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पिछला जन्म

30 मार्च 2024

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 धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दोनों की पत्नियाँ बड़ी सुंदर और सुशील थीं।

 धीरेंद्र नौकरी करना चाहता था किंतु वीरेंद्र ने उससे कहा- कि क्यों ना हम दोनों मिलकर एक व्यापार कर लेते हैं ,किसी की नौकरी करने के से अच्छा है, हम अपना कोई कार्य करते हैं यह बात धीरेंद्र को भी पसंद आई और दोनों ने व्यापार आरंभ कर दिया। दोनों मेहनत से कार्य करते थे ,उनके परिश्रम फल भी आया उनका व्यापार'' दिन दुगना, रात चौगुना'' बढ़ने लगा। प्रसन्नता की बात यह रही दोनों ही, अब तक एक-एक बच्चे के बाप भी बन चुके थे।



 कितने वर्षों का साथ था ?एक -दूसरे पर विश्वास ,बहुत ही प्रगाढ़ था किंतु समाज में कुछ लोगों को, उनकी दोस्ती रास नहीं आ रही थी। कुछ लोग, उनकी दोस्ती से ईर्ष्या भी करते थे। किंतु इस बात से उन दोनों पर कोई फर्क नहीं पड़ता था, किंतु कहते हैं ,न-'' कि जब, बुरे दिन आते हैं , तो मति भ्रष्ट हो ही जाती है।'' कुछ लोग धीरेंद्र की अपेक्षा, वीरेंद्र के कार्य की अधिक प्रशंसा करते हालांकि धीरेंद्र पूरे तन -मन से, उस व्यापार में अपना समय और धन दोनों ही लगा रहा था , किंतु कुछ लोगों ने वीरेंद्र के मन में यह बात डाल दी कि यदि वह धीरेंद्र से व्यापार के लिए नहीं कहता, तो यह व्यापार धीरेंद्र नहीं कर पाता इसकी शुरुआत वीरेंद्र ने ही अच्छे से की है। इन बातों को सुनते-सुनते वीरेंद्र के मन में अहंकार आ गया। 

उसे लगता कि उसने ही इस व्यापार को आगे बढ़ाया है, यदि वह अपनी योजना न बनाता तो शायद आज धीरेंद्र, किसी कंपनी में ,छोटी सी नौकरी कर रहा होता। धीरेंद्र को इन बातों से कुछ भी, लेना-देना नहीं था वह तो अपनी दोस्ती के नाम पर, सब कुछ करने को तैयार था। 

एक दिन न जाने अचानक वीरेंद्र को क्या हुआ ?और वीरेंद्र ,धीरेन्द्र से बोला - अब हम अपना यह व्यापार अलग कर लेते हैं। 

धीरेंद्र को आश्चर्य हुआ और बोला- इतनी परिश्रम से हमने यह व्यापार खड़ा किया है ,अब इसको बाँटकर हमें इसकी साख कमजोर नहीं करनी चाहिए, किंतु वीरेंद्र बोला -आगे हमारा परिवार है, हमारे बच्चे हैं ,वह भी इस व्यापार में सहयोग करेंगे इसीलिए आप हमें अपना-अपना व्यापार अलग-अलग कर लेना चाहिए धीरेंद्र की व्यापार को अलग करने की इच्छा तो नहीं थी किंतु जब वीरेंद्र नहीं माना तो धीरेंद्र ने भी हामी भर दी और बोला -तुम मेरा हिस्सा मुझे दे दो ! मैं अपने तरीके से यह कार्य करूंगा।

उसकी इस बात को सुनते ही, वीरेंद्र एकदम भड़क गया और बोला -तुम अपने को क्या समझते हो ? यह व्यापार मैंने खड़ा किया है , तुमने पैसा ही कितना लगाया है ? वह तो मेरी भलमनशाही मानो !कि मैं तुम्हें इस व्यापार में तुम्हारा सहयोग और दोस्ती के नाते, हिस्सा देता रहा।

 वीरेंद्र के ऐसे शब्द सुनकर धीरेंद्र के ''पैरों के तले की जमीन खिसक गई।'' बोला -मित्र ! मुझे तुमसे इस तरह के व्यवहार की उम्मीद नहीं थी। 

