेषज्ञ है ,आप मेरा नाम लेकर मैडम को दिखाइए ,वह अच्छा डॉक्टर है ,वह इन्हें ठीक कर देगा। ईश्वर ने चाहा ,तो मैडम को इस दर्द से आराम मिल जायेगा। कहकर वो चला गया। 



तुम्हारा यह कौन सा विद्यार्थी है? जो तुम्हें इतना मान दे रहा था , विशाल ने पूर्णिमा से पूछा। 

आज उसे देखकर मेरी यादें ताजा हो गई, मुस्कुराते हुए ,वह कुछ साल पहले, की यादों में खो गईं । इसे देखकर तो यकीन ही नहीं हो रहा कि यह वही लड़का होगा , आश्चर्य से बोलीं। कक्षा में सबसे दुबला सा था, चुप -चुप सा रहता था। जब पहली बार कक्षा में आया तो ,बेंच पर सबसे आगे बैठा, किंतु उस कक्षा में ऐसे छात्र भी थे, जो अकड़ में रहते थे और हमेशा से ही आगे की सीट पर अपना अधिकार समझते थे। नया छात्र था, किसी ने उसका परिचय जानना नहीं चाहा और , उसे धीरे-धीरे खिसकाकर पीछे की बेंच पर बैठा दिया। शुरुआत में तो मेरा भी ध्यान, इस ओर नहीं गया किंतु मेरी नज़रें धीरे-धीरे, महसूस करने लगी, कि यह विद्यार्थी पढ़ने में अच्छा है, किंतु कुछ डरा सा रहता है। शायद शरीर से कमजोर है, धीरे-धीरे मैंने इससे बात की जानने का प्रयास किया। तब पता चला, कि इसके माता-पिता का ,आपस में झगड़ा होता रहता है ? दोनों को ही ,इसकी परवाह नहीं है। अपने अहम के लिए लड़ते रहते हैं, इसके कारण इसकी शिक्षा पर भी असर पड़ रहा है, और इसकी परवरिश पर भी। तब मैंने धीरे-धीरे इसको समझाया था -''यह जीवन है, इसमें ऐसी बहुत सी बाधाएं आएंगीं। मम्मी -पापा का अपना अलग जीवन है। हालांकि तुम उसी घर में रहते हो, यदि तुम अपनी ज़िंदगी को संवारना चाहते हो , तुम्हें अपने जीवन का एक उद्देश्य बना लेना चाहिए ,तुम्हारी शिक्षा पर तो वे पैसा खर्च कर रहे हैं, इसका लाभ उठाइए , बेंच आगे की हो या पीछे की ,इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम्हारी अपनी बुद्धि है, इसका दुरुपयोग की जगह सदुपयोग करो !उसको अच्छे कार्यों में लगाओ ! और धीरे-धीरे देखो ! जिंदगी कैसे निखरती चली जाएगी ? उसने मेरी बातों को ग्रहण किया हम तो गुरु हैं हमारा कार्य है ,सभी को सही और उचित सलाह देना। हमारे लिए तो सभी छात्र बराबर होते हैं, किंतु कुछ छात्र, अपनी एक विशेष जगह बना लेते हैं , उनमें से' शरद 'भी एक था। जो शिक्षा हम उन छात्रों को देते हैं, सभी उस शिक्षा को दिल से, ग्रहण नहीं करते, न ही ,हमारे बताएं रास्ते पर चलते हैं। किंतु यह छात्र ऐसा था, इसने मेरी बातों को समझा ग्रहण किया और अपनाया भी , आज उसका परिणाम आपके सामने है ,कह कर वह गर्व से मुस्कुरा उठीं और विशाल जी से बोली-बताइए ! कब चलना है ?डॉक्टर के पास।
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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सिर्फ़ तुम्हारे लिए

22 मई 2024
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आज तो हद ही हो गई,'' मिस्टर गुप्ता '', बेटे की बात सुनकर बाहर चले गए। अरुंधति को रोना आ गया और वह अपने कमरे में जाकर फूट-फूट कर रोने लगी। आजकल के बच्चे कैसे हो गए हैं ? उन्हें इतना भी एहसास नहीं रहता

