shabd-logo

भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023

2 बार देखा गया 2
आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी हमें पसंद आ गया। तब भी दीपक परेशान था ,लड़के वाले देखने आ रहे हैं। सब कैसे होगा ?बहनजी ,ने हिम्मत बंधाई कि सब ठीक ही होगा। थोड़ा सा ही काम था, सही तरीके से निपट गया। विवाह तय हो गया। जैसे-जैसे दिन नजदीक आते जा रहे थे ,उसकी बेचैनी बढ़ती

जा रही थी। कैसे होगा, सब ?यही प्रश्न बार -बार उसके दिमाग में घूम रहे थे। लड़की के लिये जेवर खरीदने ,कपड़ों की खरीददारी इत्यादि। छोटे -मोटे कार्यक्रम की तैयारी में ही सारा घर अस्त -व्यस्त हो जाता है,ये तो फिर भी विवाह है। ससुराल वालों को देने वाले उपहार भी तैयार करने हैं अभी वो ये सब सोचकर कामों की एक सूची बना ही रहा था कि तभी संजू का फोन आया -उसने फोन उठाया ही था कि उधर से आवाज आई -हाँ भई !सुना है ,बिटिया का विवाह है ,दोस्तों को भूल गया क्या ?दीपक ने अपनी बेचैनी छिपाते हुए कहा -कहाँ भूल गया ?लेकिन... अभी वो इतना ही कह पाया था। उधर से आवाज आई -हमारे लायक कोई सेवा हो तो ,बताना।पहले तो दीपक ने सोचा,- कि ये क्या मदद कर सकता है ?फिर सोचा ,शायद कोई मदद हो ही जाये। बोला -वैसे तो हमारे घर की गृहणियाँ सुघड़ होती ही हैं ,जब घर में बेटी होती है ,तो तभी से थोड़ा -थोड़ा जोड़ना आरम्भ कर देती हैं। लेकिन समयानुसार कुछ चीजें लेनी पड़ती हैं। तभी तो पूछ रहा हूँ, हमारे लायक कोई सेवा हो तो बताना ,बिटिया सिर्फ़ तुम्हारी ही नहीं ,हमारी भी है। उधर से संजू की आवाज आई। दीपक बोला -मेरी भी सुनेगा ,अपनी ही चलाता रहेगा। मैं अभी परेशान हूँ खरीददारी को लेकर ,अभी कपड़े और गहने भी लेने हैं ,बस इन्हीं समस्याओं में उलझा हूँ कोई सही सी जगह बता दे , वहॉँ जाकर सही दामों में काम हो जाये, इधर -उधर भटकना भी न पड़े। दीपक की बात सुनकर संजू बोला --बस इतनी सी बात ,मेरे जानने वाले एक मित्र हैं ,उनके यहाँ गहनों के डिजाइन भी एक से एक मिलेंगे। मैं उनसे बोल दूंगा, मुझे समय भी बता देना ,कब जा रहे हो ?मैं भी वहाँ पहुँच जाऊंगा ,और समस्या बताओ संजू ने पूछा। दीपक मन ही मन खुश होता हुआ बोला -कपड़ों लिए कहाँ जायें ,गुरुदेव ?मैं तुझे एक नंबर दूंगा उस पर बात करना ये समस्या भी दूर हो जायेगी। अनौपचारिक होते हुए संजू बोला -तू तो हमें भूल ही गया लेकिन हम आज भी तेरे दोस्त हैं और कोई परेशानी हो तो बताना। सुनार का पता और नंबर देकर संजू ने फोन रख दिया। 