मैं तुम्हारे संग कौन सा गलत व्यवहार कर रहा हूं ,जो सही है ,वही तो बतला रहा हूं। 

मैंने इस व्यापार को खड़ा करने में, रात -दिन एक किया है और मैं इस तरह, इस व्यापार से अलग नहीं हो सकता। यदि अलग करना ही है, तो तुम्हें मेरा हिस्सा देना ही होगा। किंतु वीरेंद्र पर तो जैसे पैसों का घमंड सिर चढ़कर बोल रहा था। उसने धीरेंद्र की मेहनत को नकार दिया उसे उसका हिस्सा नहीं दिया क्योंकि वीरेंद्र के मन में, पहले से ही लालच आ गया था और उसने पहले ही सभी कागजों पर धीरेंद्र से हस्ताक्षर ले लिए थे। 

धीरेंद्र ने कभी इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया, कि वीरेंद्र उसके विरुद्ध कुछ योजना बना रहा है। किंतु जब सभी कागज वीरेंद्र ने धीरेंद्र को दिखाएं। वह बुरी तरह घबरा गया, सिर्फ इतना ही कह पाया - मित्र ! यह तुमने अच्छा नहीं किया , कहते हुए ,उसको मित्र के धोखे के कारण हृदयाघात हुआ और परलोक सिधार गया। 

धीरेंद्र के मरने के पश्चात ,वीरेंद्र अब स्वतंत्र रूप से व्यापार कर रहा था किंतु कुछ लोगों के कहने पर, उसने धीरेंद्र के बेटे को अपनी कम्पनी में नौकरी दे दी। लोगों को दिखाने के लिए कि देखिए ,मित्र के न रहने पर उसके परिवार की किस तरह से देखभाल कर रहा है ? धीरेंद्र और वीरेंद्र की दोस्ती, अब खत्म हो चुकी थी। धीरेंद्र के बच्चे इतने तेज भी नहीं थे कि वह अपने पिता की मौत का बदला लेते और उनके पिता ने भी उन्हें यह बात नहीं बतलाई कि वीरेंद्र के मन में उसके प्रति कैसे भाव हैं ?बच्चों को भी यही मालूम था कि हमारे पिता की और वीरेंद्र अंकल की आपस में, घनिष्ठ मित्रता थी। 

धीरेंद्र के परिवार पर एहसान भी हो गया और उसके लड़के को काम भी दे दिया। कुछ दिनों के पश्चात वीरेंद्र के लड़के की शादी हुई , विवाह में वीरेंद्र ने बहुत अधिक खर्च किया और एक सुंदर -सुशील बहू अपने बेटे के लिए लेकर आया। सभी प्रसन्न थे, व्यापार भी'' दिन दुगनी, रात चौगुनी'' उन्नति कर रहा था। वहीं दूसरी तरफ धीरेंद्र का परिवार एक मध्यमवर्गीय परिवार की तरह, अपना जीवन यापन कर रहा था। धीरेंद्र के बेटे की भी शादी हो चुकी थी। उसकी पत्नी सुंदर ,सुशील होने के साथ-साथ पढ़ी-लिखी भी थी अपने पति के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली महिला थी। अपने पति के सहयोग के लिए , उसकी पत्नी ने भी नौकरी कर ली। 

कुछ महीनों पश्चात वीरेंद्र के घर में एक पोते का आगमन हुआ, घर में खुशियां मनाई गईं। सारे गांव को न्योता दिया गया, मिठाइयां बांटी गईं। सब ने बच्चों को आशीर्वाद भी दिया ,जब बच्चा एक वर्ष का हुआ तो न जाने क्यों अचानक से बीमार पड़ गया ? कुछ समझ नहीं आ रहा था ,क्या बीमारी लगी है ? अनेक चिकित्सकों को वैद्यों -हक़ीम को, मुल्ला- मौलवियों को भी दिखाया गया। बच्चे के गले में, हाथ में ,अनेक ताबीज बंधे हुए थे। जहां भी ,जब भी कोई बताता ,बच्चे को लेकर वीरेंद्र और उसका परिवार वही पहुंच जाते। किंतु कोई नहीं समझ पा रहा था कि अचानक इस बच्चे को क्या हुआ है? और कोई भी दवाई से क्यों नहीं लग रही है ?बच्चों के इलाज में, वीरेंद्र का बहुत अधिक पैसा व्यय हो गया। कुछ दिनों तक ठीक होता और फिर से बीमार पड़ जाता, उसके घर की सभी जमा पूंजी भी इस बच्चे को जिंदा रखने की आस में समाप्त होती नजर आई। बच्चा लगभग बारह वर्ष का हो चुका था। व्यापार भी धीरे-धीरे धीमा हो गया क्योंकि सभी परिवार वालों का तो उस बच्चे पर ही ध्यान था। किसी का भी मन व्यापार में नहीं लग रहा था। एक बार तो ऐसे हालात हो गये कि उस कंपनी की भी, नीलामी की नौबत आ गयी। 

बच्चे का तेहरवाँ जन्मदिन था, किसी के मन में भी कोई प्रसन्नता नहीं थी, घर की जमा -पूंजी भी समाप्त हो चुकी थी, व्यापार भी अब बंद होने की कगार पर था। वीरेंद्र हताश -निराश अपने आलीशान कमरे में बैठा हुआ था,तभी वह बच्चा , अचानक से जोर -जोर से हंसने लगा। वीरेंद्र का ध्यान उस बच्चे पर गया और बोला -संजू तुम इस तरह क्यों हंस रहे हो ?वीरेंद्र ने सोचा शायद यह बीमार रहता है ,इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं है ,उस समय घर पर भी कोई नहीं था। 



तब वह बच्चा हंसते हुए बोला-मैं संजू नहीं, मैं तेरा दोस्त धीरेंद्र हूं , तूने तो मुझे भूला ही दिया, मैंने तुझ पर कितना विश्वास किया ? बिना पढ़े ही, सब कागजों पर साइन कर दिए, जी -जान से इस व्यापार को उठाने में मैं रात- दिन लगा रहा और उसके बदले तूने मुझे धोखा दिया, मेरा हिस्सा भी हड़प कर गया और अब मेरे ही परिवार को नौकरी पर रखकर तू उन पर एहसान दिखा रहा है जो आज इस कंपनी के मालिक होते। खैर! तेरी गलती नहीं, तेरा लालच इतना बढ़ गया था।अब तेरी संपूर्ण जमा-पूंजी तो समाप्त हो चुकी है, जो कि वह मेरा हिस्सा था। मैं चाहता तो तेरा यह व्यापार भी, बंद करवा सकता था किंतु मैं जानता हूं कि मेरे बच्चे आज इस कंपनी में कार्य करके अपना साधारण सा जीवन यापन कर रहे हैं। मेरे बच्चे मेरी ही तरह हैं ,मेहनती ! मुझे उन पर गर्व है , तेरे ही कारण अब मुझे अपने पोता, बेटे और बहू का चेहरा देखने को मिला।

 आश्चर्यचकित हो वीरेंद्र ! उसे बच्चों की बातें, विस्फारित नेत्रों से सुन रहा था। उसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि क्या कोई अपना हिस्सा लेने के लिए 'अगला जन्म' भी ले सकता है। इन बातों को तो कई वर्ष बीत चुके, क्या सच में ही यह धीरेंद्र का 'पुनर्जन्म' है ? यह अपने'' पिछले जन्म ''की सभी बातें कैसे जानता है ? क्या सच में यही धीरेंद्र है ? आश्चर्य से उसे देख रहा था। 

तभी संजू बना धीरेंद्र बोला- तू क्या समझता है ? मैं बीमार हूं ,अब तक तो मैंने अपना हिस्सा ले लिया,या मेरी बीमारी में तूने बहा दिया। अब तेरे पास कुछ भी नहीं बचा है। कम से कम तू इतना संतोष तो करता, क्योंकि मेरे पास तो कुछ वर्ष ही बचे थे। तुझ में इतना भी धैर्य नहीं रहा। आज मेरे वो तेरह वर्ष पूरे हो चुके हैं, जो तूने समय से पहले ही मुझसे छीन लिए थे। तुझे मेरे मरने पर दुख नहीं हुआ था। किंतु आज तुझे दुख भी होगा, जब तेरा पोता जाएगा, और तेरी संपत्ति भी समाप्त हो गई। जब मैं मरा था तो मेरे मन में, तेरे प्रति घृणा थी, बदले की भावना थी। अब मैंने अपना बदला ले लिया, अब तू भी मेरे परिवार जैसा ही हो गया। मेरा हिस्सा मैंने तुझसे ले लिया, कहकर उस बच्चे ने एक हिचकी ली और उसकी गर्दन पीछे को लुढ़क गयी ।

 वीरेंद्र अचानक से चीखा- धीरेंद्र ! मुझे माफ कर दे !यार..... मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई, मैं लालच में आ गया था किंतु उस समय उसकी कोई सुनने वाला नहीं था। जब घरवाले बाहर से घर में आए तो देखा उस घर का चिराग बुझ चुका था। जिसे वीरेंद्र बार-बार धीरेंद्र कहकर क्षमा याचना कर रहा था। बेटे के पोते के अंतिम संस्कार के पश्चात वीरेंद्र ने को जैसे बुद्धि आ गई और उसने उस व्यापार में जो घाटे में चल रहा था धीरेंद्र के बेटे को भी, सहभागी बना दिया और दोनों से कहा -कभी भी लालच में मत आना, जिसका जो हिस्सा होता है ,वह चाहे इस जन्म में हो या अगले जन्म में आकर ले ही जाता है इसीलिए ईमानदारी से कार्य करना, कहकर वह ज्ञान की तलाश में बाहर निकल गया। लोग यही समझते रहे ,कि पोते के ग़म में बूढ़े का दिमाग ख़राब हो गया है। 
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रचनाएँ
जीवन के रंग
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इतना लम्बा जीवन हम जीते हैं,उसमे सुख है,दुःख है, मस्ती है,मिलना है,बिछुड़ना है,जीवन की पटरी उतार- चढ़ाव से भरी है,जीवन के इस सफ़र में लोग मिलते हैं,बिछुड़ते हैं, उस जीवन के छोटे छोटे हिस्सों को लेकर बनती है एक कहानी वो कहानी जो आपके और हमारे जीवन से मिलती जुलती सी लगती है।उस कहानी में किसी का दर्द छुपा है तो किसी का प्यार समेटती नजर आती है,किसी की दिल से जुड़ी भावनाएं पढ़ हम भावविभोर हो उठते है,किसी का दर्द अपना सा लगता है,जीवन के कुछ ऐसे ही रंग बिखेरती नज़र आती हैं,ये कहानियाँ,इनमें शामिल हो जाइये और इन रंगों को महसूस कर मुझे अपनी समीक्षाओं द्वारा प्रोत्साहित करते रहिये धन्यवाद🙏
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राजनीति

27 जुलाई 2023
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पारुल पढ़ी -लिखी होने के बावजूद, संस्कारों ,परम्पराओं जैसे बंधनों में बंधी ,एक आस्तिक महिला थी। विवाह के बाद अब तो ससुराल ही उसका अपना घर था। उस आशियाने को उसने बड़े प्यार और जतन से सजाया। उसने अपनी

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रेगिस्तान में खो गया

29 जुलाई 2023
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लो , बाबू सा ,चाय पी लो ,सुबोध का इस आवाज से ध्यान भंग हुआ ,उसने पलटकर देखा ,वही काली कजरारी आँखें , दमकता सुडौल बदन किन्तु वो आँखें...... ऐसा कैसे हो सकता है ?उसने आश्चर्य से मन ही मन कहा। नहीं ,ये

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अकेले हम, अकेले तुम

31 जुलाई 2023
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रामलाल जी के दो बेटियाँ और एक बेटा है ,बेटा अभी छोटा है, पढ़ाई कर रहा है। रामलाल जी समय रहते अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर देते हैं। दोनों ही अपने -परिवार में खुश हैं। रामलाल जी भी प्रसन्न ही थे किंतु

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बच्चे

2 अगस्त 2023
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विमला देवी ,रसोई घर में ,जोर शोर से, कार्य करने में लगी हुई हैं। उन्होंने खाने में लौकी के कोफ्ते ,कढ़ी चावल और गरमा -गरम चपाती बनाई है। हालांकि उनके कमर में और घुटनों में दर्द है फिर भी वह रसोईघर मे

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सहारा

5 अगस्त 2023
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मैं अक्सर उन्हें ,अपनी खिड़की से देखा करता ,वह एक तस्वीर लिए ,या कुछ कागज...... ,दूर से इतना पता नहीं चल पा रहा था , वे लोगों से मिलते ,कुछ पूछते या बातचीत करते और चले जाते। पता नहीं ,क्या जानना चाह

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आदर

6 अगस्त 2023
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मम्मी घर में ही ,''हॉबी क्लासेस '' चलातीं थीं ,विशेष रूप से लड़कियों, को केक -बिस्किट बनाना सिखातीं ,सारा दिन अपने ही कार्यों में लगीं रहतीं हैं ,वैसे वो बहुत मेहनत करती हैं। यह कार्य भी आसान नहीं , सभ

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बाप की कमाई

8 अगस्त 2023
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प्रशांत ,ने स्कूल में नया -नया दाखिला लिया ,इससे पहले अपने मम्मी -पापा के संग दूसरे शहर में रहता था ,अब उसके पापा का, इस शहर में तबादला हो गया। जब से इस कक्षा से आया है ,सभी बच्चे अपने -अपने घर जाकर

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आखिरी कॉल

10 अगस्त 2023
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पूरा घर गेंदे और गुलाब के फूलों से सजा हुआ है , बहुत सारे मेहमान आए हुए हैं , सभी अपने -अपने कार्य में व्यस्त हैं, घर में खूब चहल-पहल हो रही है , मेहमान आ रहे हैं।' बरनाले' वाली बुआ जी भी आ गई हैं ,

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समाज - सेवा

14 अगस्त 2023
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बच्चे बड़े हो गए ,निशा दिनभर घर में अकेली रहती ,बच्चे अपनी पढ़ाई और दोस्तों में व्यस्त रहते ,मौहल्ले में घूमने का भी उसे ज्यादा शौक नहीं ,फोन उठाया, उसे ऐसे ही चला -चलाकर देखती रही ,उसने अपनी पसंद का

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अबके बरस

16 अगस्त 2023
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श्रावण मास 'तो हर बरस आता है और श्रावण के त्यौहार भी ,जैसे -हरियाली तीज , श्रावण के सोमवार,पूरे माह व्रत और कुछ लोग कांवड़ भी लाते हैं फिर महाशिवरात्रि और रक्षाबंधन।बारिश की रिमझिम फुहार से सारी प्रक

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भेंट

18 अगस्त 2023
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सुगंधा ने बाहरवीं पास कर ली ,घर में न ही ख़ुशी का वातावरण है न ही दुःख का। बल्कि उसके पिता को उसके विवाह की चिंता अवश्य हो गयी और वे बड़ी तन्मयता से उसके लिए लड़के की तलाश में जुट गए। सुगंधा का बाहरवीं

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एक राज़

20 अगस्त 2023
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आज तो निलेश ने हद ही कर दी, उसके एक तमाचा भी जड़ दिया। सारिका जी, को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया, उन्होंने निलेश को डांटते हुए कहा -तुम्हें तनिक भी शर्म नहीं है। तुमसे उम्र में कितनी बड़ी हैं ?तुम्हार

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सुम्मी!

25 अगस्त 2023
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जी हाँ ,आज की हमारी कहानी की नायिका ''सुम्मी ''है ,जो सांवली सी भोली -भाली ,अंतर्मुखी लड़की है। वैसे तो माता-पिता ने उसका नाम' सुमनलता 'रखा है किंतु मां लाड में उसे 'सुम्मी 'ही कहकर पुकारती है।सांवली ह

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दादीजी!

30 अगस्त 2023
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प्रियाजी, के लड़के का विवाह हुआ है , बहु पढ़ी -लिखी सुंदर है, नौकरी भी करती है। प्रियाजी , अकेले ही सारे काम संभाल रहीं थीं लेकिन ख़ुशी में अपनी थकान का ध्यान ही नहीं। आज बहु की मुँह दिखाई की रस्म है ,म

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तैयारी, अगले जन्म की

5 सितम्बर 2023
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आज आपको मिलवाते हैं ,''मिस्टर अनोखेलाल से '', मिस्टर अनोखेलाल ,अपने नाम की तरह ही अनोखे हैं। उनकी बातें भी दिलचस्प हैं , मैंने उस इंसान को जब भी देखा या मिला हमेशा खुश ही देखा। उसे इस तरह खुश देखकर,

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पैसा बोलता है!

8 सितम्बर 2023
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बहू के आते ही घर में खुशहाली आ गई , आये भी क्यों न ?बहुत धूमधाम से शादी हुई है ,बहु दान -दहेज भी बहुत लाई है। पच्चीस लाख नकद , समधी जी ने बेटी -दामाद के खाते में जमा करा दिए। बाक़ी घरेलू सभी सामान

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सांझा चूल्हा

11 सितम्बर 2023
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साँझा चूल्हा ''जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। एक ऐसा परिवार ,एक ऐसी छत जिसके नीचे ,एक बड़ा परिवार रहता है ,जिसमें दादी -बाबा ,ताऊ -ताई ,चाचा -चाची ,उनके बच्चे। घर में खूब रौनक रहती है। सास- बहुएं ,रस

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बहकते कदम!

16 सितम्बर 2023
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जिंदगी में पहली बार कुछ अलग ही एहसास हो रहे थे ,ऐसा उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया। वो उसकी बातों को यादकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा रही थी। लगता है ,जिंदगी कितनी सुहानी है ,सब कुछ अच्छा ही अच्छा है

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स्वार्थी

19 सितम्बर 2023
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मां !तुम कितनी लापरवाह हो ? अपना तनिक भी ख्याल नहीं रखतीं। रमेश ,माँ को आज डॉक्टर को दिखलाकर लाया है। माँ, कई दिनों से ,थकावट ,घुटनों में दर्द , इत्यादि बीमारियों की शिकायत कर रही थीं। रमेश ने सोचा

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बेसन के लड्डू

21 सितम्बर 2023
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गुप्ता जी ,शांति से बैठे ,समाचार -पत्र पढ़ रहे थे ,तभी उन्हें कुछ मीठा खाने की इच्छा हुई और अपने बेटे की बहु से बोले - पल्लवी बेटा ! जरा'' बेसन के लड्डू'' तो देना। पल्लवी रसोई घर में थी, रसोई घर स

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श्राद्ध

29 सितम्बर 2023
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नई नवेली दुल्हन जब घर में आ जाती है, तो बहु की जिम्मेदारी तो बढ़ती ही हैं लेकिन सास की जिम्मेदारियां भी कम नहीं होतीं। बहु को अपने घर के तौर- तरीक़े समझाना ,बहु को उसकी जिम्मेदारियों से परिचित कराना। व

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बासी रोटी

21 अक्टूबर 2023
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दीप्ती आज, अपने घर आ रही है। बहुत दिनों से मायके जाना नहीं हुआ था। घर -गृहस्थी में ऐसी फंसी ,मम्मी भी अक्सर फोन करती रहतीं , तब भी जाना नहीं होता। क्योंकि कभी तो पतिदेव को छुट्टी नहीं मिलती और कभी बच्

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रात का डर

30 अक्टूबर 2023
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मैंने दादा जी से , रात कितनी बार कहा था ?चलो !चलकर डॉक्टर को दिखा लेते हैं ,लेकिन इन्होंने मेरा कहा नहीं माना , क्रोधित और उत्तेजित होते हुए ,जाह्नवी अपनी मम्मी से बोली - अब बड़े हैं, अपनी चलाएंगे बच्

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भूले नहीं, उलझ गये थे

16 नवम्बर 2023
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आज दीपक की बिटिया का विवाह है। सब कुछ सही समय पर ठीक -ठाक चल रहा है। कुछ दिन पहले दीपक की हालत देखने लायक थी।' बहनजी' आईं थीं ,रिश्ता लेकर,उनके किसी जानने वाले का बेटा था। उनका परिवार और वो लड़का भी ह

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चिट्ठी का सच

19 नवम्बर 2023
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क्या तुम यही रहती हो ? आज से पहले तो तुम्हें कभी नहीं देखा , पड़ोस का एक लड़का अपनी छत से खड़े होकर, दूसरी छत पर खड़ी लड़की से पूछ रहा था। वह लड़की मुस्कुराते हुए बोली -नहीं ,मैं यहां नहीं रहती ,

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खो गया, बच्चा

13 दिसम्बर 2023
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आज कबीर बहुत फूट कर रोया , उसे अपने किए पर पछतावा था। अपनी मां की गोद में सिर रखकर बहुत देर तक रोता रहा, पछतावा करता रहा ,मैंने अपनी मां को कितने कष्ट दिए हैं ? कभी सोचा ही नहीं, उस पर क्या बीतती होग

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तुम्हारी याद में

14 दिसम्बर 2023
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आरती को जब कपिल का पत्र मिला ,उसके मन में तो ख़ुशी थी, किन्तु दिल में घबराहट थी। अजीब सी गुदगुदी महसूस हो रही थी,न जाने इस पत्र में ,उसने क्या लिखा होगा ?यह सोचकर ही ,चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है। कुछ

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सराहना

19 दिसम्बर 2023
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प्रगति अपनी बारी के इंतजार में, अस्पताल में,मरीज़ों की पंक्ति में बैठी थी। इतने बीमार लोगों की ,भीड़ थी। हर कोई परेशान नजर आ रहा था, किसी को कुछ न कुछ बीमारी थी। प्रतीक्षा करते-करते उसे काफी देर हो

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रहस्यमयी चाबी

21 दिसम्बर 2023
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केदारनाथ जी की, आज हालत बहुत खराब है ,उनकी पत्नी और उनके बहु -बेटा और उनके चार पोते उनके समीप ही खड़े हैं। बहुत दिनों से, उनकी तबियत खराब थी किन्तु आज कोई दवाई भी असर नहीं कर रही। डॉक्टर ने भी जबाब दे

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अपूर्ण किस्सा

23 दिसम्बर 2023
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रेवती आज पराग के लिए पराठे लाई, दोनों ने खुश होकर, एक साथ बैठकर खाए। जब से पराग ,इस दफ्तर में आया है, तब से रेवती से, उसकी कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो गई है। रेवती भी, उसके आने से खुश है। दोनों ही समझदार

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क्या तुम्हें याद है!

26 दिसम्बर 2023
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सुनो ! क्या तुम्हें याद है ? हम कब ,एक साथ बाहर गए थे ? कब एक साथ ,हमने चलचित्र देखा ?क्या तुम्हें याद है ? कब एक साथ बैठकर , चैन की सांस ली ? चलो ,छोड़ो ! क्या तुम्हें मेरा, जन्मदिन भी याद है या हमार

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सर्दी की रात

31 दिसम्बर 2023
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ठंड़ आज कुछ ज्यादा ही पड़ रही है, तन थर-थर कांप रहा है। ऐसे में कुछ लोग, आग जलाकर आग के आसपास बैठे हुए हैं। कुछ लोग रजाई में घुस गए हैं। कुछ गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने की तैयारी कर रहे हैं। विभोर

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कमरा नंबर ३०३

6 जनवरी 2024
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एक अधेड़ उम्र दम्पत्ति ,प्रातःकाल ,वृद्ध आश्रम के दरवाजे पर खड़े नजर आये। उस व्रद्धाश्रम के संस्थापक ने इतनी ठंड में ,उन दोनों को खड़े देखा। तब वह उनके करीब गया और उनसे ,उनके इस स्थान पर खड़े होने का कार

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जैसे को तैसा

12 जनवरी 2024
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मेरे बेटे का आज जन्मदिन है, मैंने रात में ही सोचकर तैयारी कर ली थी कि क्या -क्या बनाना है ?सुबह बेटे को उठाने गई -आदि !उठो बेटा ,आज तुम्हारा जन्मदिन है। उठो !तुम्हारे मामा -मामी आने वाले हैं ,तुम्हा

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अनूठा निर्णय

21 जनवरी 2024
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अरे ,कलमूही ! यह तूने क्या कर डाला ? यह सब करते हुए, तुझे तनिक भी शर्म नहीं आई। तूने परिवार की इज्जत को, मिट्टी में मिला डाला। डोली की मां उस पर चिल्लाते हुई ,बोली -उसके मन में तो आ रहा था कि इसे पीट

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समझौता

3 फरवरी 2024
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कल्पना के पैरों तले से जैसे, जमीन खिसक गई ,उसे विश्वास ही नहीं हुआ ,यह भी हो सकता है। उसे लगा ,शायद उसकी नजरों का धोखा है। वह नजदीक ही ,छुपकर खड़ी हो गई, और चुपचाप उनका पीछा करने लगी। वह जानना चाहती थ

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रहस्यमयी पत्र

4 फरवरी 2024
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श्रीमती गुप्ता ने जैसे ही, कक्षा में प्रवेश किया ,तभी उनके ऊपर एक पर्ची आकर गिरी। उस पर्ची को उन्होंने देखा और आसपास भी देखने लगीं। यह पर्ची उनके पास, किसने फेंकी है ?पहले तो सोचा ,ऐसे ही कहीं से उड़क

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एक कप कॉफी

24 फरवरी 2024
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आज शीघ्र ही, कॉलेज की छुट्टी हो जाएगी, लेक्चर भी शीघ्र ही समाप्त हो जाएगा इसीलिए सभी दोस्तों ने आपस में मिलकर'' कॉफी हाउस'' में जाकर कॉफी पीने की योजना बनाई। श्रुति, पल्लवी ,अनिरुद्ध और तेजस्व ! चारों

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भयानक रात का आख़िरी कॉल

2 मार्च 2024
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शोभित, रतन, अतुल और नारंग चारों दोस्त ,मस्ती में जा रहे थे। कॉलेज की छुट्टियां चल रही थीं। कुछ समझ नहीं आ रहा था ,समय काटे नहीं कट रहा था। जब भी समय मिलता है ,चारों दोस्त घूमने निकल पड़ते हैं । आज के

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सोशल मिडिया

5 मार्च 2024
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पापा ने उसे नया फोन दिलवाया था, आज उसने'' सोशल मीडिया'' पर अपना नया-नया अकाउंट बनाया था। वह बहुत प्रसन्न थी, अपने जन्मदिन पर बहुत सारी तस्वीरें, अपने फोन में ही खींच लीं थीं । कभी फेसबुक कभी व्हाट्स

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स्कूटी ( भाग १)

16 मार्च 2024
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जीवन तो हादसों से ही भरा होता है ,कुछ न कुछ हादसे हमारे जीवन में हो ही जाते हैं और कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो जीवन को एक नई दिशा दे जाते हैं, या फिर व्यक्ति की सोच ही नहीं ,उसका व्यक्तित्व ही बदल जाता

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स्कूटी ( भाग २)

17 मार्च 2024
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निशा का विवाह एक अभियंता से हो जाता है ,जिस पर सम्पूर्ण घर की ज़िम्मेदारियाँ थीं ,निशा ने भी उसका हर सुख -दुःख में सहयोग किया। उसकी हर ज़िम्मेदारी को अपना मानकर चली ,जिस कारण वो अपनी ओर, और अपनी इच्छाओं

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डरावनी गुड़िया

17 मार्च 2024
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बिट्टो ! हां ,यही तो नाम है , उसका...... उसका भी मन करता था कि वह खेल -खिलौनों से खेले , किंतु उसकी मां के पास तो इतने पैसे ही नहीं थे कि वह उसको खिलौने दिलवा सके। एक दिन तो बिट्टो जिद करके ही बैठ ग

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ये कैसा सम्मान?

23 मार्च 2024
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उसके घर से अक्सर, चीखने- चिल्लाने की, लड़ने की आवाजें आती रहतीं। अक़्सर सुनने में आता ,जो लोग अनपढ़ या गरीबी के वातावरण में रहते हैं। उनके घरों में ही ऐसे झगड़े होते रहते हैं। किंतु उन्हें गरीब भी नहीं

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पिछला जन्म

30 मार्च 2024
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धीरेंद्र और वीरेंद्र दो अच्छे मित्र थे। एक ही गांव में रहते थे। साथ-साथ पढ़ते और खेलते थे। उन दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी। एक दूसरे पर जान छिड़कते थे ,दोनों ने विवाह भी लगभग एक साथ ही किया दो

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वो भयानक रात

2 अप्रैल 2024
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रात कोई भी हो, सबके लिए समान नहीं होती, किसी के लिए सुख लेकर आती है ,तो किसी के लिए दुख लेकर आती है। रात्रि तो वही होती है , किंतु अलग-अलग समय के लोगों के लिए अलग-अलग संदेश लाती है। हर भयानक रात, में

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मुझे सम्मान चाहिए

5 अप्रैल 2024
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बहुत दिनों पश्चात शिखा अपने मायके अपने भैया -भाभी से मिलने आई है , आये भी क्यों न ? खुशी का बहाना भी है। भाभी की अभी कुछ महीनों पूर्व ही , नई नौकरी लगी है। भैया- भाभी ने तो एक बार भी नहीं कहा -क

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जादुई घोड़ा

7 अप्रैल 2024
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वह किसी ऐसे जादू की कल्पना करता ,पलक झपकते ही ,उसके सभी कार्य हो जाए। वो हमेशा कल्पनाओं में खोया रहता है। सोचता है ,कोई ऐसी चीज हो, जो जादू की तरह उसकी सभी कल्पनाओं को उड़ान दे या फिर कोई ऐसी जादुई

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दोस्ती या प्यार

20 अप्रैल 2024
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रजत ! यह तुम क्या कह रहे हो ? मैंने कभी तुम्हें इस नजर से देखा ही नहीं , मैं तो तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त ही समझती हूं। किंतु मैं तो तुमसे मन ही मन प्रेम करता आ रहा हूं, जब से मैंने तुम्हें

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जाने का डर

22 अप्रैल 2024
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स्वांती परेशानी में बैठी थी , उसके मन में अनेक प्रश्न उठ रहे थे, क्या यह सही होगा ? जो लोग सोचते हैं या कहते हैं, वे सही हैं। समझ नहीं आ रहा क्या करूं? जब प्रणव ने बताया -कि वह बाहर पढ़ने जाना चाहता

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