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हीरों का हार

10 जून 2024
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आज' फेसबुक' पर, 'अनामिका' ने अपनी सहेली रोहिणी की तस्वीर देखी, उसे देखकर प्रसन्न तो हुई किंतु मन ही मन जल -भुन भी गई। उसके जलने का कारण उसकी सहेली रोहिणी नहीं थी ,वरन उसके गले में पड़ा हुआ, वह 'हीरे

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जादू प्यार का

13 जून 2024
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किशोरी अपने घर की छत पर खड़ी, उस लड़के को देख रही थी। जो अभी -अभी गाड़ी से उतरा है। शायद ,पड़ोसी के घर में, वह मेहमान बन कर आया है। शायद ,उनका कोई रिश्तेदार है। अनेक अटकलें लगा बैठी। देखने में बहुत ही

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आख़िरी बेंच

10 जुलाई 2024
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पूर्णिमा जी ,की अब उम्र हो चली है ,आँखों पर चश्मा भी चढ़ गया है। अब वो आराम चाहती हैं ,बहुत सालों से उत्तरदायित्वों के चलते ,शिक्षिका के पद पर कार्यरत रहीं। बहुत से बच्चोंको पढ़ाया ,उनकी ज़िंदगी में न

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पत्र का रहस्य

10 जुलाई 2024
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अभय अवस्थी जी,आज उनकी तस्वीर पर एक माला टँगी है ,उनकी पत्नी 'माया' उनकी बातों को ,उन यादों को स्मरण कर रोये जा रही है। अवस्थी जी ,मुझे यूँ अकेला छोड़कर क्यों चले गये ? मैं आपके बिना अकेली कैसे रहूंगी ?

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आख़िरी संदेश

18 जुलाई 2024
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नितिन,अपनी नौकरी के साक्षात्कार की तैयारी में जुटा था। लिखित परीक्षा में वह पास हो गया था। साक्षात्कार के पश्चात एक परीक्षा और होनी है और उसके पश्चात ,उस नौकरी के लिए ,'कॉल' आ जायेगा। परिवार वाले भी,

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आख़िरी संदेश

18 जुलाई 2024
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नितिन,अपनी नौकरी के साक्षात्कार की तैयारी में जुटा था। लिखित परीक्षा में वह पास हो गया था। साक्षात्कार के पश्चात एक परीक्षा और होनी है और उसके पश्चात ,उस नौकरी के लिए ,'कॉल' आ जायेगा। परिवार वाले भी,

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पहनावा

18 जुलाई 2024
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शिल्पा बहुत दिनों के पश्चात ,अपने मायके में आई हुई है , घर में अच्छी -खासी रौनक हो गई है , क्योंकि दूसरे शहर से उसका भाई भी मिलने आया है। शिल्पा अपने मम्मी -पापा से बातें कर रही है, तभी उसकी भाभी नहाक

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बुआ की सीख

26 जुलाई 2024
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आज प्रातः काल जब मनु उठी तो सिर में, थोड़ा भारीपन था अजीब सा महसूस हो रहा था समझ नहीं आ रहा ,ऐसा क्या हुआ है ? सिर में हल्का-हल्का दर्द था, सोच रही थी -आज सिर की थोड़ी मालिश की जाए। रसोई घर में गई और

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लोभ

2 अगस्त 2024
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इंसानों की तरह ही लोभ के भी कई रूप है ,कई रूपों में नजर आता है। हमारे बड़े बुजुर्गों ने कहा है -क्रोध ,मद ,लोभ ,मोह ये सभी पतन की ओर ले जाते हैं। ये सभी बुराइयां हैं ,किन्तु मेरा मानना है ,इनमें कोई बु

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प्यारी चुड़ैल

7 अगस्त 2024
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ऋषभ और रितिका बगीचे में खेल रहे थे। शाम के समय अन्य बच्चे भी ,उस बगीचे में आ जाते हैं और सब मिलकर ,साथ में खेलते हैं किंतु आज कुछ बच्चे अपने घर से बाहर नहीं आए , न जाने क्यों ?उन्हें आने समय लग गया ?

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सुपर हीरो

7 अगस्त 2024
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स्कूल में ,छोटे बच्चों का कार्यक्रम है, और उसमें सभी बच्चों को ''सुपर हीरो '' बनकर आने के लिए कहा गया है। सभी बच्चों को ,अपने पसंद के ,' सुपर हीरो ''की तरह ही बनकर आना है। जिसको जो 'सुपर हीरो' अच्छा ल

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