                                                                                   अगले दिन सब लोग मिल-जुलकर संजू के बताये शोरूम में गए और उनकी मनपसंद सभी चीजें मिल गयीं। अब उनके साथ संजू भी था ,वो उनको लेकर 'वस्त्र भंडार 'में पहुंचा। दीपक शंका में बोला -यहाँ क्या सही कपड़े मिलते हैं ?तू चल तो सही। वे किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उसके साथ हो लिए। दुकान बहुत ही बड़ी और शानदार थी। संजू ने उन्हें वहाँ रखी बेंच पर बिठाया बोला -साड़ी ,सूट ,लहंगा जो पसंद करना है कर लो। दीपक ने महसूस किया कि संजू बड़े अधिकार से उस दुकान में घुसा, उसे देखकर वहाँ बैठे लोग भी मुस्कुराये। दीपक ने सोचा -शायद ये पहले भी यहाँ आया हो ,इसीलिए यहाँ के लोग इसे जानते हों। तभी पत्नी ने आवाज लगाई -वो सब सामान देखने लगा ,जो उसकी पत्नी व बेटी ने पसंद किया। देखने- दिखाने में लगभग दो -तीन घंटे बीत गए। इस बीच उनके लिए चाय भी आई। इस समय के दौरान उन्हें संजू का ध्यान ही नहीं रहा ,जब सारी चीजें तय हो गयीं ,तब उन्होंने इधर -उधर देखा। वहाँ बैठे लोगों से पूछा -यहाँ जो हमारे साथ सज्जन थे, कहाँ गए ?उन्होंने ऊपर की तरफ इशारा किया। सारे ऊपर कॉउंटर की तरफ गए ,तो दीपक एकदम से चौंक गया ,आश्चर्य से बोला -गौरव तू ,ये तेरी दुकान है ,संजू भी वहीं बैठा -बैठा मुस्कुरा रहा था। दोस्तों से मिलकर दीपक बहुत ही खुश थे सबने साथ मिलकर एक रेस्टोरंट में खाना खाया। दीपक को लग रहा था जैसे उसकी परेशानियाँ आधे से ज्यादा खत्म हो गयी हों। मन ही मन सोच रहा था कि अपने घर -परिवार में इतना व्यस्त रहा कि मुझे मालूम ही नहीं ,कौन सा दोस्त कहाँ पर है ?एक -दो को छोड़कर। अभी वो ये ही सब सोच रहा था। तभी गौरव बोला -मंडप वगैरह सब करा लिया। दीपक बोला -वो तो मेरे बेटे के दोस्त के पिता का है ,वहीं इंतजाम हो गया। खा -पीकर लौटते समय दीपक ने अपनी पत्नी से कहा --देखा ,दोस्ती का असर,तुम कहती थीं -मुझे, तुम्हारे आवारा दोस्त पसंद नहीं। तब बेचारे अपनी -अपनी जिंदगी में उलझे हुए थे। कोई नौकरी की तलाश में था ,कोई तैयारी कर रहा था। मेरे पास थोड़ी देर के लिए आ जाते तो वो तुम्हें पसंद नहीं आता था। धीरे -धीरे तुमने मुझे मेरे सारे दोस्तों से अलग करवा दिया। आज दीपक दोस्तों से मिलने के कारण और उसकी परेशानियों के हल हो जाने के कारण अपने को बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। आज उसकी बातों को सुनकर और दीपक के दोस्तों का व्यवहार देखकर प्रभा मन ही मन शर्मिंदा थी। उसे लगता था कि दीपक के दोस्त अपने मतलब के लिए यहाँ आते हैं ,उससे पैसा ऐंठने ,लेकिन आज उसे अपनी सोच पर दुःख हो रहा था कि सभी लोग हमारी सोच जैसे भी नहीं होते, तभी उसने चलते समय दबी सी आवाज में उसके दोस्तों से कहा भी था -भइया !अपने ही घर की शादी समझना परिवार के साथ सब लोग आना। 

                                                                                                                                     सुगंधा के विवाह में सब दोस्त अपने -अपने परिवार के साथ तैयार खड़े थे। किसी भी तरह की परेशानी को हाथों हाथ संभाल लिया। आख़िर वो समय भी आ गया, जब बेटी विदा होकर अपने घर चली गयी। बेटी विदा हुई तो मन उदास था। रिश्तेदार और दोस्त भी जाने की तैयारी करने लगे। तभी दीपक ने दोस्तों को रूकने का इशारा किया। सब रातभर के थके थे। दीपक ने चाय मंगवा ली, बोला -- दोस्तों के साथ बैठकर अच्छा लग रहा है। सब घर -गृहस्थी में फंसकर एक दूसरे को भूल गए। पता ही नहीं था, कि कौन ,कहाँ है ?सुनील से ही मुझे सबका फोन नंबर मिला ,आज एक दो को छोड़कर सभी दोस्त यहाँ हैं। बेटी के जाने का दुःख है तो दोस्तों से मिलने की ख़ुशी भी है। मैं कभी भी याद करता था तो किसी का नंबर नहीं ,बस संजू को छोड़कर। मैं सोचता, सारे दोस्त भूल गए ,उन्होंने भी पता लगाने का प्रयत्न नहीं किया। तभी गौरव बोला -हम भी तो यही सोचते थे। तभी दीपक की पत्नी मिठाई लेकर आई और बोली -भुला कोई नहीं था ,बस अपनी -अपनी घर गृहस्थी में उलझ गए थे ,जो अपने मित्र या रिश्तेदार होते हैं जिनके साथ बचपन बिताया हो ,उसे भला कोई कैसे भुला सकता है ?देर -सवेर उनके साथ बिताये क्षण याद आ ही जाते हैं। जिस कारण नई ऊर्जा के साथ ,अपने बिताये क्षणों को याद कर ,दूर रहकर भी दोस्ती आज भी जिन्दा है। बस एक बहाना चाहिए था सो मिल गया। प्रभा की बातें सुनकर सब मुस्कुराते हुए मिठाई खाने लगे।  
50
रचनाएँ
जीवन के रंग
0.0
इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
1

राजनीति

27 जुलाई 2023
4
2
4

पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

2

रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
1
1
2

लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

3

अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
1
1
1

रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

4

बच्चे

2 अगस्त 2023
0
0
0

विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

5

सहारा

5 अगस्त 2023
0
0
0

मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

6

आदर

6 अगस्त 2023
1
1
2

मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

7

बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
1
0
0

प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

8

आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
1
1
1

पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

9

समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
1
1
1

बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

10

अबके बरस

16 अगस्त 2023
0
0
0

श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

11

भेंट

18 अगस्त 2023
1
0
0

सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

12

एक राज़

20 अगस्त 2023
0
0
0

आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

13

सुम्मी!

25 अगस्त 2023
0
0
0

जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

14

दादीजी!

30 अगस्त 2023
0
0
0

प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

15

तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
0
0
0

आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

16

पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
0
0
0

बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

17

सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
0
0
0

साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

18

बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
0
0
0

जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

19

स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
0
0
0

मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

20

बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
0
0
0

गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

21

श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
0
0
0

नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

22

बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
0
0
0

दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

23

रात का डर

30 अक्टूबर 2023
0
0
0

मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

24

भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
0
0
0

आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

25

चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
0
0
0

क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

26

खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
0
0
0

आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

27

तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
0
0
0

आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

28

सराहना

19 दिसम्बर 2023
1
1
2

प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

29

रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
0
0
0

केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

30

अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
0
0
0

रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

31

क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
0
0
0

सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

32

सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
0
0
0

ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

33

कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
0
0
0

एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

34

जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
0
0
0

मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

35

अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
0
0
0

अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

36

समझौता

3 फरवरी 2024
0
0
0

कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

37

रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
0
0
0

श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

38

एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
2
2
0

आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

39

भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
1
0
0

शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

40

सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
0
0
0

पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

41

स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
1
0
0

जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

42

स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
0
0
0

निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

43

डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
0
0
0

बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

44

ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
0
0
0

उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

45

पिछला जन्म

30 मार्च 2024
0
0
0

धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

46

वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
0
0
0

रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

47

मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
0
0
0

बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

48

जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
0
0
0

वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

49

दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
0
0
0

रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

50

जाने का डर

22 अप्रैल 2024
0
0
0

स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए